उत्तर प्रदेश में खरीफ की फसल में विलम्ब से रोपे जाने वाले धान के खेतों में हरी खाद के लिए ढैंचा की बुआई यदि अभी तक नही की है तो यथाशीघ्र करें। कृषक शोधित बीज का ही प्रयोग करें, इससे बीज रोग रहित होंगे, फसल अच्छी तथा उत्पादन में वृद्धि होगी।
उ0प्र0 कृषि अनुंसन्धान परिषद में फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को दी गयी सलाह के अनुसार नर्सरी में अधिक अवधि (145 दिन से ज्यादा) प्रजातियों की बुआई पहले तथा मध्यम (130 से 140 दिन) व कम अवधि (115 से 120 दिन) की बुआई क्रमशः बाद में करें। उन्होंने बताया कि धान की नर्सरी कुछ दिनों के अन्तराल पर डालें ताकि मौसम की अनिश्चितताओं से बचा जा सके।
कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी कि नर्सरी में पानी का तापमान बढ़ने पर क्यारी से पानी बाहर निकालकर पुनः सिंचाई करें। मौसम के आकस्मिक परिवर्तन के दृष्टिगत मोटे अनाज जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी आदि की खेती को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वर्तमान मौसम का लाभ उठाते हुये धान के खेत की तैयारी के लिए ग्रीष्म कालीन जुताई करनी चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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