भारत निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के अन्तर्गत वर्तमान मेें मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय या राज्यीय राजनैतिक दलों के हिन्दी, अंग्रेजी या किसी क्षेत्रीय भाषा में अनूदित नाम अथवा मिलते जुलते नाम से राजनैतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन अब नहीं किया जाएगा। ऐसी पार्टियों को अब राष्ट्रीय या राज्यीय राजनैतिक दलों से भिन्न संशोधित या परिवर्तित नाम से पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा।
भारत निर्वाचन आयोग ने निर्देश दिए हैं कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अन्तर्गत पंजीकरण चाहने वाली पार्टियों का नाम किसी धार्मिक गुणार्थ नाम वाला नहीं होना चाहिए और साथ ही पंजीकृत तथा वर्तमान में राजनैतिक पार्टियों के नाम के अनुरूप वाला नाम भी नहीं होना चाहिए ताकि किसी तरह के भ्रम की स्थिति पैदा न हो।
गौरतलब है कि आयोग को यह शिकायत मिली थी कि अनूदित नाम से नई पार्टियों को पंजीकृत करने के कारण पहले से पंजीकृत प्रमुख पार्टियों के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और उनकी साख व लोकप्रियता का अनुदित नाम से पंजीकृत पार्टियां अनुचित फायदा उठा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग ने यह निर्णय लिया है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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