फितना, फसाद बड़ा जुर्म है, जो वादा करो पूरा करो, सच बोलो, इंसाफ करो, एहसान करो और भूल जाओ, रहम व मोहब्बत करो।
उक्त बातें गोमतीनगर स्थित रज़ा रिज़वी के आवास पर ईसाले सवाब की एक मजलिस को खिताब करते हुए विश्वप्रसिद्ध मौलाना हमीदुल हसन ने अपनी तकरीर में कही।
श्री हसन ने कहा कि इंसान को जो वादा जिससे भी करना चाहिए, उसको पूरा करना चाहिए नहीं तो समाज में एक बेइंसाफी का दौर चल पड़ेगा। सच बोलना चाहिए सच बोलने से बहुत से फायदे हैं जो इंसान को उस समय पर तो नहीं दिखाई देते हैं लेकिन बाद में उसको एहसास होता है कि हमने सच बोलकर बहुत ही नेक काम किया है।
श्री हसन ने मज़लिस को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अद्ल करो यानि इंसाफ करो, इंसाफ करने में कठिनाइयां तो महसूस होती हैं लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही अच्छे होते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों पर एहसान करो और उसको भूल जाओ। इसी पर एक कहावत बहुत मशहूर है कि `नेकी कर दरिया में डाल´ यानि आप किसी के साथ नेकी कर रहे हैं, अच्छा सलूक कर रहे हैं तो करते जांए लेकिन इस नियत से नहीं कि इसका पुण्य हमें उसी नेकी करने वाले से मिले, बल्कि नियत यह रहनी चाहिए कि जिसके साथ नेकी की जा रही है उसका अज्र या पुण्य वह न देकर ऊपर वाला दे तो वह ज्यादा अच्छा रहता है।
श्री हमीदुल हसन ने कहा कि लोगों के साथ रहम व मोहब्बत से पेश आना चाहिए। रहम व मोहब्बत एक ऐसी चीज है जो तमाम दुश्मनियों व बुराइयों से नजात दिलाने वाली है और इंसान अपनी जिन्दगी खुशगवार बसर कर सकता है। जो लोग गलत काम करते हैं उनकी आदतें नसरों तक फैलती चली जाती हैं यह बहुत बड़ा जुल्म है।
मौलाना हमीदुल हसन ने कहा कि नेकी व बदी दो चीजें इंसान की जिन्दगी में बहुत बड़ी है। नेकी इंसान को अच्छाई की तरफ ले जाती है और बदी इंसान को बुराई की तरफ ले जाता है। नेकियां इंसान करता जायेगा। बदी अपने आप कमजोर पड़ती चली जायेगी और नेकियां करके इंसान महान बनता है।
मजलिस में मौलाना ने जब कर्बला के शहीदों व इमाम हुसैन व उनकी बहन जै़नब के मज़ालिम का तजकिरा किया तो लोगों की आंखें नम हो गईं और उनकी याद में रोने लगे।
मजलिस शुरू होने से पहले महमूदाबाद से आये सोज खान इरफान हुसैन ने बड़े अच्छे अन्दाज से सोजखानी की, सलाम जनाब ए आब्दी व हमीद हुसैन जाफरी ने पढ़ा, नोहा मिर्जा मुख्तार ने पढ़ा।
यह मजलिस मरहूम हाजी सैय्यद गजनफर हुसैन रिजवी व मरहूमा नासिरा बेगम की ईसाले सवाब में की गई थी।
मजलिस में डॉ0 सैय्यद जाफर हुसैन रिज़वी, काजिम हुसैन - पत्रकार, एखलाक हुसैन, पत्रकार, नजमुल हसन, ठेकेदार, जहीरुल हसन, रजा हैदर रिज़वी, दाऊद रज़ा, वाजिद हुसैन जै़दी, मसूद जै़दी, शारु, जिम्मी, जायरा, अदीबा, जोया, आसफ, जहरा, फिरदौस, शब्बी, जीनत, ताज बेगम, तोमर साहब सहित सभी मजहबों एवं मिल्लत के लोग शामिल थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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