अनुसूचित जातिअनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम से संबंधित अदालतों में चल रहे मुकदमों में अपराधियों को सजा दिलाने हेतु न्यायालयों में प्रभावी पैरवी किये जाने के निर्देश दिये गये है। विवेचना की गुणवत्ता में सुधार के लिए जिन जनपदों में प्रगति धीमी अथवा संतोषजनक नही पायी जायेगी वहा पर धारा 164 के तहत गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष कराये जाने तथा उसकी आडियो, वीडियो रिकार्डिंग कराये जाने के भी निर्देश दिये गये है।
अपर पुलिस महानिदेशक अभियोजन श्री आर0एन0 सिंह ने आज सर्तकता विभाग के सभागार में जिलेवार अनुसूचित जातिअनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम से संबंधित अदालतों में चल रहे मुकदमों में विगत 6 माह में हुये पैरवी कार्य की विस्तार से समीक्षा की। जिन मामलों में अभियुक्त मुकदमों से छूट गये है, उनका परीक्षण कराके अपील कराने के निर्देश दिये गये है। समीक्षा में अभियोजन निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा सहायक अभियोजन अधिकारी, अभियोजन अधिकारी, जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी), अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) आदि अधिकारियों ने भाग लिया।
पैरवी कार्य में शिथिलता मिलने पर लगभग 2 दर्जन अभियोजन अधिकारियों को चेतावनी तथा एक दर्जन अभियोजन अधिकारियों के कार्यो की जांच कराकर विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं।
अनुसूचित जातिअनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के अन्तर्गत अभियोजन संवर्ग के विशेष लोक अभियोजकों द्वारा अभियोजित वादों की विगत वर्ष 2013 की 1 जुलार्इ से 31 दिसम्बर तक की समीक्षा से स्पष्ट हुआ है कि कुल निर्णीत 1106 वादों में 40 मामलों में आजीवन कारावास, 36 मामलों में 10 वर्ष से अधिक का कारावास तथा 250 मामलों में 10 वर्ष से कम के कारावास का दण्ड अभियुक्तों को दिलाने में सफलता प्राप्त हुर्इ है। इस प्रकार कुल 336 मामलों में अभियुक्तों को प्रभावी पैरवी के फलस्वरुप सजा मिल सकी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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