नरकीय जिन्दगी गुजारने को मजबूर है इण्टरनेषनल हास्टल के छात्र

Posted on 05 April 2014 by admin

इण्टरनेषनल हास्टल जिसकी पहचान इलाहाबाद विष्वविद्यालय मे अलग ही है क्यों कि इस हास्टल मे विदेषी छात्र रहते है जो विष्वविद्यालय मे षिक्षा ग्रहण करने आते है और पढाई पूरी करने के बाद वापस चले जाते है और साथ मे सहेज कर ले जाते है यहा की संस्कृती और सभ्यता और अपने देष मे हमारे देष का आइना प्रस्तुत करते है। किन्तु इन छात्रो के लिये बने इस हास्टल मे सुविधाओं के नाम पर कुछ नही है इसकी हालत देखकर कही से भी इसका नाम सार्थक नही लगता,ऐसा प्रतीत होता है मानो एक गन्दा लाॅज हो। पूरा परिसर गन्दगी से भरा पडा है,षौचालय और बाथरुम की हालत दयनीय है परिसर मे स्थित मैदान इतना गन्दा है कि साप व विच्छू अक्सर नजर आते है। हास्टल के वार्डन को तो जैसे कोई मतलब ही नही है और वि.वि. प्रषासन जानता भी है कि नही यह वही जाने। यहा तो विदेषी छात्र है जो हो-हल्ला करेगें नही, जैसे चलता है चलने दे। एैसा भी नही है कि इस हास्टल को पैसे की कमी है, इस हास्टल के मद मेे पैसे भी खुब आते है, आखिरकार इस हास्टल के मद के पैसे का हो क्या रहा है? इस हास्टल के पास मे ही वि.वि. के प्रोफेसरों का आवास भी है और वार्डन का भी, क्या उनकी जिम्मेदारी नही बनती। इस हास्टल मे सुविधाओं के नाम पर वाई फाई के अलावा और कुछ नही दिखाई देता। कब तक इन विदेषी छात्रो के जीवन से विष्वविद्यालय प्रषासन खिलवाड करता रहेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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