महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना की वजह से जनपद फतेहपुर जिले की दो सूखी नदियों को पुर्नजीवन मिला है। इन नदियों का नाम ससुर और खदेड़ी था, इन्हे ससुर खदेड़ी-प्रथम तथा ससुर खदेड़ी-द्वितीय कहा जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार अब खुदार्इ, प्रवाह वेगों का विस्तार, गहरा करने, नदियों के सूखे पडे़ं स्वरुप को सवारने का कार्य करके उनमें जल प्रवाह में किये जाने की व्यवस्था की गर्इ जिससे वहां के लोगों को पर्याप्त लाभ मिले। फतेहपुर जनपद में इन दोनो नदियों का विस्तार 04 ब्लाकों में है। प्रवाह वेग की लम्बार्इ 46 किमी0 है। आस-पास के क्षेत्रों में नदियों के सूख जाने के कारण ही पानी में कमी आ गर्इ थी। अब मनरेगा के अन्तर्गत इन नदियों का पुर्नजीवित किया जा चुका है।
उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अरविंद कुमार सिंह गोप के निर्देशन में उपरोक्त समस्याओं के दृशिटगत जनपद फतेहपुर में मनरेगा योजनान्तर्गत जिलाधिकारी, फतेहपुर के नेतृत्व में जिले की टीम द्वारा इन दोनों नदियों एवं थिथौरा झील को रीक्लेम करने की परियोजना तैयार की गयी। इस परियोजना की परिकल्पना का मुख्य उदेश्य इस झील एवं दोनों नदियों का संरक्षण, आस-पास के गाँव को जलमग्न होने से बचाना एवं ऐसे परिक्षेत्रों के जलस्तर में, जहाँ पर जलस्तर में गिरावट हो रही है, गुणात्मक सुधार लाना था। ऐसे उददेष्य की पूर्ति के लिए जनपद स्तर पर यह निर्णय लिया गया कि दोनों नदियों के 38 कि0मी0 के क्षेत्र को डी-सिल्ट करके एवं नयी खुदायी करके नदी के बहाव के लिए उपयुक्त गहरार्इ तैयार की जायेगी एवं नदी व झील के दोनों तरफ पौधा रोपड़ इत्यादि करके उसके पाटों को दृढ़ता प्रदान की जायेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरुप जिला प्रशासन द्वारा इसके लिए रू0 12.08 करोड़ की परियोजना तैयार की गयी है। परियोजना के वृहत आकार को देखते हुए इसके लिए जनपद स्तर पर विस्तृत प्लानिंग की गयी एवं परियोजना को अलग-अलग चरणों में क्रियानिवत करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए पूरी वर्क-साइट को कर्इ भागों में चिन्हांकित कर पृथक-पृथक प्रभारी अधिकारी नियुक्त किये गये। परियोजना के विस्तार का अनुमान इस आंकड़े से लगाया जा सकता है कि इसमें प्रतिदिवस 1000 से 1500 श्रमिकों द्वारा कार्य किया गया। झील से सम्बनिधत परियोजना पर अब तक लगभग 38000 मानव दिवस सृजित किये जा चुके है एवं लगभग 78,200 क्यूबिक मी0 मड को बाहर निकाला जा चुका है। इसी प्रकार नदी से सम्बनिधत परियोजना पर लगभग 96,900 मानव दिवसों का सृजन किया गया है एवं 186400 क्यूबिक मी0 मिटटी की खुदायी की जा चुकी है। मनरेगा के अन्तर्गत इतने विस्तृत परिक्षेत्र में कार्य कराये जाने का समस्त भारत में यह एक विशिष्ट उदाहरण है एवं इसकी सराहना भारत सरकार के स्तर पर भी की जा रही है।
इस परियोजना के क्रियान्वयन से विस्तृत प्रभाव छोड़ने वाले लाभ हुए है यथा- जनपद के ऐसे गाँव जो पिछले वर्षों में जलमग्न हो जाते थे, में इस वर्ष सामान्य जीवन निर्वहन किया गया। ऐसे कर्इ गाँव देखे गये हैं जहाँ जलाभाव के कारण धान की खेती नहीं की जा सकती थी वहा इस वर्ष धान की पौध लगायी गयी है एवं क्षेत्र में अच्छी खेती दिखायी पड़ रही है। झील में जल के ढहराव के कारण स्थानीय जल स्तर में भी प्रभावी सुधार हुआ है। झील में इस वर्ष वर्षा ऋतु में लगभग 90,000 क्यूबिक मी0 पानी संरक्षित हुआ है। मनरेगा योजनान्तर्गत ऐसी परियोजनाओं को अन्य जनपदों में भी क्रियानिवत करने के लिए जनपद स्तरीय अधिकारियों को निर्देषितप्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे सामान्यजन के लाभार्थ एवं दूरगामी स्थायी परिणाम देने वाले ऐसी परियोजनाओं को अधिक-अधिक से स्थानों पर क्रियानिवत किया जा सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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