प्राकृतिक आपदायें विकास के लिये बड़ा खतरा साबित हो रही हैं। आपदाओं को रोकने में नागरिकों की बड़ी भूमिका है। प्रतिवर्ष नेपाल और भारत की नदियां भारी जान-माल का नुकसान करती हैं। दोनों देषाों के मध्य सूचना की कमी कारण समस्या गंभीर हो रही है। दुख की बात यह है कि कई प्रयासों और बड़ी प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद, पूर्व चेतावनी प्रणाली (अर्ली वार्निंग सिस्टम) हमारी पालिसी का हिस्सा नहीं बन पा रही है। स्ट्रेथनिंग ट्रंास बार्डर कम्युनिटी बेस्ड फ्लड अर्ली वार्निंग सिस्टम बिटविन यूपी एण्ड नेपाल (सीबीएफईडब्ल्यूएस) एक दिवसीय कार्यषाला में पूर्वांचल ग्रामीण विकास संस्थान (पीजीवीएस) के सचिव डाॅ. भानू ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यषाला में भारत और नेपाल की संस्थाओं ने हिस्सा लिया।
डाॅ. भानू ने वर्कषाप को संबोधित करते हुए कहा कि, पूर्वी उत्तर प्रदेष और नेपाल के तराई क्षेत्र में प्रति वर्ष बाढ़ के कारण भारी जान माल का नुकसान होता है। इसमें नागरिकों और समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण है।
लखनउ विष्वविद्यालय के डाॅ. धु्रवसेन सिंह ने कहा कि मानवीय गतिविधियों और हस्तक्षेप के कारण प्राकृतिक घटनाओं में बदल जाती है। पूर्वी उत्तरप्रदेष बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है इसलिये बाढ़ के कारणों को समझना होगा तथा बाढ़ को रोक लगाने के लिये नदियों की जल क्षमता बढाने के उपायों के पर काम करना होगा। गांव में पोखरे, तालाब, गड्डे वैज्ञानिक विधि का प्रमाण है। तालाबों और पोखरों के खत्म होने से बाढ़ और वाटर रिचार्जिंग की समस्या बढ़ी है। अगर बाढ़ पर नियंत्रण कर लिया जाय तो पूर्वी उत्तर प्रदेष आपदा रहित क्षेत्र हो जायेगा।
प्रैक्टिकल एक्षन, नेपाल के प्रतिनिधि गहेन्द्र गुरूंग ने नेपाल में कम्युनियिटी बेस्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम के बारे मंे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, संस्था नेपाल के 135 समुदायों में कार्य कर रही है। दोनों देषों में समन्वय से प्राकृतिक आपदाओं को रोक जा सकता है इस दिषा में में प्रयास करने की जरूरत है।
कार्यषाला को संबोधित करते हुए भानु प्रताप सिंह, आईपीएस ने कहा कि, भारत और नेपाल दोनों देष षुुद्ध पानी के लिये वर्षा पर निर्भर करते हैं। लेकिन यही वर्षा जल आपदा का कारण बन रहा है। नेपाल और भारत दोनो देषों को इस दिषा में काफी कुछ किये जाने की आवष्यकता है। नेपाल और भारत में बाढ़ की समस्या पुरानी है। इस समस्या के स्थायी हल के लिए दोनों देषों के उदार राजनीतिक दृष्टिकोण और बेहतर संबंधों की जरूरत है।
सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त इंजीनियर रवींद्र कुमार ने कहा कि लोगों को उनकी भाषा में चेतावनी प्रणाली के बारे में बताना होगा। सरकारी मषीनरी की उदासीनता से परेषानी बढ़ रही है। वहीं लोगों को आपदा से निपटने के बारे में पता नहीं है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य डाॅ. मुजफ्फर अहमद ने कहा कि, पूर्व चेतावनी प्रणाली को कारगर बनाने के लिये समुदाय को सषक्त बनाना होगा क्योंकि समुदाय को सषक्त किये बिना अर्ली वार्निंग सिस्टम को स्थापित नहीं किया जा सकता है। सुनामी के दौरान अर्ली वार्निंग सिस्टम ने अच्छा काम किया। सिविल सोसाइटी और सरकार के बीच की दूरी को कम करने के प्रयास करने होंगें। सरकारी कार्यक्रमों तथा योजनाओं को जनमानस तक पहुंचाना होगा। नेपाल और पूर्वी उत्तर प्रदेष में बाढ़ से भारी जान माल का नुकसान होता है। दोनों देषों में कई समानतायें हैं वहीं दोनों देषों को सूचनाओं को आपस में बांटना होगा। एनडीएमए का प्रयास है सिविल सोसाइटी और सरकार कैसे मिलकर आपस में कार्य करे।
इंडोनपाल सिटीजंस फ्लड अर्ली वार्निंग गु्रप के कन्वेनर रजनीकांत वषिष्ठ ने कहा कि बेहतर परिणाम के लिये दोनों देषों के बीच आंकलन, समन्वय स्थापित करना तथा हितभागियों की क्षमता वृद्धि करना आवष्यक है तथा इसी के साथ उन्हांेने भारत तथा नेपाल से आये सभी प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यषाला में एनडीएमए, पीजीवीएस, कार्डएड, क्रिस्चियनएड, प्रैटिकल एक्षन, नेपाल रेडक्रास, यूनीसेफ, केयर, प्लान, यूएचआई, कासा आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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