जनता की सबसे बड़ी पंचायत 16वीं लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। मई,2014 के अंत तक नई केन्द्र सरकार का गठन भी हो जाएगा। देश की राजनीति में यह चुनाव नई भूमिका रचने वाले होगें। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। लगभग 20 करोड़ की जनसंख्या और देश की सर्वाधिक 80 संसदीय सीटो वाला यह राज्य सदैव देश की राजनीति का भी केन्द्र बिन्दु रहा है इसलिए इन चुनावो में प्रदेश के मतदाताओं की भी महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका होगी। राज्य की जनता को यह भी जिम्मेदारी उठाना है कि वह राजनीति को गलत मोड़ पर जाने से रोके और अपना भाग्य उन हाथो ंमें सौंपे जो देश को लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के संविधान सम्मत मार्ग पर चला सके।
देश आज गम्भीर स्थितियों से गुजर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था डाॅंवाडोल है और सीमा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। केेन्द्र की आर्थिक नीतियों के कारण मंहगाई और भ्रष्टाचार ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। सामाजिक एवं राजनीतिक मूल्यों में गिरावट के कारण समाज का तानाबाना बिगड़ रहा है। देश को सबसे ज्यादा उम्मीद नौजवानो से हैं लेकिन वह बेकारी और रोजगार के अवसरों की कमी से अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
इस देश पर सर्वाधिक समय तक कांग्रेस ने राज किया है लेकिन उसकी दृष्टि कभी विकास परक नही रही है। कांग्रेस ने गरीबी हटाओ के नाम पर गरीबों को गरीब बनाया और प्रगति के नाम पर पूंजीघरानो को आगे बढ़ाने का काम किया है। आश्चर्यजनक है कि भारत अरबपतियों के लिहाज से तो पांचवे स्थान पर है किन्तु गरीबी, निरक्षरता और कुपोषण में वह दुनिया के निचले पायदान पर खड़ा दिखाई देता है। पिछले 10 वर्षो में कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने सिर्फ घोटाले किए हैं। अपने स्वार्थ साधन में लोकसभा के अंतिम दिन तो कांग्रेस ने पूरे देश को शर्मसार किया। लोकसभा के दरवाजे बंद करके और टीवी का प्रसारण रोककर तेलंगाना का बिल जिस तरह पास किया गया वह लोकतंत्र के लिए खतरा है। आंध्र का विभाजन कर कांग्रेस ने अलगाववाद को बढ़ाया है जबकि छोटे राज्यों के गठन को समाजवादी पार्टी ने कभी उचित नहीं माना है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों सत्ता को अपने हितो की पूर्ति के लिए इस्तेमाल करनेवाले दल हैं। देश के हालात को बदलने की उनमें न तो क्षमता है और नहीं साहस है। दोनों दलों की सरकारों ने देश को अंदर-बाहर से कमजोर करने का काम किया है। इनकी आर्थिक और विदेश नीति एक है। चीन ने एक लाख वर्ग किलोमीटर हमारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। संसद में संकल्प के बावजूद उसे वापस लेने की इच्छाशक्ति किसी ने नहीं दिखाई है। अब चीन अरूणाचल समेत हमारे और ज्यादा भूभाग पर अपनी नजरे गड़ाए है। सरकार की लचर नीतियों के फलस्वरूप चीन हमारे बाजार पर भी हावी होता जा रहा हैं। पड़ोसी देशों से भी हमारे संबंध प्रगाढ़ नहीं रहे है। संसद में चीन के रवैये पर श्री मुलायम सिह यादव ने कई बार केन्द्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि सेना बहादुर है, सरकार डरपोक देश के अंदरूनी हालात भी चिंताजनक हैं। किसान, जो अन्नदाता है, बदहाल है। उसे फसल का लाभप्रद मूल्य नहीं मिल पा रहा है। सरकारी गोदामो में अन्न सड़ रहा है या चूहे खा रहे हैं किन्तु केन्द्र सरकार गरीबों को अनाज बांटने से इंकार करती हैं। कुपोषण से बच्चो की मौतें हो रही हैं। केन्द्र सरकार की योजनाएं सिर्फ जनता को लुभावने सब्जबाग दिखानेवाली हैं। इनसे गरीब का, किसान का कोई भला होनेवाला नहीं है।
उत्तर प्रदेश की ताकत को समझते हुए कांग्रेस और भाजपा दोनों यहां के मतदाताओं को भरमाने और बरगलाने में लग गए है। कांग्रेस-भाजपा के पीछे कारपोरेट घरानों की ताकत लग गई है। चुनाव को धनबल से जीतने की यह साजिश लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। करोड़ो रूपए खर्च कर प्रचारतंत्र के बूते बुनियादी मुद्दो को किनारे कर नए नए लुभावने नारे दिए जा रहे हैं। कांग्रेस को भ्रम है कि वह जनता से अपने काले कारनामो को छुपा लेगी और भाजपा अपने सांप्रदायिक चेहरे पर नकाब डाल सकेगी। उत्तर प्रदेश में बसपा को जनता ने पहले ही सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
कांग्रेस और भाजपा से मिलकर उत्तर प्रदेश में बसपा की भ्रष्टाचार का कई बार की सरकरो ने रिकार्ड तोड़ डाला। गुजरात में जाकर बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री ने मोदी के पक्ष में प्रचार किया। उसके पांच साल के राज में पत्थरों, पार्को, स्मारकों पर जनता का धन लुटाया जाता रहा। विकास पूरी तरह अवरूद्व रहा। बसपा मुख्यमंत्री के दरवाजें सबके लिए बंद रहे। बसपा के मंत्री, विधायक लूट, बलात्कार में लगे रह और उनमें कई जेल में हैं।
देष की राजनीति के लिए साप्रदायिकता एक बड़ा खतरा है। इन कट्टरवादी ताकतों ने ही देश का विभाजन कराया और देश की अंदरूनी ताकत को कमजोर किया। जाति ने इस देश में समाज को जड़ बनाया तो सांप्रदायिकता ने देश का सामाजिक सौहार्द तोड़कर रख दिया। समाजवादी पार्टी ने प्रारम्भ से ही दोनों मोर्चो पर लड़ाई लड़ी है। इसने समाज के पिछड़ों और अति पिछड़ों को सम्मान और अवसर देने का काम किया। उत्तर प्रदेश में 17 पिछड़ी जातियों को सरकारी योजनाओं में 7Û5 फीसद हिस्सेदारी दी। सामाजिक न्याय का अभियान चलाया। सच्चर कमेटी ने मुसलमानो की हालत दलितो से भी बदतर बताई तो उनको भी मुख्यधारा में लाने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपनी सरकारो में उनकी भाषा और संस्कृति को सुरक्षा दी और रोटी-रोजी के साथ सत्ता में भागीदारी भी दी।30 विभागों में संचालित 85 योजनाओं को सम्मिलित करते हुए इनमें 20 प्रतिशत हिस्सेदारी अल्पसंख्यकों को दी जा रही है। आवास योजनाओं में भी उन्हें 20 प्रतिशत आवास मिलेगें।
देश-प्रदेश के मतदाताओं को यह बात समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस और भाजपा की नीतियों से देश का की आर्थिक राजनैतिक एवं सामाजिक विकास नहीं हो सकेगा। विकास दर में निरंतर गिरावट से बेरोजगारी और कई अन्य सामाजिक समस्याओं का जन्म हो रहा है। 12वीं योजना में 9 फीसदी विकास दर का लक्ष्य रखा गया था जो 4Û7 फीसद पर अटक गई है। निवेश में कमी से पूंजी निर्माण में गिरावट आ रही है। वर्ष 2013 में यह गिरावट एक फीसदी पर पहुॅच गई। 1Û38 लाख करोड़ का उसपर भारी कर्ज है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने अ0भा0 व्यापारियों के संघ में संगठित रिटेल, बाजारवादी प्रतिस्पद्र्धा, आधुनिकीकरण और तकनीक के उपयोग की नसीहत देकर साफ कर दिया है कि भाजपा के लिए स्वदेशी का एजेण्डा अब खाली किताबों में रह गया है।
आज के राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस सब से कमजोर हालत में है। उसमें अपना अस्तित्व बचाने की छटपटाहट हैं। धर्मांध राजनीति के प्रणेता गुजरात में मुस्लिमो के नरसंहार के पाप से मुक्त नहीं हो सकते हैं। उनकी सांप्रदायिक विचारधारा देश को कभी स्वीकार्य नहीं हो सकती है क्योंकि उनके सत्ता में आने का मतलब होगा देश में विघटन और विद्वेष की शक्तियों को बढ़ावा देना। यह बहुत गम्भीर खतरा है देश की एकता और अखंडता के लिए भी। समाजवादी पार्टी की गरीबों, किसानों, पिछड़ों और नौजवानों तथा मुसलमानों के लिए स्पष्ट नीतियां है। प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध कर समाजवादी पार्टी ने समाज को विखंडित होने से बचाने का काम किया है।
वर्ष 2012 के विधान सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता ने समाजवादी पार्टी को बहुमत दिलाकर सरकार बनाने का अवसर प्रदान किया। समाजवादी सरकार ने अपने घोषणा पत्र के सभी वायदो को लगभग दो वर्ष में ही पूरा करते हुये यह साबित कर दिया है कि समाजवादी सोच की सरकार देश और प्रदेश के विकास के लिये कटिबद्व होकर कार्य करने की क्षमता रखती है। समाजवादी सरकार ने किसानो को मुफ्त सिंचाई की व्यवस्था कर दी है। किसानों का लगभग 1650 करोड़ रू0 की छूट प्रदान करते हुये उनके भूमि की नीलामी करने पर रोक लगा दी है। कन्या विद्याधन, बेरोजगारी भत्ता, लैपटाप वितरण, मुस्लिम लड़कियों को आर्थिक मद्द, महिलाओं की सुरक्षा हेतु हेल्पलाइन, बीमार और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को तत्काल अस्पताल तक पहुॅचाने के लिये समाजवादी एम्बुलेन्स सेवा, मुफ्त दवाई, कब्रिस्तानो की चहारदीवार का निर्माण आदि अनेक जन कल्याणकारी कार्य किये हैं। उत्तर प्रदेश की बहुमत की सरकार की विकास के प्रति कटिबद्वता, ईमानदार एवं स्वच्छ प्रशासन यह संकेत दे रहा है कि भारत के विकास एवं अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत को स्थान दिलाने में समाजवादी पार्टी ही एक अच्छा विकल्प दे सकने में सक्षम होगी।
गुजरात के मुकाबले उत्तर प्रदेश का विकास रिकार्ड गर्व करने योग्य है। वर्ष 2012-13 में प्रदेश की विकास दर 5Û9 प्रतिशत आकलित हुई जो देश की विकास दर 5 प्रतिशत से अधिक है। वर्ष 2011-12 में प्रदेश की प्रतिव्यक्ति आय 29848 रूपए आकलित हुई जो वर्ष 2012-13 में बढ़कर 33137 रूपए हो गई। 12वीं योजना काल में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र को मिलाकर उत्तर प्रदेश की विकास दर में 10 प्रतिशत वृद्धि दर का लक्ष्य निर्धारित है। दूध, गेहूॅ, चावल और गन्ना उत्पादन के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश गुजरात से आगे है।
निस्संदेह 16वीं लोकसभा के लिए चुनौती गम्भीर है। देश में परिवर्तन की आकंाक्षा है। समाजवादी पार्टी ने पिछड़ों, गरीबों, मुसलमानो के सामाजिक आर्थिक तथा शैक्षिक उत्थान के लिए येाजनाएं दी है। फिरकापरस्त ताकतें सामाजिक न्याय की ताकतों के खिलाफ रही है और वे समाजवादी पार्टी पर तुष्टीकरण के निराधार आरोप लगाती है। उत्तर प्रदेश में करीब 19 प्रतिशत अल्पसंख्यक है जो लगातार 26 वर्षो से समाजवादी पार्टी के साथ है। कांग्रेस राज में मेरठ, मलियाना, मुरादाबाद के दंगों में मुसलमान भी बड़ी संख्या में मारे गए। गोधरा काण्ड के बाद हुए गुजरात दंगों में बड़ी संख्या में मुस्लिम मारे गए जबकि मुजफ्फरनगर में दो दिन में स्थिति नियंत्रण में आ गई और पीडि़तो को हर सम्भव मदद दी गई। इतनी सहायता देश के किसी प्रदेश में कही भी कभी नहीं दी गई। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया।
केन्द्र में सुदृढ़ नेतृत्व के साथ स्वच्छ एवं पारदर्शी प्रशासन की स्थापना के लिए हमें समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को भारी बहुमत से जिताकर लोकसभा में भेजना है। सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर लगी हैं। विधान सभा चुनाव में जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को बहुमत दिलाया था उसी प्रकार लोकसभा चुनाव में मतदाता भाइयों से अनुरोध है कि मतदान के दिन साइकिल वाला बटन दबाकर समाजवादी पार्टी के प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी को जिताएं ताकि सांप्रदायिक ताकतो पर धर्मनिरपेक्ष ताकतो की जीत हो सके।
(समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की मतदाताओं के नाम 02 अप्रैल,2014 को आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित अपील)
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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