वाराणसी भारत का एक ऐतिहासिक शहर है। धर्म और संस्कृति के कोष ने खुद को भारतीयता का चिन्ह बना लिया है। बनारस का अतुल्य सौंदर्यए उसकी अपार गरिमा एवं मायाए सदियों से कवियोंए संगीतकारोंए कलाकारों और बुद्धजीवियों को अपनी ओर खींचती रही है। मंगलवार को उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय के वास्तुकला संकाय में इतिहास दोहराया गया। संकाय के छात्रों और शिक्षको ने मिलकर वाराणसी के घाटों और गलियों के सन्दर्भ में एक प्रदर्शनी आयोजित की।
ष्बनारस रिकनेक्टेडश् नामक प्रदर्शनी का उदघाटन श्श्री राजन शुक्ला, प्रमुख सचिव, सांस्कृतिक, उ0प्र0 सरकारश् ने किया। इस प्रदर्शनी के साथ प्रो0आर0के0खाण्डाल, माननीय कुलपति उ0प्र0प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ ने वाराणसी के विषय में छात्रों एवं शिक्षकों द्वारा संकलित एक प्रबंध पुस्तिका का विमोचन भी किया। संकाय के प्राचार्य, प्रो0जगबीर सिंह के दिषा-निर्देशन एवं सहयोग से इस विस्तृत प्रलेखन का संकलन चतुर्थ एवं पंचम वर्ष के छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय के पिछले दो सत्रों में किया गया है। अपने प्रकार का यह एक सबसे विस्तृत और सम्पूर्ण प्रलेखन है। इसका उद्देश्य वाराणसी की सांस्कृतिक और वास्तविक धरोहर को समझना है। इतिहास से सीख लेकर भविष्य को सवारने की क्षमता हर आर्किटेक्ट में होनी चाहिए। छात्र एवं अध्यापक पिछले वर्ष से इस संकलन में लगे हुए हैं। संकलन का नेतृत्व डा0वन्दना सहगल, आर्कि0रितु गुलाटी, आर्कि0रजत कान्त, आर्कि0राकेश पैजवार, आर्कि0वैभव बक्शी और आर्कि0आषीष गौतम ने किया
इस अवसर पर प्रो0पी.के.सिंह-निदेशक, ए.एस.आई., सुश्री अनुराधा संयुक्त सचिव, सांस्कृतिक-उ0प्र0सरकार, जानेमाने फोटोग्राफर-श्री रवि कपूर, श्री के.के.अस्थाना, चीफ आर्किटेक्ट, निर्माण निगम, प्रो0सेवा राम अग्रवाल, आर्कि0मोहित अग्रवाल, आर्कि0विशाल गुलाटी एवं आर्कि0विपुल वाष्र्णेय भी पधारे। लखनऊ एवं आस.पास के सभी वास्तुकला विद्यालयों मे निमंत्रण भेजे गए हैं। यह प्रदर्शनी १८ अप्रैल, 2014 तक लगी रहेगी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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