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सोनिया गांधी का प्यार पहली नजर का प्यार था।

Posted on 15 February 2010 by admin

{सोनिया गांधी लाभ के किसी पद पर आसीन नहीं, और यही उनका अपने प्यार के प्रति सबसे बड़ा प्रतिदान है}19sonia1-1_1250695810_m
जब पहली बार सोनिया ने एक हैंडसम इंजीनियरिंग स्टूडेंट को देखा तो वह मंत्रमुग्ध रह गईं। दोनों की नजरें मिलीं, और दिल धड़क उठे। बाद में सोनिया ने अपने परिवार वालों को पत्र में लिखा- मैं एक भारतीय लड़के से प्यार करती हूं।
प्यार किस्मत बदल देता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संदर्भ में यही कहा जा सकता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाती राजीव से उनकी मोहब्बत ने उन्हें सात समुंदर पार, एक अनजान देश में पहुंचाया। यहां एक बार पहुंची तो यहीं की होकर रह गईं।
राजीव गांधी से सोनिया का प्यार पहली नजर का प्यार था। वेनेटो, इटली में जन्मी सोनिया से राजीव गांधी की मुलाकात कैंब्रिज में हुई। सोनिया यहां अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई करने गई थीं, और राजीव ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ रहे थे। वहीं के एक ग्रीक रेस्त्रं में सोनिया ने राजीव को पहली बार देखा था।
सोनिया एक साधारण परिवार की लड़की थीं, और उन दिनों पढ़ने के साथ-साथ कैंब्रिज में पार्टटाइम काम भी कर लेती थीं। जब राजीव से वह पहली बार मिलीं, तब वह उस रेस्त्रां में काम करती थीं। जब पहली बार सोनिया ने एक हैंडसम इंजीनियरिंग स्टूडेंट को देखा तो वह मंत्रमुग्ध रह गईं। दोनों की नजरें मिलीं, और दोनों के दिल धड़क उठे। बाद में सोनिया ने अपने परिवार वालों को पत्र में लिखा- मैं एक भारतीय लड़के से प्यार करती हूं। वह एक स्पोर्ट्समैन है। नीली आंखों वाले ऐसे ही राजकुमार का मैं हमेशा से सपना देखती थी। इसके बावजूद सोनिया ने अपने दिल का हाल राजीव पर जाहिर होने नहीं दिया।
उधर राजीव भी सोनिया पर मर मिटे थे। प्यार का इजहार करने में उन्हें भी वक्त लगा। पर एक बार इजहार किया तो सात फेरों पर ही बात खत्म की। तब तक सोनिया को मालूम चल चुका था कि राजीव भारत के इतने बड़े राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
राजीव और सोनिया की मुलाकात 1965 में हुई थी और दोनों ने तीन साल बाद यानी 1968 में विवाह किया। इसके बाद सोनिया भारत की ही होकर रह गईं। 1970 में उन्होंने राहुल को, और 1972 में प्रियंका को जन्म दिया। हालांकि राजीव गांधी राजनीति में उतरे, और मां एवं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री भी बने, पर सोनिया राजनीति से दूर रहीं।
1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने देश की राजनीति में उतरने का फैसला किया। यह उनके प्यार का प्रतिदान था। पति राजीव जिस देश से प्यार करते थे, उसके हित के बारे में सोचते थे, उसी देश की सेवा के लिए सोनिया गांधी ने यह फैसला किया। अपने प्यार के प्यार को अंगीकार करना ही तो प्यार में सबसे बड़ा समर्पण है।
 

Vikas Sharma
bundelkhandlive.com
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