गुजरात के विकास का परीक्षण करने गए ”आप के शीर्ष नेता श्री अरविन्द केजरीवाल जी को आचार संहिता के नाम पर रोकने के बाद स्थानीय थाने में 30 मिनट से अधिक समय तक बिठाये रखना और पुलिस द्वारा मीडिया को यह बयान देना कि यातायात व्यवस्था न बिगड़ने पाये इसलिए थाने में रोकना पड़ा। इस घटना से समझा जा सकता है कि मोदी सरकार का प्रशासनिक दृषिटकोण कितना स्वस्थ है।
उक्त घटना की सूचना मिलते ही ”आप लखनऊ पार्टी कार्यालय में जिला सचिव विशाल विक्रम सिंह, संगठन संयोजक डा. ऋषि राघव, कोषाध्यक्ष मोहित टंडन, मीडिया प्रभारी बæी नारायण ने कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक कर भाजपा कार्यालय पर शानितपूर्ण विरोध जताने का निर्णय लिया।
निर्णयानुसार 5 मार्च लगभग शाम 7 बजे जब ”आप कार्यकर्ता कैपिटल तिराहे पर पहुँचे ही थे तभी तहजीब के शहर लखनऊ में यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी जबकि ”आप की विचारधारा किसी भी तरह की हिंसा का विरोध करती है। पूरा घटनाक्रम यह सोचने को मजबूर करता है कि अभी बिना सत्ता पाये भाजपा के कार्यकर्ता जिस क्रूरता के साथ हिंसा कर रहे हैं, गलती से अगर यह सत्ता में आये तो इनकी गुण्डागर्दी कानून-व्यस्था को पूर्णत: ध्वस्त कर देगी और आम आदमी स्वयं को कैसे सुरक्षित महसूस करेगा।
भाजपा पदाधिकारियों द्वारा मीडिया को यह बयान देना कि ”आप कार्यकर्ता पत्थरबाजी कर रहे थे इसलिए उन्होंने लाठियाँ चलार्इ। उनका यह बयान पूर्णत: झूठ है। सच यह है कि निहत्थे ”आप कार्यकर्ताओं के कैपिटल तिराहे पर पहुँचते ही भाजपा के लोगों ने ”आप कार्यकताओं को निर्दयतापूर्वक लोहे की राड, लाठी-डण्डों से पीटना शुरु कर दिया। बावजूद इसके हमारी ओर से कोर्इ पत्थरबाजी या मारपीट नहीं की गर्इ और भाजपा कार्यालय से ”जय श्रीराम का नारा लगाते हुए लगभग 50 से अधिक लोग ”आप कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमला करने के लिए तेजी से दौड़े। यह सब मेरी आंखों के सामने की घटना है। अपनी पार्टी की ओर से मैं सभी पार्टियों से यह अपेक्षा करता हूँ कि हमारी लड़ार्इ वैचारिक होनी चाहिए न कि व्यकितगत।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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