बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने लोकसभा के आमचुनाव के दौरान ही मंत्री बनाने के काफी दिनों बाद उन मंत्रियों को विभाग आदि बाँटने आदि सहित सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (सपा) की अन्य चुनावी राजनैतिक पैंतरेबाजी की आलोचना करते हुये कहाकि सपा की इस प्रकार की हरकत वास्तव में उसकी घोर हताशा और निराशा को जग-जाहिर करती है।
सपा इस प्रकार की रानीतिक पैंतरेबाजी करके सर्वसमाज में से खासकर ब्राम्हण व अन्य पिछड़े वर्ग एवं मुसिलम समाज के लोगों को अपनी पार्टी व सरकार की हर मामले में घोर विफलताओं से ध्यान हटाकर उन्हें वरगलाने व गुमराह करने का प्रयास कर रही है, जबकि यह हकीकत अब कहीं भी छिपने या छिपाये जाने लायक नहीं है कि सपा सरकार अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था एवं जनहित व विकास के मामलों में बुरी तरह से नाकाम हो गयी है, बलिक इस सपा सरकार के पिछले दो वर्षों के शासनकाल में सपा और भाजपा की मिली-भगत से साम्प्रदायिक दंगा व तनाव की सिथति इतनी ज्यादा खराब होकर बिगड़ी है कि भाजपा के साथ-साथ सपा को भी धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) पार्टी मानने से लोग इन्कार करने लगें हैं अर्थात इन वर्षों में अनेकों घटनाक्रमों से यह स्पष्ट हो गया है कि सपा और भाजपा एक ही थैली के चटटे-बटटे हैं और दोनों ही पार्टियां आपसी मिली-भगत के कारण चुनावी लाभ कमाने के लिए साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने का काम कर रही हैं और एक-दूसरे को संरक्षण भी दे रही हैं।
गुजरात राज्य में सन 2002 के भीषण साम्प्रदायिक दंगे के लिए बदनाम वहाँ के भाजपा के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगरशामली साम्प्रदायिक दंगा भाजपा से मिली-भगत के परिणाम स्वरूप कारण नहीं रोक पाने व इसमें काफी जान व माल की हनि होने के दोषी सपा के मुखिया श्री मुलायम सिंह यादव का पूर्वी उत्तर प्रदेश में पड़ोसी लोकसभा सीट क्रमश: वाराणसी और आजमगढ़ से चुनाव लड़ना भी इन्हीं मिली-भगत व राजनीतिक सांठगांठ का धोतक है, जिसके प्रति उत्तर प्रदेश की जनता को विशेषकर बहुत सावधान रहने की जरूरत है, वरना भाजपा व सपा की यह अन्दरूनी मिलीभगत के तहत राजनीतिक व चुनावी साजिश प्रदेश के लोगों का जान-माल व मजहब की अपूर्णीय क्षति कर सकती है, जिससे लोगों को बहुत ही सावधान व सजग रहने की आवश्यकता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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