उपनिदेशक (कृषि रक्षा) सहारनपुर मण्डल सहारनपुर ने किसानो को अवगत कराया है कि फसलो में प्रतिवर्ष कीट रोग, खरपतवारो तथा चूहो आदि द्वारा लगभग 15 से 20 प्रतिशत की क्षति होती है। जिसमें लगभग 33 प्रतिशत खरपतवारो से, 26 प्रतिशत रोगो से, 20 प्रतिशत कीटो से, 7 प्रतिशत भण्डार के कीटो से, 6 प्रतिशत चूहो से तथा 8 प्रतिशत जिसमें अन्य कारक समिमलित है।
इस प्रकार प्रतिवर्ष फसलो को लगभग 15 से 20 प्रतिशत होने वाली क्षति में सर्वाधिक एक तिहार्इ क्षति खरपतवारो द्वारा होती है। खरपतवारो द्वारा मृदा में डाले गये उर्वरको, पोषक तत्वो का सीधे उपयोग करने से मुख्य फसल को इसकी उपलब्धता कम हो जाती है जिससे न केवल फसल उत्पादन में कमी आती है बलिक उत्पादन लागत में अधिक वृद्वि हो जाती है। यदि कृषि उत्पादन बढाना है तथा किसानो की उत्पादन लागत में कमी लाते हुए आय में वृद्वि करनी है तो प्रत्येक दशा में फसलो को खरपतवारो से मुक्त कराना होगा।
उन्होने सभी किसानो को निम्न संस्तुतियो के अनुसार रबी-2013-14 में खरपतवार नियन्त्रण करने हेतु सलाह दी है कि गेहूं और जौ की फसलो में खरपतवारो के नियन्त्रण हेतु आर्इसोप्रोटूरान 75 प्रतिशत डब्लू0पी 1.25 कि0ग्रा0हैक्टेअर अथवा सल्फोसल्फयूरान 75 प्रतिशत डब्लू0जी0 3.3 ग्राम(2.5 यूनिट)हैक्टेअर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवार्इ के 20 से 25 दिन बाद छिडकाव करें तथा चना, मटर व मसूर की फसल में खरपतवारो के नियन्त्रण हेतु पैण्डामैथलीन 30 प्रतिशत 3.3 लीटर प्रति हैक्टेटर अथवा एलाक्लोर 50 प्रति0 र्इ0सी0 4 लीटर प्रति हैक्टेअर बुवार्इ के 3 दिन के अन्दर 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रयोग करे। इसके अतिरिक्त रार्इसरसो की फसल में खपतवार नियन्त्रण हेतु पैण्डामैथलीन 30 प्रतिशत 3.3 लीटर प्रति हैक्टेअर बुवार्इ के तीन दिन के अन्दर 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।
कीटरोग से सम्बनिधत प्रत्येक जानकारी के लिये विकास खण्ड में सिथत कृषि रक्षा इकार्इ जिला स्तर पर विकास भवन में जिला कृषि रक्षा अधिकारी तथा मण्डल स्तर पर उप निदेशक कृषि रक्षा बेरीबाग सहारनपुर कार्यालय में सम्पर्क कर सकते है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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