हमारे राज्यों के मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालयों की चुप्पी से एक सवाल उत्पन्न होता है कि आप सर्वगुण सम्पन्न हैं कि जब आप अपने परिवार की बेहतरी के लिये सोचते हैं शेष बच्चों के विषय में आपकी ये रायसोच क्यों नही? हम केवल आज अपने राज्य उत्तर प्रदेश की बात करते हैं। लेबर एक्ट बन जाने के बाद तथा बच्चा मज़दूरी को प्रतिबनिधत किये जाने के बाद भी केवल पशिचमी उत्तर प्रदेश के पांच जनपदों में लगभग दो लाख बच्चे विभिन्न उधोगों, दुकानों, प्रतिष्ठानों तथा रेहडी व ठेली आदि पर कार्य करते देखे जा रहे हैं। यहां तक कि कूडा उठाने से लेकर आतिशबाजी का सामान बनाने के खतरनाकजोखिम भरे कार्यों में भी 8 साल से लेकर 18 साल तक के बच्चे कार्य कर रहे हैं। इन बच्चों को मजदूरी के नाम पर 50 रूप्या से 100 रूपया रोज तक मिलता है तथा जब यें किसी दुर्घटना का शिकार होते हैं तो इनके इलाज का खर्च इनके माता पिता या पडौसी उठाते हैं। हमारा स्थानीय प्रशासन बच्चों के संरक्षण के मामले में पूर्णतया विफल है। केवल जग दिखावे को लम्बे-लम्बे भाषण और विज्ञपितयां, बाल दिवस 14 नवम्बर के अवसर पर स्थानीय स्तर पर व राज्य स्तर पर जारी किये जाते हैं परन्तु अमल मात्र उत्तर प्रदेश में 10 प्रतिशत भी नही है। हमारे पशिचमी उत्तर प्रदेश की जेलों में जो बाल अपराधी कैद हैं, उनके साथ भी व्यस्क आदमियों जैसा व्यवहार किया जाता है, उनसे भी जेल में मेहनत करायी जाती है। हमारी जेलों में बच्चों के स्तर को सुधारने के लिये प्रशिक्षण की सुविधाएंशिक्षा की सुविधा उपलब्ध नही है। यदि कोर्इ कैदी बच्चा बीमार होता है या वो मानसिक रूप से कमजोर है तो उसके इलाज के लिये भी जेल प्रशासन के पास उचित बन्दोबस्त नही है। जिला प्रशासन समय-समय पर जेल का निरीक्षण कराता है परन्तु बालकों की दुर्दशा पर जिला प्रशासन के जिम्मेदारों की कभी नजर नही जाती। यदि हालात ऐसे ही रहे और पूरे उत्तर प्रदेश के बच्चों पर और जो बच्चे श्रम के कार्यों मेंजेल में कैद हैं, उनके सुधार के लिये उचित कदम नही उठाये जाते तो माननीय पूर्व चीफ जसिटस अल्तमश कबीर के मुताबिक देश में अफरा तफरी का माहौल पैदा होने में कोर्इ देर नही लगेगी। हमें अपने देश के सर्वोच्च पद पर आसीन रहे माननीय पूर्व चीफ जसिटस अल्तमश कबीर के सन्देश को दिल की गहरार्इयों से लेना चाहिये था तथा पूर्व में दिये गये उस सम्मानित और गम्भीर वक्तव्य पर ठोस कार्यवाही अपने स्तर से शुरू कर देनी चाहिये थी? परन्तु हमें यहां यह लिखते हुए शर्म महसूस हो रही है कि बैठक में मौजूद किसी भी सम्मानित पदाधिकारी ने इस ओर एक साल बाद भी नज़र नही दौडार्इ? अगर हमारे देश में होन वाली महत्वपूर्ण व्यकितयों की महत्वपूर्ण बैठकों के परिणाम इसी प्रकार जनता के सामने आयेगें तो आप खुद नतीजा निकाले कि इस देश का भविष्य क्या होगा?
पिछले साल बच्चों से सम्बनिधत मामलात के निज़ाम को चुस्त दुरूस्त बनाने के अपने मकसद को जनता के सामने ज़ाहिर करते हुए देश के पूर्व चीफ जसिटस आली जनाब अल्तमश कबीर ने प्रदेश के मुख्यमंत्रियों तथा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायधीशों के एक अहम सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा था कि देश की 42 फीसदी आबादी बच्चों पर आधारित है तथा हमें बच्चों के इन्साफी निज़ाम को मज़बूत बनाने की बेहद ज़रूरत है। जनाब कबीर ने कहा कि बच्चों की देखभाल और उनको बेहतर संरक्षण प्राप्त नही हो पा रहा है। इन हालात में बच्चों का भविष्य हमारे देश में दुखदायी बनने लगा है। आपने कहा कि अगर बच्चों की देखभाल और उनको बेहतर संरक्षण नही दिया जायेगा तो देश में अफरातफरी का वातावरण उत्पन्न हो जायेगा। उन्होने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि जो बच्चे देश का भविष्य हैं उनपर ध्यान नही दिया जा रहा है। आपने कहा कि हम नशीले पदार्थों की आदतों से दो चार हैं तथा इस गम्भीर समस्या पर हमने कोर्इ बेहतर कदम आज तक नही उठाया है। आपने कहा कि हममे से कितने हैं कि जिन्होने बच्चों की वर्तमान हालत पर गौर किया है और जो गौर कर रहे हैं। आपने कहा कि ये समस्या भविष्य की एक बहुत बडी शकित और आबादी का एक तिहायी से ज्यादा है। आपने कहा कि हमारी तमाम कोशिशों के बावजूद ज्यादातर बच्चे उचित सुविधाओं से वंचित हैं। आपने कहा कि बच्चों का इनसाफ निज़ाम दुनियाभर के देशों की ओर से एक बडी डील का परिणाम है और उस पर पूरी शकित के साथ अमल किया जाना बेहद जरूरी है। पूर्व चीफ जसिटस अल्तमश कबीर ने कहा कि हमारे बच्चे अच्छी तालीम से सरफराज हैं और वें इलियट क्लास से हैं लेकिन बाकी मान्दा (बाकी हिन्दुस्तान के बच्चे) के बारे में क्या किया गया है? उन्होने कहा कि दस से पद्रंह साल की उम्र इस वक्त नयी नस्ल के लिये अधिक अफरा तफरी का कारण होगी अगर बच्चों की परवरिश का खास ख्याल नही रखा गया और उनको सही संरक्षण नही दिया जाता तो देश के हालात दुखदायी हो सकते हैं।
हमारे देश के चीफ जसिटस प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित सात अप्रैल 2013 की महत्वपूर्ण बैठक में अपने सम्बोधन में देश के पूर्व चीफ जसिटस उपरोक्त बातें कहते सुने गये। बैठक में मौजूद सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायधीशों व उनके प्रतिनिधियों ने पूर्व चीफ जसिटस के सम्बोधन को गम्भीरता पूर्वक सुना तथा उनपर अमल करने का वचन दिया। परन्तु खेद की बात है कि एक साल बीत जाने के बाद भी देश के किसी भी राज्य ने इस ओर ध्यान नही दिया। देश के न्यायालयों में बालकों के सम्बन्ध में जो अपराधिक मामले दर्ज हैं और जेलों में बन्द बालकों के साथ जो व्यवहार किया जा रहा है उस पर भी प्रदेश सरकारोंउच्च न्यायालयों ने कोर्इ ध्यान अभी तक नही दिया है। होना यह चाहिये था कि एक माह के भीतर माननीय पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर के सम्बोधन को सभी राज्योें के मुख्यमंत्रीउच्च न्यायालय गम्भीरतापूर्वक लेते और तीस दिन के भीतर न्यूनतम 20 प्रतिशत सुधार कार्य बालकों को इन्साफ दिलाने के मामले में कर के दिखाते। हमें पूरा विश्वास है कि हमारे सम्मानित पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली में आयोजित उपरोक्त बैठक में जो वक्तव्य दिया है, उस वक्तव्य पर देश के सर्वोच्च पद पर रहते हुए और रिटायरमेन्ट के बाद भी कायम रहेगें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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