संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा छतर मंजिल परिसर के समुचित संरक्षण एवं रचनात्मक उपयोग के सम्बन्ध में सार्थक कार्य योजना तैयार करने के उददेश्य से उत्तर प्रदेश के पुरातत्व निदेशालय द्वारा आगामी 7 व 8 फरवरी को छतर मंजिल परिसर को सांस्कृतिक एवं पर्यटन केन्द्र के रुप में विकसित करने विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन छतर मंजिल परिसर हाल में पूर्वान्ह 10.30 बजे होगा।
संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री राजन शुक्ला ने बताया कि इस कार्यशाला में देश के मूर्धन्य इतिहासकारों, पुरातत्वविदों, वास्तुविदों, वैज्ञानिकों एवं संग्रहालय विशेषज्ञों द्वारा शोध पत्रों का प्रस्तुतिकरण एवं विचार मंथन किया जायेगा। कार्यशाला में प्राप्त सुझावों के आधार पर प्रदेश के धरोहरों को बचाने की कार्य योजना तैयार की जायेगी। इस दृषिट से यह कार्यशाला अति महत्वपूर्ण होगी। पुरातत्व निदेशालय के निदेशक श्री वी0के0 सिंह ने बताया कि कार्यशाला पांच तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया है। पहले दिन दो सत्र तथा दूसरे दिन तीन तकनीकी सत्र होंगे।
कार्यशाला मंें पहले दिन लखनऊ विश्वविधालय के मध्य कालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के डा0 पी0के0 घोष, डा0 ए0 चक्रवर्ती काशी हिन्दू विश्वविधालय वाराणसी के डा0 अनुराग आरोही, कोलकाता की सुश्री नीता दास एवं वास्तु कलासंकाय के विधार्थियोें द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे। द्वितीय सत्र में आर्इ0आर्इ0टी0, काशी हिन्दू विश्वविधालय वाराणसी के डा0 राजेश कुमार, आर्इ0आर्इ0टी0 रुड़की से प्रो0 पुष्पलता तथा सिन्टेक, नर्इ दिल्ली के श्री नितिन बहल अपने शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।
कार्यशाला के दूसरे दिन तृतीय सत्र में संरक्षणविद श्री ए0जी0के0 मेनन, सुश्री आभा एन0 लाम्बा एवं सुश्री नलिनि ठाकुर द्वारा छतर मंजिल के संरक्षण से सम्बनिधत शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे। इसी सत्र में वास्तुविद श्री कुमार कार्तिकेय, इन्टेक संरक्षणविद श्री दिव्य गुप्ता, वास्तुविद श्री आशीष श्रीवास्तव, स्वीडन के डा0 सतीश चन्द्र, श्री एन0के0 मंडवाल एवं श्री निसार खान के शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे।
चतुर्थ सत्र में श्री ए0के0 दास, श्री सिद्वार्थ दास, विपुल वाष्र्णेय तथा पंचम सत्र में श्री मो0 शहीर, सुश्री प्रियलीन सिंह, कु0 आयला खान तथा श्री चन्द्र प्रकाश अपने विचार व्यक्त करेंगे।
तकनीकी सत्र के समापन के पश्चात खुला सत्र होगा जिसमेें श्रोताओं से विचार आमंत्रित किये जायेंगे जिन पर चर्चा होगी। इस कार्यशाला में प्रस्तुत शोध पत्रों के निष्कर्ष एवं परिणाम पर भी प्रकाश डाला जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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