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अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनार में उमड़ा जन सैलाब कई वक्ताओं ने प्रकट किये विचार क्या है - ’’आधुनिक शिक्षा में धर्म का योगदान’’

Posted on 07 April 2014 by admin

आधुनिक शिक्षा में धर्म का योगदान’’ विषय पर हुए अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनार में आज दुसरे दिन तनज़ीमुल मकातिब गोलागंज कैम्पस में अरबी फारसी मदरसा बोर्ड, उत्तर प्रदेश के चेयरमैन क़ाज़ी ज़ैनुससाजदीन की सदारत में आयोजित कार्यक्रम में कई धर्म गुरूओं, वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किये वहीं तनज़ीमुल मकातिब स्मारिका का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर देश के कोने कोने से आये छात्रांे व छात्राओं ने तालीमी मुज़ाहेरा किया, ईरान व ईराक़ की जि़यारत गाहों पर जाने के लिए कुरांदाज़ी की गई वहीं कई लोगो को समाज में अपने अच्छे खि़दमात के लिए अवार्ड मौलाना सफी हैदर ने दिये। मौलाना कल्बे जवाद ने भी पहुँच कर इस कार्यक्रम की सराहना की।
इस मौके पर मेडिकल कैम्प व किताबों की प्रदर्शनी भी लगाई गयी। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने किताबे खरीद कर डिस्काउन्ट का फायदा उठाया आज सेमीनार के कार्यक्रम में देश के जाने माने ज़ीशान अली ने निज़ामत करते हुए नाजि़म ने कहा दीन के पास ग़ीबत व झूठ का इलाज का इलाज है जो किसी मेडिकल के पास नहीं है। ख़ौफे ख़ुदा जब तक पैदा नहीं होगा बुराई ख़त्म नहीं हो सकती इल्म का जमाल उसे फैलाना है, इसका फल अमल है, इस्लाम फितरत है।
प्रोफेसर अख़्तरूल वासे विभागाध्यक्ष उर्दू जामिया मिल्लिया, दिल्ली ने कहा इकरा का मंत्र पहले आया हम जिसको मानते है इस्लाम में इल्म नाफ़े व ग़ैर नाफ़े होता है। इल्म नाफ़े के साथ ग़ैर नाफे को भी समझना चाहिये तभी दोनो में फर्क समझ में आयेगा। दीन की शिक्षा दुनिया की शिक्षा से अलग नहीं होती। दुसरे की पीठ पर बोझ नहीं बनना चाहिये यह हमारे रसूल (स0अ0) पसन्द नहीं करते थे।
आॅल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डा0 कल्बे सादिक ने कहा पशुओं और इंसानों में एक फर्क होता है घोड़ा घोड़ा पैदा होता है हाथी हाथी पैदा होता है मगर जब इंसान पैदा होता है वो इंसान नहीं होता इंसान को इंसान बनना पड़ता है उसकी सही तरबियत होती है तो वो सही रास्ते पर होता है दुनिया इस्लाम में अब आँखें खोल रही है पैदाइश के साथ ही उसे एजूकेशन से दूर न रखा जाये।
डाॅ0 कल्बे सादिक ने कहा हज़रत अली (अ0) ने फरमाया इस्लाम का पैग़ाम है- ऐ मनुष्य तू अपने को किसी की गुलामी में न दे। आज़ादी और आवारगी में ज़रा सा फर्क होता है आवारगी इंसान को जानवर बना देती है। धर्म क्या है ? क्या पूजा पाठ या नमाज़ का नाम है ? वो तो अलक़ायदा भी पढ़ते है जिनका इस्लाम से कोई तआल्लुक नहीं, रोज़ा, हज व और दिगर काम मज़हब नहीं होता दीन जन्तरी से नहीं समझ सकते, दीन समझना है तो र्कुआन से समझो ये अली (अ0) का फरमान है हज रोज़ा नमाज मुस्लमान होने की गारन्टी नहीं, पैदा करने वाला सबका एक है रिज़्क देने वाला सबका एक है इज़्ज़त व जि़ल्लत देने वाला सबका एक है, रिज़्क ख़ुदा ने दिया लेकिन जबसे सरकारें बाँटने लगी 65 साल बाद भी आधी जनता भूखी रह जाती है क्योकि भ्रष्ट लोग बाँटने वाले है इस लिए बाँटने वाले की गलती है जब ईमानदार बाँटने वाला होता है जैसे माँ के पेट में बच्चा ईमानदारी से रिज़्क पाता रहता है जिससे ग्रोथ होता है।
लईक़ रिज़वी डिप्टी एडिटर आलमी सहारा ने कहा तालीम इंसान में शऊर पैदा कर उसे सही रास्ते पर चलने का सलीका देती है। क्योकि जेहालत से बड़ी कोई गुरबत नहीं। गुलामी की बेडि़यां तो कबकी कट गई लेकिन जेहालत की बेडि़यां अभी भी जकड़े है।
जदीद मरक़ज़ के सम्पादक हिसाम सिद्दीकी ने दीन और दुनिया एक ही है दीन से ही हम दुनिया भी पा लेते है लेकिन दुनिया से दीन नहीं मिल सकता ईरान से अमेरिका इस लिए डरता है कि ईरान अल्लाह से डरता है और किसी से नहीं डरता इसी तरह इंसान भी अगर अल्लाह से डरेगा तो वह साइंस कि इजादो का सही इस्तेमाल करे गा जिससे इंसानियत को फायदा होगा।
जनाब शेख़र तिवारी इलेक्ट्रानिक इन्जिनियर ने कहा रोमन ने इस समाज को बाँटने का काम किया। मज़हब और शिक्षा दोनो भाई है इन्हें अलग नही करना चाहिये।
मकतबे इमामिया छपरा की तालिबे इल्म बच्ची ने अपनी तकरीर के ज़रिये तनज़ीमुल मकातिब पर रौशनी डाली। मदरसा जलालपुर के बच्चों ने सूरए हम्द की तफ़सीर व तरजुमा अलग अलग ज़बानो में सुनाया। फ़ैज़े अबूतालिब के बच्चों ने इल्मे दीन व इल्म के फर्क को बताते हुए कहा दौलत इंसान को मुरदा कर देती है (हैवान, सद्दाद, नमरूद बना देती है) इल्म अक़्ल को रौशन करता है इल्म तो इल्म है इसकी हर दौर में बरतरी रही है।
मकतबे आइम्मा बरसरे आइम्मा आज़म गढ़ के बच्चों ने सवाल जवाब पेश किये जिससे मौजूद सामईन इतना खुश हुए कि कई लोगो ने अलग अलग बच्चों की हौसला अफ़्ज़ाई की।
मेमन सादात से आई बच्चियों ने हदीस के ज़रिये नमाज़ की फज़ीलत बयान की फाएदे गिनाया नमाज़ न अदा कर दूसरे काम अंजाम देने से व नमाज़ को अहमियत न देने से नुकसान भी बताया।
मिस्बाहुल इल्म इन्द्रिरा नगर, लखनऊ कि बच्ची ने पड़ोसी के हुकूक़ के बारे में बताते हुए कहा पड़ोसियों के साथ ये एहसान नही ंके तुम उनपर नेकी करों बल्कि उनकी सख्तियों को भी बरदाश्त करों।
मकतबे इमामियां के बच्चों (फरहान अब्बास व अकबर हुसैन) ने सवाल जवाब पेश किये।
लखनऊ नूरबाड़ी से कनीज़ फातिमा ने इताअते वालेदैन पर बेहतरीन मुज़ाहेरा पेश किया किन किन बातों से परहेज़ करना चाहिए किन किन बातांे पर अमल करना चाहिए।
इस अवसर पर मौलाना डाॅ0 कल्बे सादिक साहब, मुख्तार तेजानी, अकबर तेजानी, मोहम्मद हसन ज़ैदी, अली अहमर ज़ैदी, एस मेहरा एडवोकेट, डाॅ0 असद अब्बास, कायमुल हसनैन, डाॅ0 आसिफ आबदी, सहाफत के एडिटर अमान अब्बास, अवधनामा के वक़ार रिज़वी, हुसैनी चैनल के रफ़त आलम को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा ईरान-ईराक़ की जि़यारत के लिये सीतापुर के मेक़दाद रज़ा ज़ैदी, मनसूर नगर लखनऊ के जाफर अब्बास, जरगांवा के मिनहाल हैदर ज़ैदी और अम्बेदकर नगर जलालपुर के अली हैदर का नाम कुरांदाज़ी में निकला।
वही बीती रात इस सेमीनार में अल्लामा शमीमुल हसन साहब कि अध्यक्षता मे तिलावते कलामे पाक के साथ समपन्न हुआ जिसमें ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिस्ती अरबी फारसी युनिवर्सिटी के वाईस चांसलर अनीस अंसारी ने कहा दीन हिदायत का काम करता है अस्री तालीम जि़न्दगी को आसानतर बनाने में मद्द देती है। दोनांे में कोई तज़ाद या जंग नहीं है। कोई भी इल्म जो नाफ़े हो जो खुदा की वहदानियत और नेक अमली की तरफ ले जाता हो बरहक है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि अस्री तालीम का हुदूद वसी करने में मद्द दें।
वन राज्यमंत्री फरीद महफूज़ किदवई की मौजूदगी अरबी फ़ारसी मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष क़ाज़ी ज़ैनुस साजेदीन ने कहा तनज़ीमुल मकातिब के इस जलसे में शिरकत होने के लिए बाइसे इज़्ज़त है। मदारिस हमारे समाज में इसलिए अहमियत रखते है कि वो नेज़ामे हयात जो अल्लाह के तरफ से रसूलों के द्वारा आया उसकी तालीम इन मदारिस में दी जाती है। कऱ्ुआन व हदीस की तालीम इसके नेसाब का अहम हिस्सा है। तालीम के साथ साथ तरबियत भी ज़रूरी है ताकि ऐसे अफराद तय्यार करें जो समाज में इन्साफ, अमन, मोहब्बत, और भाईचारा फैलाने के लिए काम करें।
पुर्व विभाग अध्यक्ष उर्दू लखनऊ युनिर्वसिटी प्रोफेसर अनीस अशफ़ाक़ ने कहा मौजूदा अहद की तालीम में दीन का किरदार पहले से ज़्यादा अहम हो गया है। देखा जाये तो दीन और तालीम यक्साँ इंसानी और अख़्लाकी एकदार की फहम अता करते है। लेकिन आज की तालीम अपना असल किरदार बतरिक़े एहसन अदा नहीं कर रही है। इस लिए पूरी दुनियां में किरदार का बोहरान पैदा हो गया है। इस लिए ज़रूरी है कि साअ़लेह दीनी एक़्दार से पूरी तरहा रौशनास कराया जाये ताकि नये ज़माने का इंसान अपनी किरदार साज़ी का अमल अंजाम दे सके।
दिल्ली से आये स्वामी अग्निवेश ने कहा करेक्टर बदले जबतक करेक्टर नहीं बदलता कुछ बदलने वाला नहीं ऊपर वाला इंसान बनाकर भेजता है परमातमा सच है घृणना नफरत बुराई से लड़ना मेरी इबादत है।
इसके अलावा मुम्बई से आये मुख़तार तेजानी ने भी तकरीर किया, जदीद मरकज़ के सम्पादक हिसाम सिद्दीकि़, जिनमें रज़ा सिरसिवी, जर्रार हैदर ज़ैदी, बेताब हल्लौरी, नायाब बलयावी, ज़फ़र आज़मी ने भी अपने कलाम पेश किये।
इस मौके पर सुचना एवं प्रोधागिकी मंत्री अभिषेक मिश्रा ने भी पहुँच कर अपने विचार प्रकट किये।
अंत में मौलाना सफी हैदर ने सभी का अभार प्रकट किया

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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