मोती महल वाटिका में चल रहे ‘लखनऊ बुक फेयर’ में प्रख्यात साहित्यकार व लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा लिखित पुस्तकों के स्टाल नं. 151 का भव्य उद्घाटन आज प्रख्यात शिक्षाविद् व सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक डाॅ. जगदीश गाँधी ने किया। बैण्ड-बाजे की सुमधुर ध्वनियों, तालियों की गड़गड़ाहट एवं उल्लास व उत्साह से लबालब सैंकडों की तादात में उपस्थित जनसमूह के बीच डा. गाँधी ने फीता काटकर स्टाल नं. 151 का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में डा. गाँधी ने कहा कि पं. हरि ओम शर्मा द्वारा लिखित पुस्तकें भावी पीढ़ी के लिए जीवन मूल्यों व व्यक्तित्व विकास की कुंजी हैं जो उन्हें सफलता के सोपान पर पहुंचने को प्रेरित करती हैं। डा. गाँधी ने आगे कहा कि पं. शर्मा की पुस्तकें वैसे तो समाज के लिए सभी वर्गों के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं परन्तु युवा पीढ़ी एवं खासकर छात्रों के लिए यह पुस्तकें किसी वरदान से कम नहीं हैं जो युवा पीढ़ी को जीवन में आगे बढ़ने व सफलता के शिखर पर पहुचाने हेतु क्रान्तिकारी सृजनात्मक विचार देने में सक्षम है।
इससे पहले स्टाल नं. 151 का शुभारम्भ माता-पिता की आरती से हुआ, जिसकी रचना स्वयं पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने ही अपनी कलम से की है तथापि जिसे पं. शर्मा ने स्वयं, उनकी पत्नी व उपस्थित जनसमूह ने सस्वर गाकर जीवन मूल्यों व संस्कारों की अमिट छाप छोड़ी। दरअसल प्रदेश के इस ख्यापि प्राप्त पुस्तक मेले में पं. शर्मा की पुस्तकों के स्टाल ने पुस्तक प्रेमियों, अभिभावकों, माता-पिता, छात्रों, शिक्षकों व युवा पीढ़ी के लिए अपनी साँस्कृतिक विरासत, जीवन मूल्यों, संस्कारों व सामाजिक सरोकारों के नये द्वार खोल दिए हैं। इस स्टाल पर पं. शर्मा द्वारा लिखित पुस्तकें ‘जागो, उठो, चलो’, ‘अवेक, एराइज, असेन्ड’, ‘जड़, जमीन, जहान’, ‘हार्वेस्ट आॅफ ह्यूमन वैल्यूज’, ‘जिद, जुनून, जिन्दादिली’, ‘अपना रास्ता खुद बनायें’, ‘कैसे बनें सफल माता-पिता’, ‘सच करें सपने’ एवं भजन व आरती संग्रह पाठकों के लिए उपलब्ध है।
इस अवसर पर आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पुस्तकों के लेखक व प्रख्यात साहित्यकार पं. हरि ओम शर्मा भी पत्रकारों से रूबरू हुए एवं पुस्तकों के लेखन व विषयवस्तु को पत्रकारांे के समक्ष रखते हुए कहा कि किताबों से अच्छा कोई दोस्त नहीं है, किताबों से अच्छा कोई मार्गदर्शक नहीं है, लेकिन यह तभी संभव है जब आप किताबों को सिर्फ पढ़ें ही नहीं अपितु जीवन में भी उतारें। पाठकों का आभार व्यक्त करते हुए पं. शर्मा ने कहा कि मैं सभी पाठकों का हृदय से आभारी हूँ जिनके अपार सहयोग की बदौलत ही मेरी सभी पुस्तकें अल्प समय में देश विदेश में लोकप्रिय हुई हैं। पं. शर्मा ने कहा कि पुस्तक को लिखने की प्रेरणा मुझे अपने पूज्य माता-पिता स्व. श्री मिहीलाल शर्मा व श्रीमती रेशम देवी जी से मिली और यह उन्हीं के आशीर्वाद का सुफल है कि आज सभी पुस्तकें अत्यन्त लोकप्रिय हैं।
इस अवसर पर स्टाल प्रबन्धक श्री राजेन्द्र चैरसिया ने बताया कि पं. शर्मा की पुस्तकें ‘रचनात्मक विचारों, जीवन मूल्यों, संस्कारों व सामाजिक सरोकारों के अनूठे संग्रह के लिए केवल अपने देश में ही नहीं, अपितु पड़ोसी देशों यथा नेपाल, मारीशस आदि में भी ख्यातिप्राप्त हैं। यह पुस्तक समाज को जोड़ने वाली एवं आज के बदलते सामाजिक परिवेश में बच्चों की सही परवरिश के लिए मददगार हैं। उन्होंने बताया पं. शर्मा की पुस्तकों को पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, पूर्व राष्ट्रपति डा. (श्रीमती) प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ एवं माॅरीशस के राष्ट्रपति श्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने भी सराहा है। श्री चैरसिया ने लखनऊवासियों से अपील की कि अधिक से अधिक संख्या में स्टाल 151 पर पधारकर उच्च जीवन मूल्यों से ओतप्रोत पुस्तकों का अवलोकन करें एवं उन्हें अपने बच्चों को उपलब्ध करायें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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