उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि बेहतर सड़कों का विकास से सीधा रिश्ता है। राज्य में निवेश बढ़ाने के लिए तेज एवं बेहतर कनेकिटविटी की सड़कें आवश्यक हैं। प्रदेश की जनसंख्या एवं ट्रैफिक में हुर्इ वृद्धि को देखते हुए भी टिकाऊ एवं उच्च गुणवत्ता की सड़कों का निर्माण किया जाना जरूरी है। प्रदेश में राज्य राजमार्गों एवं अन्य मुख्य मार्गाें का एक बड़ा नेटवर्क पहले से मौजूद है। उसे और भी सुदृढ़ किया जाना समय की आवश्यकता है। इस जरूरत को ध्यान में रखते हुए शासन ने प्रदेश में राज्य राजमार्गो,ं बार्इपास एवं अन्य मुख्य मार्गों को सार्वजनिक-निजी सहभागिता से विकसित करने के लिए ‘उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग विकास कार्यक्रम का गठन किया है।
यह जानकारी देते हुए आज यहां एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि तीव्र एवं सुगम यातायात, कृषि, औधोगिक तथा उपभोक्ता उत्पादों के तेजी से परिवहन एवं विकास के लिए भी राज्य की सड़कों के नेटवर्क को बेहतर बनाया जाना जरूरी है। राज्य सरकार के सीमित संसाधनों को देखते हुए राज्य राजमार्गांें, बार्इपास एवं अन्य मुख्य मार्गों का विकास सार्वजनिक-निजी सहभागिता के तहत टोल एकत्रीकरण पद्धति के माध्यम से किया जाएगा। इसके सुनियोजित एवं त्वरित विकास के लिए दीर्घकालिक कार्यक्रम बनाये जाने की आवश्यकता है। इसके मददेनजर उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग प्राधिकरण के प्रस्ताव पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कर्इ बैठकों मेें विचार-विमर्श तथा लोक निर्माण विभाग द्वारा परीक्षण एवं परिमार्जन के उपरान्त इस कार्यक्रम को तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम के दो भाग हैं, जिसके तहत प्रदेश के कुल 86 मार्गों के कार्य सार्वजनिक-निजी सहभागिता के माध्यम से उपशा द्वारा सम्पादित किए जाएंगे। पहले भाग के तहत मार्गों का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। इसे पांच चरणों में पूरा किया जाएगा। इसके तहत कुल 58 मार्गों पर काम किया जाना प्रस्तावित है। दूसरे भाग के तहत राज्य के कुल 28 प्रमुख शहरों में बार्इपास का निर्माण किया जाएगा।
सरकारी प्रवक्ता ने यह भी बताया कि कार्यक्रम के पहले भाग के 58 मार्गों में से 20 मार्गाेंं को चारलेन कैरिज-वे तथा शेष 38 मार्गाें को दो-लेन विद पेव्ड शोल्डर कैरिज-वे के अनुसार विकसित किया जाएगा। कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) हेतु जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार सक्षम स्तर से अनुमति प्राप्त करना जरूरी होगा। किसी भी परियोजना पर कार्यवाही प्रारम्भ करने से पहले उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा लोक निर्माण विभाग की सहमति भी प्राप्त करनी होगी।
प्रवक्ता ने बताया कि भाग एक के पहले चरण में प्रस्तावित पांच परियोजनाओं में से चार परियोजनाओं, दिल्ली-सहारनपुर यमुनोत्री मार्ग (एस0एच0-57), बरेली-अल्मोड़ा मार्ग (एस0एच0-57), वाराणसी-शकितनगर मार्ग (एस0एच0-5ए), मेरठ-करनाल मार्ग (एस0एच0-82) के अनुबन्ध उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा गठित किए जा चुके हैं तथा नियत तिथि भी निर्गत की जा चुकी है। जबकि प्रथम चरण की परियोजना लखनऊ-हरदोर्इ-शाहजहांपुर मार्ग (एस0एच0-25) तथा द्वितीय चरण की परियोजनाओं अलीगढ़-मथुरा मार्ग (एस0एच0-80), एटा-शिकोहाबाद मार्ग (एस0एच0-85), ताड़ीघाट-बारा मार्ग (एस0एच0-99), मुजफ्फरनगर-सहारनपुर वाया देवबन्द मार्ग (एस0एच0-59), बलरामपुर-गोण्डा-जरवल मार्ग (एस0एच0-1ए), अकबरपुर-जौनपुर मिर्जापुर-दुदधी मार्ग परियोजनाओं के लिए रेक्वेस्ट फार प्रपोजल (आर0एफ0पी0) की कार्यवाही प्रगति में है। तृतीय चरण की परियोजनाओं हेतु फिजीबिलटी अध्ययन की प्रक्रिया चल रही है। चतुर्थ चरण, पंचम चरण तथा बार्इपास निर्माण योजना पर कार्यवाही अभी होनी है।
सरकारी प्रवक्ता बताया कि इन परियोजनाओं के अलावा प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के अन्य मार्गों का भी बड़ा रोड नेटवर्क है। सीमित बजट के कारण इन मार्गों के उचित रख-रखाव में समस्या आ रही है। इसलिए इन मार्गों का रख-रखाव सार्वजनिक-निजी सहभागिता के तहत ओ0एम0टी0 (आपरेशन मेन्टेनेन्स एण्ड ट्रांसफर) पद्धति द्वारा किया जाएगा। रख-रखाव के लिए मार्गाें का चयन लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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