उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री राघवेन्द्र कुमार ने बताया कि प्रदेश के 23 जनपदों में प्रथम चरण में जनोपयोगी सेवाओं हेतु स्थायी लोक अदालतें कार्यरत हैं। आगरा, अलीगढ़, आजमगढ़, इलाहाबाद, बरेली, बस्ती, बुलन्दशहर, चित्रकूट, फैजाबाद, गाजियाबाद, गोण्डा, गोरखपुर, झांसी, कानपुर नगर, कानपुर देहात, लखनऊ, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, रायबरेली, सहारनपुर, शाहजहांपुर एवं वाराणसी में स्थायी जनोपयोगी लोक अदालतें गठित की गयी हैं। इन अदालतों में वादों के निस्तारण की सुदृढ़ व्यवस्था की गयी है। वादकारी इन स्थायी अदालतांे के माध्यम से वादों का निस्तारण करायें।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री राघवेन्द्र कुमार ने बताया कि लोक उपयोगी सेवाओं हेतु जनपदों में गठित स्थायी लोक अदालतों में वायु, सड़कों, जलमार्ग द्वारा यात्रियों अथवा माल के वहन के लिए यातायात सेवा डाक-तार, टेलीफोन सेवा, जनता को विद्युत प्रकाश या जल का प्रदाय या सार्वजनिक मल वहन या स्वच्छता प्रणाली या अस्पताल या औषधालय सेवा या बीमा सेवा संबंधी वादों की सुनवाई की जाती है।
सदस्य सचिव ने बताया कि लोक उपयोगी सेवाओं हेतु गठित की गयी इन सभी स्थायी लोक अदालतों में जनोपयोगी सेवाओं के वादकारियों को किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं देना होगा। वाद प्रस्तुत होने पर त्वरित निर्णय किया जायेगा। प्रक्रिया जटिल नहीं है बल्कि सरल है। निर्णय के विरूद्ध कोई अपील नहीं होगी। इन स्थायी लोक अदालतों में जनोपयोगी सेवाओं से संबंधित वादों/मामलों की सुनवाई की जाती है। स्थायी लोक अदालतों द्वारा जनोपयोगी सेवाओं के विवादों के संज्ञान हेतु यह अनिवार्य है कि किसी भी पक्षकार द्वारा दीवानी न्यायालय में वाद दायर नहीं किया गया हो। लोक उपयोगी सेवाओं हेतु गठित स्थायी लोक अदालतों का अन्य विशिष्ट फोरम जैसे उपभोक्ता फोरम की अधिकारिता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा। वादकारी का यह अधिकार है कि वह अपने स्वविवेक से किसी भी न्यायालय या फोरम के समक्ष अपने वाद को दायर कर सकता है। न्याय हेतु विवादों का निस्तारण सुलह कार्रवाई द्वारा किया जायेगा। सुलह कार्रवाई के विफल होने पर वादों को गुण-दोष पर निस्तारित किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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