मध्यस्ता एक ऐसा अनोखा और अनूठा उपाय है जिसमें विवादित पक्ष स्वयं निर्णय लेता है वह आपसी सहमति से समझौता करता है जिसमें तीसरे पक्ष का कोई विशेष महत्व नही रहता है । ऐसे वादों में दोनो ही पक्ष की जीत होती है जबकि अदालत द्वारा लिए गये निर्णय में एक पक्ष की जीत होती है और दूसरे पक्ष की हार होती है।
उक्त विचार उच्च न्यायालय के मीडियेशन एण्ड कन्सिलियेशन सेन्टर के सचिव नीरज उपाध्याय ने दीवानी कचहरी में आयोजित मीडियेशन सेन्टर पर आयोजित कार्यशाला में टीम लीडर के रूप में व्यक्त किये।
उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित मीडियेटरों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपको कभी हताश और निराश नही होना होना है । जब दो पक्षो में आपस में विवाद होता है तो एक दूसरे के प्रति बहुत सी ऐसी बाते होती है जो आपस में नफरत पैदा कर दे देती है । तब दोनो पक्षों को आमने-सामने बैठा कर बात की जाती है तो धीरे-धीर उनके मन में भरी हुई नफरत निकल जाती है और दोनो के बीच समझौता हो जाता है । इस कार्य को सम्पादित करने में सबसे बड़ी भूमिका मीडियेटर की होती है।
कार्यक्रम का उद्घाटन स्पेशल जज डकैती राम कृष्ण शुक्ल ने दीप प्रज्वलित कर एवं माॅ सरस्वती को पुष्प अर्पित कर शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि अदालतों पर वादों के बढते हुए दबाब को लोक अदालत के माध्यम से कम किया जा सकता है जिसमें मध्यस्ता की एक बहुत बड़ी भूमिका होती है।
इस अवसर पर पारिवारिक न्यायाधीश सुदीप बनर्जी ने कहा कि परिवार में छोटी-छोटी बाते बड़ा रूप धारण कर लेती है और इगो के कारण एक हंसता-खेलता परिवार अलग रहने का निर्णय लेने के लिए तैयार हो जाता है जबकि इस स्थिति को मध्यस्ता के माध्यम से दूर किया जा सकता है । ऐसे बहुत से वाद सामने आये है जो एक दूसरे से बात नही करना चाहते थे किन्तु मध्यस्ता के कारण वह लोक अदालत के द्वारा हंसते हुए पुनः अपना घर बसाते है।
कार्यक्रम विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रभारी सचिव मुमताज अली ने सन् 2009 से 2013 तक मीडियेशन सेन्टर द्वारा निस्तारित किये गये वादों की विस्तृत जानकारी देते हुए अवगत कराया कि 2490 वादों में से 473 वाद मीडियेशन सेन्टर द्वारा निस्तारित कराये जा चुके है जबकि 119 वाद लम्बित है।
इस अवसर पर उच्च न्यायालय के मीडियेशन एण्ड कन्सिलियेशन सेन्टर की सह सचिव श्रीमती मृदुला त्रिपाठी, श्रीमती आरती, न्यायिक अधिकारीगण, मीडियेशन सेन्टर के लक्ष्मी चन्द बंसल, अमर सिंह, भारती चतुर्वेदी, गीतांजली, अरूण खुराना, मोहकम सिंह, नरेन्द्र प्रताप सिंह के साथ अनेकों मीडियेटर्स उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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