केवल इलाहाबाद में ही नहीं अपितु सूबे के अधिकतर सरकारी अस्पताल नर्सिंग और पैरामेडिकल छात्राओं के भरोसे चल रहे है। सरकारी अस्पतालों में अनुपात से भी काफी कम संख्या में स्टाफ नर्स नियुक्त है जिसकी वजह से मरीजों के साथ.साथ वहां नियुक्त स्टाफ नर्सो को भी काफी परेषानियों का सामना करना पड़ता है कर्इ बार इन कर्मचारियों के द्वारा यह समस्या उठार्इ गर्इ किन्तु उच्च अधिकारी तथा राज्य सरकार है कि कुछ सुनती ही नहीं । राज्य सरकार ने तो मानों आंखे ही बन्द कर ली है, उसे सिर्फ अध्यापक और पुलिस की भर्ती ही पड़ी हुर्इ हैं। पिछली सरकार ने अपने समय में स्वास्थ्य विभाग में बड़ी संख्या में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए प्रकि्रया षुरू की थी , किन्तु वह उन्हीें के मंत्रीयों द्वारा भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गयी।
इलाहाबाद के सरकारी अस्पताल जैसे तेजबहादुर सप्रू जिला चिकित्सालय, क्षय रोग जिला चिकित्सालय, महिला जिला चिकित्सालय, कालिवन तो पूरी तरह से नर्सिंग छात्राओं के भरोसे ही चल रहा हैं। जिस भी वार्ड में जाइये वंहा यही छात्राये मरीजों का उपचार कर रही हैं। तेज बहादुर सप्रू जिला चिकित्सालय (बेली) की एक स्टाफ नर्स ने नाम न छापने की षर्त पर बताया की अगर ये नर्सिंग छात्रायें नहीं होती तो अधिकांष मरीजों को समय पर दवार्इया व सूर्इ नहीं दी जा पाती जिसके अभाव में रोज कोर्इ न कोर्इ मरीज की मौत हो जाती क्याेंकि इस अस्पताल में हमारी संख्या ऊट के मुंह में जीरा के बराबर हैं। कमेावेष जिले के सभी सरकारी अस्पतालों का यही हाल है। सूत्रो के अनुसार अस्पताल कर्मियों में इस बात को लेकर काफी असंतोष हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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