उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि राज्य के नौजवानों को प्रदेश में ही रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने के लिए सूचना प्रौधोगिकी सेक्टर पर गम्भीरता से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्याप्त तकनीकी शिक्षण संस्थाओं की संख्या का लाभ उठाते हुए गुणवत्तायुक्त मानव संसाधन विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। इसीलिए मंत्रिपरिषद ने आर्इ.टी. पार्कों के विकास, संचालन तथा अनुरक्षण के लिए तैयार दिशा-निर्देश को मंजूरी प्रदान की है। राज्य सरकार के इस कदम से आगे आने वाले समय में सूचना प्रौधोगिकी सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि लखनऊ नगर में एच.सी.एल. द्वारा 100 एकड़ भूमि में आर्इ.टी. सिटी का विकास किया जा रहा है। सरकार के इन फैसलों से राज्य को आर्इ.टी. हब बनाने में मदद मिलेगी।
यह जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने टियर-2 तथा 3 शहरों के विकास प्राधिकरणों को इस दिशा में जरूरी कदम उठाते हुए कम से कम 01 आर्इ0टी0 पार्क विकसित करने के लिए कहा है ताकि प्रदेश के नौजवानों को रोजी-रोटी के लिए अन्य प्रदेशों में जाने की जरूरत न पड़े और राज्य की आर्थिक सिथति में सुधार हो।
प्रवक्ता ने बताया कि सूचना प्रौधोगिकी व्यवसाय को बढ़ावा देने, निजी क्षेत्र में से पूंजी निवेश आकर्षित करने, रोजगार सृजन तथा राज्य के समग्र सामाजिक एवं आर्थिक विकास हेतु प्रदेश सरकार द्वारा पहले ही उ0प्र0 सूचना प्रौधोगिकी नीति- 2012 लागू की जा चुकी है। इस नीति के तहत अत्याधुनिक तकनीक से युक्त आर्इ.टी. पार्क की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी। आर्इ.टी. पार्क का निर्माण न्यूनतम लगभग 15000 वर्ग मीटर फ्लोर एरिया में किया जा सकता है। राज्य में स्थापित होने वाले ऐसे आर्इ.टी. पार्कों को स्टेप-अप (साफ्टवेयर एवं टेक्नोलाजी अन्ट्रपिन्योर पार्क उ0प्र0) घोषित किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में 10 जुलार्इ, 2013 को समस्त सम्बनिधत पक्षों के साथ बैठक में इन परियोजनाओं हेतु दिशा-निर्देश तैयार किए गए थे, जिसे मंत्रिपरिषद ने 26 फरवरी, 2014 को मंजूर कर लिया। इसके तहत विकास एजेंसी (जिसका तात्पर्य विकास प्राधिकरण, औधोगिक विकास प्राधिकरण तथा उ0प्र0 राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों से है) के स्वामित्व वाली भारमुक्त भूमि अथवा राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत नगरीय संकुल के समीप भूमि को चिनिहत किया जाएगा। भूमि चिनिहत करने के उपरान्त आर्इ.टी. पार्क विकसित करने हेतु विकास एजेंसी अन्य समस्त औपचारिकताओं को पूरा करते हुए भू उपयोग बदलने तथा परियोजना के विन्यास, निर्माण, वित्त पोषण, परिचालन तथा अनुरक्षण कार्यों के लिए स्वयं अथवा निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से पर्याप्त निधियां एवं संस्थागत क्षमता उपलब्ध कराएगी। परियोजना की रूपरेखा बनाने तथा निजी क्षेत्र से भागीदार के चयन हेतु बिड प्रक्रिया का उपयोग करके प्रतिषिठत एवं अनुभवी वित्तीय परामर्शदाताकारोबार सलाहकार नियुक्त किया जाएगा। परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर विकास एजेंसीडेवलपर द्वारा स्वतंत्र अभियंता से पूर्णत: प्रमाण पत्र एवं अनुपालन प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि आर्इ.टी. पार्कों की स्थापना हेतु राज्य सरकार ने 04 विकास माडलों को मंजूरी प्रदान की है। इसके तहत विकास एजेंसी द्वारा स्वयं के स्रोतों या साफ्टवेयर टेक्नोलाजी पार्क आफ इणिडया (एस.टी.पी.आर्इ.) के सहयोग से आर्इ0टी0 पार्क विकसित किया जाएगा। इसके अलावा डिज़ाइन, बिल्ट, फाइनेंस, आपरेट एण्ड ट्रांसफर (डी.बी.एफ.ओ.टी.) के आधार पर निजी क्षेत्र से सहयोग लिया जा सकता है। चौथे विकास माडल के रूप में किसी आर्इ.टी. पार्क के विकास के लिए संयुक्त उधम (ज्वाइंट वेंचर) का सहारा भी लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि राज्य के टियर-2 तथा टियर-3 शहरों में 31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाली अवधि तक सूचना प्रौधोगिकीसूचना प्रौधोगिकी जनित सेवा क्षेत्र की नर्इ इकार्इयों को उ0प्र0 सूचना प्रौधोगिकी नीति-2012 के तहत अनुमन्य सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
ज्ञातव्य है कि टियर-2 में 20 लाख से अधिक आबादी वाले नगर तथा लखनऊ, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद एवं मेरठ शहर आते हैं। जबकि टियर-3 में 20 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर आच्छादित किए गए हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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