जनपद सहारनपुर में गत दस वर्षोंसे नर्सिंग होम्स की बाढ सी आ गयी है। फाईव स्टार होटल की तरह बने तथा चलने वाले इन नर्सिंग होम्स में आम आदमी अपने मरीज की जान बचाने के लिये इलाज के लिये आता है। यह नर्सिंग होम्स तथा इनके संचालक हर आने वाले रोगी के साथ दया का व्यवहार न करके मात्र पैसे बनाने का व्यवहार आम तौर पर करते हैं। जैसे कि सक्षम हाॅस्पिटल दिल्ली रोड, हैल्थ केयर क्लीनिक दिल्ली रोड, तारावती हाॅस्पिटल बाजोरिया रोड, दहूजा क्लीनिक, डाॅ नौसरान क्लीनिक, बच्चों के डाॅक्टर डी.के. गुप्ता द्वारा संचालित लोकप्रिय हाॅस्पिटल तथा इसी प्रकार अन्य दर्जनों नर्सिंग होम्स इन दिनों मरीजों का खून चूसने में व्यस्त हैं। वायरल बुखार के नाम पर, हृदय रोग, श्वास रोग तथा लीवर एवं किडनी के रोगियों के साथ जल्लाद जैसा व्यवहार इन क्लीनिकों पर किया जाता है। मरीज के आने के बाद उसके सभी टैस्ट कराये जाते हैं। एक्सरे, सीटी स्कैन आदि भी कराया जाता है (वास्तव में 75 प्रतिशत रोगियों को इन टेस्टों की आवश्यकता भी नही होती है)। यदि कोई रोगी यह कहता है कि साहब मेरे पास ब्लड रिपोर्ट, एक्सरे एवं अल्ट्रासाउण्ड रिपोर्ट कुछ दिनों पहले की है तो उसको गम्भीर रोग का भय दिखाकर पुनः जांच हेतु मजबूर किया जाता है। आम बीमारी का इलाज इन क्लीनिकस् पर एक हजार रूपये प्रतिदिन के हिसाब से किया जाता है। एक सप्ताह अपने क्लीनिक में रखने के बाद इन दर्जनों नर्सिंग होम्स के संचालक रोगी को बाहर के हाॅस्पिटल में जिसकों यें संचालक हायर सेंटर का नाम देते हैं, वहां रेफर कर दिया जाता है। हायर सेंटर जाने के बाद मालूम होता है कि रोगी को जो दवाएं दी जा रही हैं वें उस रोग से सम्बन्धित ही नही हैं। मजेदार बात यह है कि एक क्लीनिक पर शूगर की रिपोर्ट 180 दर्शायी जा रही है तो एक घण्टे बाद दूसरे क्लीनिक पर यही रिपोर्ट 122 की आ रही है खून में प्लेट्स कम होने का 60 फीसद परिणाम इन हायर सेंटर पर जाकर झूठा प्रमाणित हो जाता है। हायर सेंटर के वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि रोगी को वायरल बुखार है तथा इसे दवाई बहुत तेज दी गयी जिस कारण यह रोगी सामान्य नही हो पाया। इसी प्रकार किडनी एवं लीवर से प्रभावित मरीजों के दर्जनों केस हैं कि जिन्हे हायर सेंटर जाने के बाद वापस हल्की दवाई लिखकर उनके घर भेज दिया गया। इसी तरह के दर्जनों केस हर दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते हैं परन्तु स्वास्थय विभाग, जिला प्रशासन तथा आयकर विभाग इन नर्सिंग होम्स की कारकर्दगी से आंखे मूंदे हुए है। खुलेआम रोगी को गम्भीर रोग का डर दिखाकर लूटा जा रहा है। प्रतिदिन एक हजार रूपया प्रति कमरा तथा डाॅक्टर की दिन में तीन बार विजिट के 900 रूपया वसूला जा रहा है उसके बावजूद भी जिला प्रशासन खामोश बैठा हुआ है। ऐसा महसूस होता है कि नर्सिंग होम्स के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की आयकर विभाग, स्वास्थय विभाग तथा जिला प्रशासन में तनिक भी हिम्मत नही है। आम जनता सरकारी अस्पतालों से तथा सरकारी अस्पतालों के इलाज से तंग आ चुकी है इसलिये मजबूर होकर इन नर्सिंग होम्स में अच्छे इलाज की आस लिये जाती है परन्तु इन नर्सिंग होम्स में जो कुछ होता है वह सबके सामने है। आम जनता भीतर ही भीतर अपने जीवन को बचाने के लिये खून के घूंट पीने को मजबूर है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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