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वक्फ सम्पत्तियों की दुर्दशा: जिसकी लाठी उसकी भैंस

Posted on 28 March 2014 by admin

वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों पर वक्फ तथाकथित नियुक्त प्रबन्धक/मुतवल्ली नामक पहरेदारों ने ही इस प्रकार कुण्डली मार रखी है कि अब वें सम्पत्तियां उनकी पैतृक बन चुकी हैं तथा वक्फ बोर्ड अपनी दलाल मुतवल्लियों के सहारे केवल जनपद सहारनपुर ही में अरबों रूपयों की वक्फ सम्पत्तियों से लाखों रूपया मासिक कमा रहे हैं। सर्वप्रथम जामा मस्जिद कलां पर वक्फ बोर्ड लखनऊ के एक आॅडिटर व जामा मस्जिद के एक मुलाजि़म कमेटी के मेम्बरान के साथ मिलकर गत दस वर्षों से जामा मस्जिद की सम्पत्ति को एक हाथ से निकाल कर दूसरे हाथ मे देकर करोडों रूपया कमा चुके हैं। लगभग 200 सम्पत्तियों की अकेली वारिस अरबों रूपयों की हैसियत वाली यह जामा मस्जिद आज भी पुराने फर्श और पुरानी बिल्डिंग के साथ साथ पुरानी सफों पर संतोष किये हुए है। जबकि वक्फ बोर्ड के आॅडिटर, जामा मस्जिद के स्थायी मुलाजि़म तथा जामा मस्जिद प्रबन्धक कमेटी के चन्द मेम्बरान के घर आलीशान बन चुके हैं। डेढ सौ रूपये का कुर्ता पायजामा पहनने वाले आज तीन हज़ार रूपयों की ड्रेस पहने घूम रहे हैं। जामा मस्जिद से जुडे इन ठेकेदारों के घर आलीशान बने हुए हैं। शहर के पुलिस अधिकारियों के साथ इनके घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। जो मौजूदा सुन्नी सैन्ट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ ने कमेटी स्वीकार करके यहां भेजी है। उसमें भी ज़्यादातर लोग ऐसे हैं कि जिनका वर्तमान एवं भूतकाल हमेशा से संदिग्ध रहा है। साठ फीसद से ज़्यादा लोग इस कमेटी के नमाज़ और कुराने पाक की तिलावत से दूर हैं। आम चर्चा है कि प्रदेश के दबंग मंत्री आज़म खां ने अपने चेलों को मलाई चटाने के लिये जामा मस्जिद की प्रबन्ध कमेटी का प्रभार सौंपा है। आज जनपद मंे जगह-जगह इस कमेटी की निन्दा की जा रही है। इसके अतिरिक्त पुरानी ईदगाह कदीम का मुतवल्ली सुन्नी सैन्ट्रल वक्फ बोर्ड मंे कारी अब्दुर्रहमान को बनाया हुआ है तथा उसके सचिव नईम पीरज़ादा होते हैं। इना दोनों के रहते पुरानी ईदगाह को तथा उसके पुराने आसार खुर्द-बुर्द करके कब्रों को नष्ट करके इस पाक ज़मीन पर सैंकड़ों दुकानें तामीर की जा चुकी हैं। करोड़ों रूपयों के इस घपले में सुन्नी सैन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन उनके स्थानीय आॅडिटर, पुरानी ईदगाह के मुतवल्ली तथा सचिव पूर्ण रूप से शामिल हैं। न्यायालय वक्फ ट्रिब्यूनल में मौहर्रम अली पप्पू बनाम अब्दुर्रहमान जो केस चल रहा था, उसको भी इन दलालों ने भारी रकम खर्च करके अपने हक में करा लिया। कुल मिलाकर वक्फ बोर्ड की शह पर इस तरह की सैंकड़ों सम्पत्तियां इस जनपद में खुलेआम खुर्द बुर्द की जा रही हैं। कोई पूछने और सुनने वाला नही है। कारी अब्दुर्रहमान तथा उनके सचिव नईम पीरज़ादा ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर जिस प्रकार वक्फ की इस सम्पत्ति को क़ब्ज़ाया और उस पर अवैध रूप से वक्फ बोर्ड की साजि़श से दुकानों का निर्माण कराया और फिर उन दुकानों को करोड़ों रूपया पगडी लेकर किराये पर चढाया वह अपने आप में शर्मनाक हरकत है। पूरे जनपद मंे इस कृत्य की कडी निन्दा की गयी। परन्तु उसके बावजूद भी कारी अब्दुर्रहमान तथा वक्फ बोर्ड के लोग अपने दलालों के जरिये वक्फ की सम्पत्ति को पूर्ण रूप से किरायेदारी में तब्दील करने पर बजि़द हैं। माननीय मुख्यमंत्री को भी दर्जनों शिकायतें भेजी जा चुकी हैं। स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन भी निष्पक्षता के साथ इन सम्पत्तियों की जांच नही कर पा रहा है। आम चर्चा यह भी है कि वक्फ सम्पत्तियों पर कब्जा करने वालों के साथ स्थानीय तथा राज्य स्तर के कई समाजवादी नेता भी शामिल हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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