मंत्रिपरिषद ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा प्रदान करने का फैसला लिया है। इस फैसले से मत्स्य पालन में पूंजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा तथा उत्पादन लागत में कमी आएगी। उपलब्ध जल संसाधनों का मत्स्य पालन हेतु अधिकाधिक उपयोग होने पर मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में गुणात्मक बढ़ोत्तरी से मत्स्य विकास को बल मिलेगा एवं प्रदेश मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा। विपणन व मूल्यवर्धित मत्स्य उत्पादों से स्थानीय रोजगार के ज्यादा अवसर उपलब्ध होंगे। मत्स्य पालकों को कृषि दर की भांति जलापूर्ति एवं विद्युत आपूर्ति होने से उत्पादन बढ़ने तथा उत्पादन लागत घटने से मत्स्य पालकों को ज्यादा आर्थिक लाभ होगा।
अनुदानित ब्याज दरों पर मत्स्य पालन हेतु जल कृषकों को ऋण प्राप्त होगा, जिसका सकारात्मक प्रभाव मत्स्य उत्पादन पर होगा। दैवीय आपदा एवं अन्य जनित हानि से मत्स्य पालकों को कृषि की भांति मत्स्य उत्पाद की क्षति की दशा में बीमा सुरक्षा का आच्छादन तथा विपणन आदि में कृषि की भांति प्रोत्साहन से मत्स्य पालकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। तालाबों के पंजीयन में स्टाम्प शुल्क की अनिवार्यता समाप्त हो जाने से मत्स्य पालकों को अनावश्यक व्यय भार से मुक्ति मिलेगी और कृषि क्षेत्र में उपलब्ध सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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