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उ0प्र0 शासन द्वारा स्मारक का संरक्षण कार्य युद्धस्तर पर शुरू

Posted on 27 February 2014 by admin

उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री राजन शुक्ला के नेतृत्व में पुरातत्व निदेशालय, आवास विकास परिषद, ग्लोबल सेल, इण्टैक दिल्ली तथा अन्य विभिन्न अभियांत्रिक विभागों, लोक निर्माण विभाग, उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम उ0प्र0 प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, सी0 एण्ड डी0 एस0 (जल निगम), समाज कल्याण विभागों के वरिष्ठ अधिकारियोंअभियंताओं ने राज्य सरकार द्वारा चन्दर नगर आलमबाग लखनऊ सिथत संरक्षित स्मारक आलमबाग भवन का आज सुबह निरीक्षण किया।
प्रमुख सचिव संस्कृति विभाग श्री राजन शुक्ला तथा अभियंताओं एवं पुरातत्व विशेषज्ञों ने आलमबाग चन्दर नगर सिथत ऐतिहासिक आलमबाग भवन के मरम्मत कायोर्ं का निरीक्षण किया। उक्त भवन के जीर्णोद्धार तथा उसके स्वरूप को निखारने के लिये एस0एन0 एण्ड कम्पनी निर्माण एजेंसी के कारीगर मिस़्त्री सक्रियता से उ0प्र0 आवास विकास परिषद की देखरेख मरम्मत में कार्य कर रहे हैं। भवन मरम्मत करने वाले प्रमुख मिस्त्री को 1000 रुपये प्रतिदिन तथा अन्य सभी कारीगरों को 800 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव श्री राजन शुक्ला तथा विभिन्न निर्माण एजेंसियों के अभियंताओं ने उक्त संरक्षित स्मारक के निर्माणजीर्णोद्धार कार्यों में प्रयुक्त होने वाली सुर्खी, चूना, मौरंग तथा अन्य गुणवत्तापरक सामग्री का निरीक्षण किया। दीवारों पर किये जा रहे प्लास्टर कायोर्ं, उक्त स्मारक में बने हुए स्वरूप को हूबहू वैसा ही संवारे जा रहे निर्माण कार्य का भी निरीक्षण किया।
प्रमुख सचिव श्री राजन शुक्ला ने राज्य संरक्षित स्मारक आलमबाग चन्दर नगर सिथत आलमबाग भवन एवं प्रवेश द्वार के बारे में उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकारी श्री गिरीश चन्द्र सिंह द्वारा लिखित पुसितका की सराहना की।
प्रमुख सचिव श्री राजन शुक्ला ने बताया कि आलमबाग भवन और उससे सम्बद्ध शाही दरवाजा जो चन्दर नगर गेट के नाम से मशहूर है उ0प्र0 शासन के संस्कृति विभाग द्वारा अधिसूचित एक राज्य संरक्षित स्मारक है। उन्होंने बताया कि नवाब बागों के बहुत शौकीन थे और उन्होंने कर्इ मोहल्लों के नाम बागों के नाम पर रखे जैसे, चारबाग, ऐशबाग, लालबाग, खुर्शेदबाग तथा आलमबाग। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने अपनी बेगम आलम आरा के लिये जिस हरे-भरे बड़े भू-भाग और खुशनुमा बाग में भवनकोठी का निर्माण कराया था, उन्हीं के नाम पर इसका नाम आलमबाग पड़ा। बेगम आलम आरा एक विद्वान, शिक्षित और साहितियक अभिरुचि की महिला थीं। वह एक अच्छी शामरा होने के साथ-साथ आलम नाम से सुंदर गजलें और नज्में भी लिखा करती थीं।
प्रमुख सचिव राजन शुक्ला ने आलमबाग कोठी के बारे में बताया कि भवन के मध्य में एक बहुत बड़े हाल का प्राविधान है। हाल के उभय पाश्र्वो में इन कक्षों की संख्या कुल -6 है। भवन के चारों ओर अष्टकोणीय मीनारों का प्राविधान है। इनका निर्माण भवन की सुरक्षा की दुषिट से किया गया था। पूरा भवन दो मंजिला है। भूतल के वाहय मध्य भाग में 7-7 द्वार बनाये गये हैं। प्रत्येक द्वार के उत्तरंग लिण्टर के ऊपर शीर्ष मेहराबें बनी हैं। उनके शीर्ष भाग में सुंदर पुष्पगुच्छ का प्रदर्शन है। अद्र्धसूर्य और उससे प्रस्फुटित रशिमयाँकिरणें बनायी गयीं हैं। प्रवेश द्वार में उभय पाश्र्वों में दो-दो कुल आठ अलंकृत स्तम्भ बने हैं। सामने से दोनों मीनारों के वाहय भाग की दीवार में प्लास्टर से दरवाजों की अनुकृतियाँ दर्शायी गयी हैं। दरवाजों को खूबशूरत प्लास्टर पल्लों से सुशोभित किया गया है। भवन अपने आप में भव्य, अलंकृत बना है। भवन के चारों ओर अष्टकोणीय मीनारें हैं। आलमबाग कोठी के ठीक सामने शाही द्वार निर्मित हैं। यह भी भव्य एवं आकर्षक हैं। इस आलमबाग कोठी का संरक्षण एवं मरम्मत कार्य चल रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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