सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर आॅडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व एकता सत्संग’ में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका, प्रख्यात शिक्षाविद् व बहाई धर्मानुयायी डा. (श्रीमती) भारती गाँधी ने कहा कि ईश्वर बच्चों द्वारा की गई प्रार्थना को शीघ्रता से एवं अवश्य ही सुनते हैं। ईश्वर के अवतारों ने समय समय पर भिन्न भिन्न धर्मों में अपने को विभिन्न रूपों में प्रकट किया है। राम, कृष्ण, ईसा मसीह, गुरुनानक, पैगम्बर सबने अहिंसा एवं सत्य का पाठ पढाया है तथा धर्म की स्थापना हेतु अपने को बलिदान कर दिया है। उन्होंने बताया कि सूरदास जी ने कहा था कि न्याय युग का प्रारम्भ होने वाला है। इस युग में हरित क्रान्ति व श्वेत क्रांति के कारण अतिसंपन्नता रहेगी। ईश्वर अपने प्रत्येक बच्चे को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा एवं चिकित्सा आदि सभी सुविधाएं देना चाहते हैं, परन्तु उसकी पात्रता हमें स्वयं विकसित करनी होगी। इस अवसर पर सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती स्वप्ना मंशारमानी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
विश्व एकता सत्संग में आज सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस के छात्र-छात्राओं ने स्कूल प्रार्थना से शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत की। उन्होंने ‘राजा और उनका बीज’ लघु नाटिका प्रस्तुति के माध्यम से संदेश दिया कि सच्चाई एवं ईमानदारी के मार्ग पर चलने वाले को सफलता अवश्य मिलती है। जूनियर सेक्शन के बच्चों ने ‘अपने माँ-बाप का तू दिल न दुखा’ कव्वाली प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों की खूब तालियाँ बटोरी।
इस अवसर पर बोलते हुए सी.एम.एस. आर.डी.एस.ओ. कैम्पस की प्रधानाचार्या श्रीमती स्वप्ना मंशारमानी ने कहा कि ईश्वर से कुछ कहने या मांगने से पूर्व उन पर अटूट विश्वास रखना आवश्यक है। उन्होंने एक कहानी के माध्यम से समझाया कि ईश्वर विभिन्न रूपों में हमारी सहायता करते हैं, हमें वह पहचानने एवं जानने की जरूरत है। श्री हसन कमाल आब्दी जी ने कहा कि माँ का दर्जा खुदा के बराबर है क्योंकि माँ में ही ईश्वर के सारे गुण होते हैं। माँ ईश्वर की भाँति अपने बच्चों पर अपना सर्वस्व न्योछावर करती रहती है और बच्चे बड़े होकर माँ का अपमान करते हैं। श्री आब्दी ने मनुष्य का धर्म समझाते हुए कहा कि धर्म का पालन प्रेम एवं सहायता में निहित होता है न कि विशेष स्थान पर विशेष रूप से पूजा करना धर्म है। वरिष्ठ पत्रकार श्री वीर विक्रम बहादुर मिश्र ने कहा कि ईश्वर को उसके स्वरूप से नहीं बल्कि स्वभाव से जानिए। जहाँ करुणा एवं प्रेम है, वहीं ईश्वर का वास है। ईश्वर की कृपा सर्वत्र विद्यमान है। श्री प्रद्युम्न कुमार मिश्रा ने कहा कि पढ़ाई-लिखाई के साथ अगर बच्चों को सत्संग में लाकर ईश्वरीय बातें सिखाई जायें तो ऐसे बच्चे अद्भुद विकास करते हैं और सी.एम.एस. के बच्चे ऐसे ही बन रहे हैं। अंत में डा. भारती गाँधी ने सभी को धन्यवाद दिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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