न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, उ0प्र0, लखनऊ में नेशनल जुडिशियल एकेडमी, भोपाल द्वारा ‘‘कानून के शासन बनाये रखने में न्यायालयों की भूमिका’’ विषयक आयोजित तीन दिवसीय क्षेत्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के सभी सत्रों में माननीय उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति डा0 बी0एस0 चैहान तथा माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश, माननीय न्यायामूर्ति डा0 डी0वाई0 चन्द्रचूड़ ने अपने बहुमूल्य विचारों को व्यक्त किया। इस संगोष्ठी में उत्तर भारत के विभिन्न प्रान्तों-दिल्ली, पंजाब एवं हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, जम्मू एवं कश्मीर तथा उत्तर प्रदेश के अधीनस्थ न्यायपालिका के न्यायिक अधिकारीगण भाग ले रहे है।
मानननीय उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति डा0बी0एस0 चैहान ने ब्रिटिश इंडिया एवं स्वतंत्र भारत के विधि शासन की स्थिति के बारे में बताया। माननीय महोदय ने भारतीय संविधान द्वारा मान्य विधि शासन जो न्यायालय द्वारा लागू किया जाता है, के बारे में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि कानून ऐसा होना चाहिए जो लोगों द्वारा ग्रहण किया जा सके अन्यथा बाल विबाह निषेध अधिनियम एवं अन्य सामाजिक सुधार कानून की तरह केवल संविधिक पुस्तकों तक ही सीमित रह जायेगा। समाज की आवश्यकताओं एवं मूल्यों के अनुसार कानून में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं।
माननीय मुख्य न्यायमूर्ति डा0 डी0वाई0 चन्द्रचूड़, माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जोर देकर कहा कि समाज में शांति बनाये रखने के लिए कानून का शासन होना आवश्यक एवं महत्वपूर्ण अस्त्र है, जिससे समाज के प्रत्येक व्यक्ति अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें। न्यायमूर्ति ने चल रही तीन दिन की संगोष्ठी की चर्चाओं पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में माननीय न्यायमूर्ति श्री ए0पी0 शाही, इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं संस्थान के अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति श्री भँवर सिंह ने कानून के शासन का क्लासिकल उत्पत्ति एवं संवैधानिक समझबूझ के सम्बन्ध में कई दृष्टिकोण से अवगत कराया। दिल्ली उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति डा0 मुरलीधर ने अगले सत्र में कानून के शासन के द्वारा न्याय पाया जा सकता विषय पर विस्तृत प्रकाश डाला। मध्याह्न भोजन के उपरान्त आयोजित सत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के माननीय न्यायामूर्ति श्री डी0पी0 सिंह एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री पी0 नन्दराजोग ने कानून के शासन और आपराधिक न्याय व्यवस्था में और कुछ करना है ने विषय पर अपने विचार व्यक्त किये। दूसरे दिन के आखिरी सत्र में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति डा0 बी0बी0 प्रसून एवं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री टी0एस0 चैहान ने कानून के शासन और आपराधिक न्याय व्यवस्था फेयर ट्रायल अधिकार की स्थापना विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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