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विनोद तिवारी को अठारहवां ष्देवीशंकर अवस्थी सम्मानष्

Posted on 28 February 2014 by admin

हिन्दी आलोचना के लिए वर्ष 2013 का श्देवीशंकर अवस्थी सम्मानश् युवा आलोचक श्री विनोद तिवारी को दिया जायेगा। उन्हें यह सम्मान वर्ष 2011 में प्रकाशित उनकी पुस्तक श्नयी सदी की दहलीज परश् पर दिया गया है।  यह निर्णय इस सम्मान के लिए गठित पुरस्कार समिति की इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की एनेक्सी में आयोजित एक बैठक में 24 फरवरीए 2014 को सर्वसम्मति से लिया गया। बैठक में सर्वश्री अजित कुमारए नित्यांनद तिवारीए अशोक वाजपेयीए सुश्री अर्चना वर्मा और श्रीमती कमलेश अवस्थी उपस्थित थे।
यह पुरस्कार हिन्दी के दिवंगत प्रख्यात आलोचक डॉण् देवीशंकर अवस्थी  की स्मृति में उनकी पत्नी श्रीमती कमलेश अवस्थी द्वारा वर्ष 1995 में स्थापित किया गया था। अब तक यह सम्मान क्रमशः सर्वश्री मदन सोनीए पुरुषोत्तम अग्रवालए विजय कुमारए सुरेश शर्माए शम्भुनाथए वीरेन्द्र यादवए अजय तिवारीए पंकज चतुर्वेदीए अरविंद त्रिपाठीए कृष्णमोहनए अनिल त्रिपाठीए ज्योतिष जोशीए प्रणयकृष्णए सुश्री प्रमिला केण्पीण्ए संजीव कुमारए जितेन्द्र श्रीवास्तवए प्रियम अंकित को मिला है। वर्ष 1999 इसका अपवाद है क्योंकि किसी कृति को इस सम्मान के योग्य पाया नहीं जा सका था।
23 मार्चए 1973 में उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में जन्मे विनोद तिवारी की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में हुई और उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परा.स्नातक हुए। तत्पश्चात वर्धा के महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में तीन वर्ष अध्यापनए बीण् एचण् यूण्ए वाराणसी में दो वर्ष अध्यापन के बाद सन् 2010 से दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापनरत हैं। अभी दो वर्षों से अंकारा विश्वविद्यालयए अंकारा ;टर्कीद्ध में विजिटिंग प्रोफेसर पद पर रहने के पश्चात पुनः दिल्ली आये हैं।
हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में वे निरन्तर लिखते रहे हैं। श्पक्षधरश् पत्रिका के संपादक रहते हुए अन्य पत्रिकाओं का भी संपादन कार्य करते रहे हैं। इन दिनों श्उपनिवेश और उपन्यासश् नाम से एक आलोचनात्मक किताब पर भी काम कर रहे हैं। श्परम्पराए सर्जन और उपन्यासश् विजयदेव नारायण साही ;साहित्य अकादमी के लिए मोनोग्राफद्ध के अलावा साहित्य अकादमी के लिए ही श्स्वाधीनता के बाद का हिन्दी साहित्यश् में आत्मकथा खंड का लेखन कार्य भी विनोद तिवारी कर रहे हैं।
वे मानते हैं कि आलोचना कर्म एक सचेतए तर्कशीलए बौद्धिकए अकादमिक  दायित्व है। यह दायित्व बोध ही एक तरह से वह आलोचना दृष्टि प्रदान करता है जिससे अपने समयए समाज और संस्कृति को नये बनतेए बिगड़ते संबंधों के बीच परखा जा सकता है।
पुरस्कार समारोह की नियामिका और संयोजिका श्रीमती कमलेश अवस्थी ने इस निर्णय की जानकारी  देते हुए बताया कि पुरस्कार समारोह अवस्थी जी के जन्मदिवस के दिन 5 अप्रैलए 2014 ;शनिवारद्ध की शाम 5ण्30 बजेए रवीन्द्र भवनए नई दिल्ली के साहित्य अकादेमी सभागार में आयोजित समारोह में विनोद तिवारी को अठारहवां श्देवीशंकर अवस्थी सम्मानश् प्रदान किया जायेगा। इस अवसर पर श्युवा आलोचकों के सरोकारश् विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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