पुस्तक मेले में आज रविवार को ‘महात्मा, नेहरू एण्ड बियांड’ अंग्रेजी पुस्तक का लोर्कापण करते हुए वरिष्ठ पत्रकार विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि सच्चे इतिहासबोध के आधार पर ही राष्ट्र एकजुट रहते हैं और शक्तिशाली बनते हैं। अतिप्राचीन राष्ट्र होने के कारण भारत का सुदीर्घ इतिहास है। इतिहास संकलन का भारतवासियों का अपना अंदाज है। अंग्रेजी सत्ता ने ऋग्वेद सहित सम्पूर्ण वैदिक साहित्य, पुराण, रामायण व महाभारत को इतिहास नहीं माना। जबकि पार्जीटर जैसे विद्वानों ने पुराणों में इतिहास की सामग्री होने का दावा किया है।
श्री दीक्षित ने कहा कि अमेरिका प्राचीन राष्ट्र नहीं है। 1774 के पहले अमेरिका नाम का राष्ट्र नहीं था। कुछेक राज्यों ने मिलकर राष्ट्र बनाया। अमेरिकी विद्वान अपना राष्ट्रभाव ठीक करने के लिए प्राचीन इतिहास के संकलन में काम कर रहे हैं। सेमुअल हंटिग्टन की किताब ‘हू आर वी’ इसी का प्रमाण है। अलबेरूनी ने भारतवासियों पर आरोप लगाया था कि वे इतिहास संकलन को लेकर गंभीर नहीं रहे। सच ऐसा नहीं है। भारत इतिहास संकलन को लेकर सजग था। इतिहास संकलन की शैली भिन्न थी। उन्होंने लोकर्पित पुस्तक में महात्मा गांधी, नेहरू और अन्य क्रान्तिकारियों से जुड़े तथ्यों को एक जगह समेटने और तमाम दस्तावेजी साक्ष्य देने के लिये लेखक की प्रशंसा की। कहा कि लेखक के निष्कर्ष से सहमत या असहमत होना अलग बातें हैं लेकिन देश की नई पीढ़ी को अपना इतिहासबोध संवारने के लिये लगातार इतिहास को खंगालते रहना चाहिए।
इस अवसर पर सर्वश्री लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योर्तिविज्ञान विभाग के प्रवक्ता डाॅ0 बिपिन पाण्ेडय, पुस्तक मेले के आयोग मनोज चंदेल, प्रताप सिंह, इंजीनियर राम प्रकाश, प्रताप चन्द्रा, शीला पाण्डेय, पूर्णिमा, विनोद जायसवाल आदि अनेक लोग उपस्थित रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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