सरकार मच्छरों से होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए कमर कस के तैयार है लेकिन जब तक आम जनता अपने घरों के आस.पास मच्छरों को पनपने से नहीं रोकेगी तब तक इन बीमारियों पर पूरा नियंत्रण मुमकिन नहीं होगा। आज विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉण् एण्एस राठौर ने कहा कि विभाग मच्छरों से होने वाली बीमारियों जैसे डेंगूए मलेरियाए चिकनगुनियाए फाइलेरिया औऱ दिमागी बुखार से लड़ने के लिए पूरी तैयारी के साथ मुस्तैद है। लेकिन मच्छरों के पनपने वाली जगहों को खत्म करना जरूरी है औऱ इसके लिए आम जनता की भागीदारी बेहद आवश्यक है। उत्तर प्रदेश में वेक्टर जनित बीमारियों की हालत और उनकी रोकथाम के लिए किये जा रहे उपायों की जानकारी देते हुए श्री राठौर ने बताया कि पूरे प्रदेश में चिकनगुनिया का सिर्फ एक मामला पिछले साल सामने आया थाए वहीं कालाजार के सिर्फ 11 मामले सामने आये थे और वो भी बिहार से जुड़े सीमावर्ती इलाकों में। फाइलेरिया के लिए भी विभाग लगातार दवाएं खिलाने का अभियान छेड़े हुए है और प्रदेश के पचास जिलों में से सिर्फ पांच जिलों में ही अब ये रोग रह गया है। अगले साल तक योजना इस रोग के प्रतिशत को एक से भी कम तक लाने की है। इसके लिए विभाग लगातार इन जिलों में रात्रिकाली कैंप लगा रहा है ताकि खून के नमूने लिये जा सकें।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में महामारी की तरह फैलने वाली दिमागी बुखार की बीमारी के लिए भी पूरी तैयारी कर दी गई है। पिछले साल इस बीमारी के 3096 मामले सामने आये थे जिसमें से 609 मौतें हुई थीं। लेकिन इस बार तराई के इलाकों के सभी मेडिकल कॉलेजों में इसकी जांच किट औऱ दवाएं पहले से ही पहुंचाई जा चुकी हैं। विभाग को आशंका है कि हर तीन से चार साल बाद भयंकर रूप लेने वाली ये बीमारी इस साल ज्यादा फैल सकती है। इसी तरह डेंगू और मलेरिया से रोकथाम के लिए भी दवाएं और जरूरी उपकरण तैयार कर लिए गए हैं। इसके लिए हर जिले के अस्पताल में डेगूं वार्ड बनाने के लिए 50 हजार रुपये का अनुदान भी दिया गया है। यही नहीं मलेरिया के इलाज में भी 2010 के बाद से नई तकनीक रेडिकल ट्रीटमेंट का सहारा लिया जा रहा है। डेंगू की पहचान के लिए भी प्रदेश में 25 लैब तैयार रखी गई हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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