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भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये . माँ ने पानी पकाया देर तक ! गुनगुनाता जा रहा था इक फकीर. कि धूप रहती न साया देर तक।

Posted on 02 April 2014 by admin

मुल्क में अगर किसी ने उर्दू को जि़न्दा रखा हुआ है तो वो मुशयरे और मुशायरों के मुन्तज़मीन का ही हौंसला है। हमने हर मुशायरे मंे हर तरह के टाॅपिक पर और हर तरह के मौके पर मुल्क के और गै़र मुमालिक के शौरा हज़रात को कलाम पेश करते हुए सुना है। फख्ऱ इस बात पर है कि मुल्क में होने वाले मुशायरों को मुसलमानों से ज़्यादा ग़ैर मुस्लिम अवाम और अफसरान सुनते समझते और उनसे लुत्फ अन्दोज़ होते हैं। सीनीयर जर्नलिस्ट रविश अहमद ने अपने सर्वे में पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में जो कुछ देखा और उर्दू की बाबत जो कुछ पाया, उससे साफ ज़ाहिर है कि मुल्क में उर्दू के लिये जो कुछ किया जा रहा है वो सिर्फ दिल बहलावा है। खुशी इस बात की है कि गुफ्तग़ू के दौरान उत्तराखण्ड के गवर्नर डाॅ. अज़ीज़ कुरैशी ने सबसे पहले उर्दू को तहज़ीब और क़ौमी एकता की ज़बान करार देते हुए कहा कि आज मुल्क को आज़ाद कराने में उर्दू ने और उर्दू पढने वालों ने जो शहादतें पेश की हैं, उनकी कहीं मिसाल नही है। जहां महात्मा गांधी, पण्डित नेहरू उर्दू से वाकि़फ थे, वहीं मौलाना महमूद हसन और मौलाना हुसैन अहमद मदनी भी उर्दू में ही तमाम काम काज किया करते थे। हिन्दू और मुसलमानों को जोड़ने वाली इस ज़बान ने रेशमी रूमाल तहरीक के ज़रिये अंग्रेज़ों को मुल्क छोड़ने को मजबूर कर दिया। सीनीयर जर्नलिस्ट रविश अहमद को डाॅ. अज़ीज़ कुरैशी ने दो टूक जवाब दिया कि आज अगर मुल्क में हिन्दू मुस्लिम इत्तहाद को कायम रखना है तो उर्दू को प्रयोग में लाना होगा। गवर्नर मौसूफ ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रभाषा है, हम उसका सम्मान करते हैं, मगर उर्दू मुल्क को आज़ाद करने वाली ज़बान है, उसका भी सम्मान ज़रूरी है। इसी बाबत मशहूर शायर जनाब नवाज़ देवबन्दी से जब उर्दू के बाबत खुलकर बातचीत की गयी तो उन्होने कहा कि मैं उर्दू का सिपाही हँू और उर्दू को उसकी वही पुरानी ऊंचाईयों पर लाने में अपनी खिदमात देना चाहता हँू कि जो पाक़ीज़ा और मुहब्बत वाली उर्दू ज़बान की असल जगह है। एक इन्टरव्यू में अपनी सहारनपुर आमद पर हमारे खुसूसी नुमाइन्दे नफीसुर्रहमान से एक खास गुफ्तगू करते हुए देवबन्द में पैदा हुए और शायरी की बदौलत अपनी जाय पैदाइश का नाम पूरी दुनिया में रौशन करने वाले मौजूदा उर्दू एकेडमी उत्तर प्रदेश के चेयरमैन जनाब नवाज़ देवबन्दी ने मन्दरजाबाला ख्यालात का इज़हार करते हुए कहा कि ये ओहदा मैने जनाब वज़ीरे आला यूपी अखिलेश यादव के हुक्म पर क़बूल किया है। जनाब नवाज़ देवबन्दी ने कहा कि मैने वज़ीरे आला को साफ तौर से बता दिया है कि मैं सियासी आदमी नही हँू, और किसी भी सियासी सरगर्मी से मेरा कोई सरोकार नही रहेगी। नामानिगारे खुसूसी नफीसुर्रहमान के एक सवाल के जवाब में उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी के चेयरमैन नवाज़ देवबन्दी ने वाज़े किया कि मुस्तक़बिल में उनका प्रोग्राम एकेडमी के ज़रिये अवाम को उर्दू से हिन्दी और हिन्दी से उर्दू ज़बान सिखाना होगा। उन्होने ये भी कहा कि उर्दू और हिन्दी दोनों सगी बहने हैं। उर्दू इसी मुल्क में पैदा हुई और इसी मुल्क में जवान हुई है। आज पूरी दुनिया में हमारी फिल्म इन्डस्ट्री बाॅलीवुड का नाम रौशन कराने वाली हमारी उर्दू ज़बान ही है। जनाब नवाज़ देवबन्दी ने कहा कि ये सच है कि मुल्क से उर्दू को मिटाने की साजि़शें 1947 से आज तक होती आ रही हैं मगर मेरे करमफरमां और सूबे के वज़ीरे आला जनाब अखिलेश यादव ने उर्दू की खि़दमत के लिये मुझे उर्दू एकेडमी का चेयरमैन बनाकर जो इज़्ज़त और एजाज़ बख़्शा है, मैं उसका दिल से शुक्रगुज़ार हँू और बाफज़ले खुदा सूबाई वज़ीरे आला की हस्बे मन्शा उर्दू के फरोग़ और उर्दू की तशहीर के लिये वो काम अन्जाम दूंगा कि जिनकी आज मुल्क को सख़्त ज़रूरत है। सीनियर जर्नलिस्ट रविश अहमद के एक सवाल के जवाब में जनाब नवाज़ देवबन्दी ने बेबाक लहज़े में फरमाया कि उर्दू को मिटाने वाले खुद ही मिटते जा रहे हैं। मक़बूल शायर नवाज़ देवबन्दी ने रविश अहमद को मुखि़्लसाना अन्दाज़ मंे और मुस्कुराते हुए ये भी कहा कि हमें तो खुदा ने पैदा ही उर्दू की खि़दमत के लिये किया है। सीनीयर जर्नलिस्ट रविश अहमद के साथ गुफ्तगू करते हुए नवाज़ देवबन्दी ने अपने अशआर का इज़हार करते हुए उर्दू को गंगा जमना का संगम करार दिया और ये भी कहा कि उर्दू ही हमारी गंगा जमनी तहज़ीब और हमारी एकता को मज़बूत करने वाली कडी है। जो स्कूल अपने बच्चों को उर्दू की तालीम फराहम कराना चाहते हैं वो स्कूल उर्दू उस्ताद के लिये सीधे उनके साथ राब्ता कायम कर सकते हैं। उर्दू टीचर का खर्च उर्दू तालीम के लिये उर्दू एकेडमी ही बर्दाश्त करेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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