भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने समाज को जाति और मजहब के नाम पर बांटने का काम किया है। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी सपा प्रमुख की तर्ज पर बांटो और राज करों की नीति पर काम कर रहे है। मजहबी आधार पर योजनाओं को लागू करने में जुटी अखिलेश सरकार सामाजिक ताने-बाने को वोट की लालच में छिन्न-भिन्न कर रही है। श्री पाठक ने नरेन्द्र मोदी को लेकर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा दिये गये वक्तव्य पर पलटवार करते हुए कहा कि समाज को बाटकर राजनीति करने में जुटे लोग नरेन्द्र मोदी का क्या मुकाबला करेंगे?
सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के कथन कि समाज बांटकर प्रधानमंत्री बनने का मोदी सपना देख रहे है पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री पाठक ने पार्टी मुख्यालय पर सोमवार को कहा कि अखिलेश सरकार की योजनायें मजहबी आधार पर बन रही है। अपनी रैली में किसान और मुसलमान की बात करने वाले सपा नेता यह तो बताये कि क्या मुसलमान किसान नही है? राज्य में सत्तारूढ़ दल के लोग दावा समाज के हर तबके को राहत देने का करते है पर हकीकत में योजनाओं को अल्पसंख्यकों के नाम पर मुसलमानों को समर्पित करने का उपक्रम करना क्या समाज को जोड़ने की पहल है? क्यों उत्तर प्रदेश सरकार गावों के विकास का भी फैसला करती है तो अल्पसंख्यक आबादी वाले गांवों का ही? हमारी बेटी-उसका कल के नाम पर योजना पर सिर्फ अल्पसंख्यक बेटी को ही क्यो लाभ मिलता है? क्या अन्य बेटियां हमारी बेटियां नही, फिर योजना में ही क्यों नही कहते कि अल्पसंख्यक बेटी-उसका कल। जाहिर है बात सर्वसमाज की पर निर्णय वोट के नजरिये से।
उन्होने कहा कि साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ने की बात करने वाले लोग राज्य का वातावरण साम्प्रदायिक करने में जुटे है। राज्य का वातावरण खराब कर रहे है। 150 से अधिक साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं अखिलेश सरकार की कार्यशैली का नमुना है। आखिर क्यो समाजवादी पार्टी के राज्य में ही साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं बढ़ती है। सीधा सा मतबल है सपा का शासन अराजकता फैला रहे लोगों को संरक्षण देता है। जाति और मजहब देख यहाँ कार्यवाही होती है। उपद्रवी तत्वों को हौसला अफजार्इ की जाती है। मुजफ्फरनगर में खून की होली खेली गर्इ 63 जाने जाती है। आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?
श्री पाठक ने कहा सपा प्रमुख एक तरफ समस्याओं की जड़ कांगे्रस को बताते है, किन्तु जब उस जड़ के विरूद्ध निर्णयाक संघर्ष की बात आती हैं तो सपा प्रमुख कांगे्रस अध्यक्ष के खिलाफ उम्मीदवार नही उतारने का फैसला लेते है। चाहे 2004 रहा हो या 2009 कांगे्रस की दिखावटी आलोचना करते हुए कांगे्रस नीत गठबंधन वाली यूपीए सरकार को चलाने का जिम्मा भी समाजवादी पार्टी ही संभालती है। अब चुनाव सामने देख नूरकूश्ती में जुटे कांगे्रस को घेर रहे है। चुनावी पैतरे बाजी के तहत तीसरे मोर्चे की बात हो रही है। पर 2004 और 2009 की तरह मोर्चा तय है जनता भी इस बात को समझ रही है।
उन्होने कहा की घोषणापत्र में किये गये वादे पूरे करने की वकालत करते सपा नेता ये क्यों भूल जाते है कि उनके इन पूरे किये गये वादों का सच लखनऊ राजधानी में देखने को भी मिल रहा है। मुफ्त इलाज के दावे मंचो से हो रहे है। पर हकीकत यह है कि कैंसर से जूझ रहे अपनी पत्नी की पीड़ा कर्ज की चिन्ता से निराश हताश एक किसान ने अस्पताल की छत से मृत्यु को गले लगाने के लिए छलांग ही लगा दी। जब इलाज मुफ्त की बात सरकार कर रही है तो फिर इन्हे क्यों नही मिला? क्या जिनके कारण इन्हे यह सुविधा उपलब्ध नही हो पार्इ कार्यवाही होगी?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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