8 मार्च को अन्तर्राष्ट¬्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के तत्वावधान में देह्तोरा ग्राम सिथत अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी कार्यालय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें ड‚ प्रभा सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शिरकत की। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने उपसिथतजतनों को महिला दिवस की महता बतार्इ।
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के संपादक मानसिंह राजपूत एडवोकेट ने कहा कि महिला दिवस का बुनियादी अर्थ हर वर्ग की महिला के स्तर को ऊंचा उठाना है तथा उसकी आवाज को समाज के हर कोने तक मुखर करना है। मानसिंह राजपूत एडवोकेट ने कहा की आज समाज मैं महिलाओं का सशäकिरण बहुत जरूरी है महिला सशäकिरण बहुत बडा शब्द है। महिला सशäकिरण का अर्थ है महिलाओं की आध्यातिमक, शैक्षिक, सामजिक, राजनैतिक और आर्थिक शä मिैं वृधिद करना बिना इसके समाज मैं महिला सशäकिरन संभव नहीं है चाहे आप कितने भी प्रत्यन कर लीजिए। उन्होने कहा कि ”नारी को सम्मान से ज्यादा सहयोग दे ,उन्हें जीवन का सम्पूर्ण भोग करने दे !”
मुख्य अतिथि ड‚ प्रभा सिंह ने महिलाओं के साथ हो रही छेडछाड पर प्रकाश डालते हुए कहा की एक स्त्री होते हुए ऐसा कहना वाकर्इ दिल पर पत्थर रखने जैसा है, लेकिन आज के हालातों को देखकर तो यही कहा जा सकता है। मानती हूं कि सारे पुरुष और समाज के सभी लोग ऐसी सोच वाले नहीं होते और वे नारियों को वह सम्मान देते हैं जिनकी वे हकदार हैं, पर जिस तरह एक सड़ी हुर्इ मछली सारे तालाब को गंदा कर डालती है उसी तरह ऐसा कु—त्य करने वाले पुरुष सारे सभ्य वर्ग के लिए एक कलंक हैं। जिसे मिटाना इन्हीं सभ्य लोगों का कर्तव्य है।
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उपसंपादक ब्रहमानंद राजपूत ने उपसिथत महिलाओं से गोष्ठी के दौरान बातचीत करते हुए उनके व्यवसाय तथा क्षेत्र सम्बन्धी जानकारियां प्राप्त कीं तथा विशेष तौर पर उनकी सफलता के कारणों तथा इस स्तर तक पहुंचने के लिए आर्इ बाधाओं की भी जानकारी प्राप्त की ताकि वे इन कठिनार्इयों को समाज की अन्य महिलाओं खासकर पूरे समाज के सामने रख सकें। इसके साथ ही ब्रहमानंद राजपूत ने कहा की सिर्फ नाम के लिए महिला दिवस मना लेना ही काफी नहीं है। सही मायने में महिला दिवस तब सार्थक होगा जब असलियत में महिलाओं को वह सम्मान मिलेगा जिसकी वे हकदार हैं। इसके साथ ही ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि समाज को संकल्प लेना चाहिए कि समरसता की बयार भारत में बहे, भारत के किसी घर में कन्या भ्रूण हत्या न हो, मातृशä अिपनी गरिमा और गौरव का परिचय देगी। विश्व के मानस पटल पर प्रखर भारत की तस्वीर तभी प्रकट होगी जब हमारी माताएं-बहनें अपने गौरव को पहचानेंगी और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगी। भारत की नारियों को ब्रहमानंद राजपूत ने भारत की तस्वीर की संज्ञा देते हुये अपने भाषण का समापन इन पकितयों के साथ करते हुये कहा कि
”तेरा परिचय इतना कि तू भारत की तस्वीर है,
मातृभूमि पर मिटने वाले मतवालों की तीर है
उन वीरों की दुहिता है जो हंस-हंस झूला झूल गए
उन शेरों की माता है जो रण-प्रांगण में जूझ गए”
डन्होने कहा कि भारत की इस तस्वीर को विश्व पटल पर साक्षात प्रकट करने के लिए भारत की आत्मा को समझना होगा।
इस अवसर पर ब्रज लेजर के डायरेक्टर अरबसिंह राजपूत ने कहा कि हमारा समाज तभी तरक्की कर सकता है जब महिलाएं स्वावलंबी बनेंगी तथा पुरूषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे-से-कंधा मिलाकर चलेंगी। इस अवसर पर प्रभाव सिंह,पवन,मोरध्वज, सुखदेवी, अनारदेवी, कम्पूरीदेवी, रामदुलारी, मीना, मुन्नीदेवी, फूलनदेवी, मीरा, ओमवती, लक्ष्मी, मीना, कल्लनदेवी, निर्मला, राधा, कमलेश, राजकुमारी, दुष्यन्त राजपूत, दीपक राजपूत, नीतेश राजपूत, राकेश राजपूत, जितेंæ लोधी ,राजवीर सिंह सहित अधिक संख्या मैं महिलाओं की उपसिथत थीं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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