प्रदेश के प्रमुख सचिव राजस्व एवं राहत आयुक्त श्री किशन सिंह अटोरिया ने सभी जिलाधिकारियों को सूखा कार्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों से इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाही की साप्ताहिक रिपोर्ट प्रत्येक सोमवार को राहत आयुक्त के नियंत्रण कक्ष में प्रेषित करने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अवर्षण की स्थिति में सभी सम्बन्धित अधिकारियों एवं विभागों की नियमित बैठक करते हुए परिस्थिति से निपटने की प्रभावी व्यवस्था की जाए।
श्री अटोरिया ने बताया कि जिलाधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया था कि स्थानीय आवश्यकताओं एवं संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए विभागवार प्राथमिकताएं चिन्हित की जाएं। साथ ही, पेयजल, चिकित्सा, खाद्यान्न, पशुओं के लिए चारा तथा मौसम के अनुरूप फसल चयन के लिए निर्धारित बिन्दुओं के अनुसार कार्य योजना तैयार कर अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा जिलावार सूखा कार्य योजना तैयार करने में जिन बिन्दुओं का अनुपालन सुनिश्चित करना था, उनमें मुख्य रूप से फसल चक्र में फसलों का बदलाव तथा उन्नत बीजों का उपयोग, फसलों की सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर विधि का प्रयोग करते हुए जल संरक्षण को बढ़ावा देना, कृषि के साथ ही अन्य प्रकार के रोजगार के अवसरों एवं परम्परागत उद्योग धन्धों को बढ़ावा देने, वैकल्पिक फसलों के साथ खाद एवं बीज के पर्याप्त प्रबन्ध तथा पेयजल के सभी स्रोतों एवं संसाधनों का उचित मरम्मत एवं उनका पूर्ण उपयोग करने हेतु कार्य योजना अवश्य तैयार कर ली जाए।
इसके अलावा खराब नलकूपों की समय से मरम्मत, पशुओं के पेयजल हेतु नहरों, राजकीय नलकूपों के साथ-साथ निजी नलकूपों के माध्यम से तालाबों एवं पोखरों के भरवाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए मनरेगा आदि योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन, खराब ट्रांसफार्मरों को निर्धारित अवधि में बदलने की व्यवस्था तथा रोस्टर के अनुसार निर्धारित समय में निर्बाध विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है। सिंचाई के सभी साधनों तथा सरकारी नलकूपों को चालू हालत में बनाए रखने तथा नहरों को रोस्टर के अनुसार संचालित करने के लिए भी कहा गया है। लोगों को लू, संक्रामक रोगों एवं महामारियों से बचाने के लिए आवश्यक व्यवस्था के साथ-साथ अन्य चिकित्सकीय इंतजाम सुनिश्चित करने, महामारियों के नियंत्रण हेतु वांछित दवाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा पशुओं के चारे की अभाव की स्थिति में इससे निपटने के लिए कार्य योजना तैयार रखने के लिए भी कहा गया है। पशु चिकित्सालयों में पशुओं के उपचार के संसाधन तथा दवाओं की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ आकस्मिकता की स्थिति में आवश्यक खाद्यान्न एवं उपभोक्ता वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है।
श्री अटोरिया ने बताया कि कुपोषण की स्थिति में इसके समाधान के लिए कार्य योजना तैयार करने, अग्निकाण्ड की स्थिति उत्पन्न होने पर अग्निशमन सेवाओं के तत्काल उपयोग की रणनीति तैयार करने, आपदा से प्रभावित व्यक्तियों को तत्काल राहत की व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ ही सूखे के सम्बन्ध में उत्पन्न स्थानीय परिस्थितियों के दृष्टिगत वांछित कार्यवाही करने के लिए भी कहा गया है। अब तक सभी जिलाधिकारियों द्वारा अपने जनपद की परिस्थिति के अनुसार सूखा कार्य योजना तैयार कर ली गई होगी। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से अपेक्षा की है कि वे भीषण गर्मी को देखते हुए लोगों को पेयजल इत्यादि की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित कराने के साथ-साथ पशुओं को भी पेयजल उपलब्ध कराने हेतु तालाबों एवं पोखरों को भरवाने की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं। उन्होंने आगाह किया है कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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