”प्रकृति ने जो अदभुत उपहार दिये हैं, उनका आनन्द लेने के साथ ही उनका संरक्षण बहुत जरूरी है। प्रकृति के इतिहास को दर्शाने के लिए आज नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम अति आवश्यक हैं। दुर्लभ हो रही स्पीशीज को प्रिजर्व करके रखा जाना चाहिये जिससे बच्चे उनके बारे में जाने।
पूर्व आर्इ0एफ0एस0 एवं पूर्व प्रिन्सपल कन्जरवेटर आफ फारेस्ट डा0 राम लखन सिंह ने उक्त विचार राज्य संग्रहालय उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, नर्इ दिल्ली तथा राजकीय संग्रहालय, झांसी के संयुक्त तत्वावधान में ”नेचर इन्टरप्रिटेशन एण्ड कन्जर्वेंशन म्यूजियम एण्ड जू विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में व्यक्त किये। उन्होंने अपना अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत करते हुये लखनऊ को एक साइंस सिटी के रूप में भी दर्शाने की बात कही। उन्होंने बताया कि लखनऊ में सी0डी0आर0आर्इ0, एम0बी0आर0आर्इ0, सी0मैप, मैंगो रिसर्च सेन्टर, बीरबल साहनी रिसर्च इन्टीटयूट आदि अनेक बड़ी लैब हैं जो दुनिया भर में जानी जाती हंै लखनऊ की संस्कृति को बताते समय लखनऊ के इस पक्ष को भी उजागर करना चाहिये। संग्रहालय में लखनऊ सिथत उन सभी वैज्ञानिक संस्थाओं के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया।
संगोष्ठी का उदघाटन शकुन्तला मिश्रा विश्वविधालय, के कुलपति मुख्य अतिथि श्री निशीथ राय ने किया। उन्होंने विषय पर अपनी बात रखते हुये बताया कि 1863 से यह संग्रहालय काम कर रहा है। प्राणि उधान के मध्य सिथत होने की वजह से यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति का पक्ष पीछे छूट जाता है जिसके कारण अनेक जटिलतायें पैदा हों रही हैं। उन्होंने कहा कि दुर्लभ जीव-जन्तुओं का संरक्षण बहुत जरूरी है। इसके लिए नीतियां बनार्इ जायं और उनका व्यवहारिक कि्रयान्वयन भी हो। उन्होंने कहा कि यह संगोष्टी निशिचत ही सही अर्थों में अपने उददेश्य को चरितार्थ करेगी।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति श्री राजन शुक्ला भी उपसिथत थे। उन्होंने विषय की दृषिट से इस संगोष्ठी को अति महत्वपूर्ण बताया। एस0एम0एन0एच0, नर्इ दिल्ली में वैज्ञानिक डी0 के पद पर कार्यरत सुश्री नाज रिजवी ने कहा कि यदि हमने अपने नेचुरल रिर्सोसेस को खो दिया तो हम खुद खत्म हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि यदि नेचुरल हिस्ट्री आब्जेडस संरक्षण हेतु उपलब्ध हो सकें तो यह इस गोष्ठी को बड़ी कामयाबी होगी।
अन्य विद्वानों में प्रो0 सर्इद आसिफ, ए0 नकवी, सुश्री अमिता कनौजिया, आशीष कुमार, सोनिका कुशवाहा, अखिलेश कुमार, आदेश कुमार, दैनिश महमूद, डा0 रीना डे, डा0 फौजिया सहीन, डा0 नीता निगम, मितेश हरिन खेड़े ने प्रकृति की व्याख्या करते हुए संग्रहालयों एवं प्राणि उधान में उपलब्ध जीव-जन्तुओं एवं कलाकृतियों का संरक्षण किस प्रकार किया जाय इस पर विस्तृत चर्चा करते हुये अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
गोष्ठी का संचालन अलशाज फातिमा तथा डा0 श्यामानन्द उपाध्याय ने किया। राज्य संग्रहालय के निदेशक डा0 ए0के0 पाण्डेय ने विद्वानों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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