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‘एक षाम काव्य, ध्यान और आध्यातिमक संवाद अनंत श्री के साथ काव्य संग्रह ‘दरकती है जिन्दगी’ का लोकार्पण महापौर डा0 दिनेश शर्मा की उपसिथति में सम्पन्न हुआ विमोचन

Posted on 04 February 2014 by admin

सोषल मीडिया, ब्लाग व पत्र पत्रिकाओं में लेखन, पत्रकारिता व सामाजिक सरोकारो पर अपनी लेखनी चलाने वाले रवीन्द्र षुक्ला जो अब इस दुनिया में नही हैं, उनके द्वारा रचित काव्य संग्रह ‘दरकती है जिन्दगी’ का लोकार्पण  श्री अनन्त श्री द्वारा 1 फरवरी 2014 (षनिवार) को स्थानीय जयषंकर प्रसाद सभागार, राय उमानाथ बली प्रेक्षाग्रह कैसरबाग में किया गया।
‘एक षाम काव्य, ध्यान और आध्यातिमक संवाद अनंत श्री के साथ नामक इस कार्यक्रम में अनंत श्री जो कि अनंत पथ के संस्थापक, नयी आध्यातिमक क्रांति के सूत्रधार है. उन्होने उपसिथत श्रोताओं से  जीवर और मृत्यु के रहस्यों पर तथा जीवन में प्रसन्नता के स्थान पर चर्चा की तथा सामूहिक ध्यान भी कराया।
इस मौके पर लखनऊ के महापौर डा0 दिनेश शर्मा ने रवीन्द्र शुक्ला को करूणा का कवि बताया। उन्होने ने रवीन्द्र शुक्ला के कृतित्व एवं व्यकितत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला उन्होने काव्य संग्रह की सराहना करते हुये इसे अनूठा प्रयास बताया।
कार्यक्रम में रवीन्द्र के काव्य संग्रह की चुनिंदा रचनाओं का पाठ भी हुआ तथा रवीन्द्र के नजदीकी लोगों ने रवीन्द्र के जीवन तथा उनकी रचनाधर्मिता पर प्रकाष डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अनन्त श्री ने कहा कि रवीन्द्र षुक्ला के काव्य संग्रह का नाम तो अनंत की संभावनाओं की ओर होना चाहिए क्योकि लेखक ने जीवन के रहस्यों पर इस पुस्तक के माध्यम से पर्दा उठाने का काम किया है। लेखक, जो कवि भी है ने वर्तमान आपाधापी पर अपनी पैनी नजर फेरी है। जनान्दोलनों से लेकर एकात्म तक का सफर उन्होने किया और इस पर अपनी लेखनी चलार्इ है। रवीन्द्र षुक्ला का आत्मंरूपान्तरण हुआ है उनकी मृत्यु नही हुर्इ हैं । वे अमर हैं।
इस मौके पर अनन्तश्री ने कहा कि अध्यात्म और संसार एक ही हैं। संसार में रहते हुए ही सजगता,संवेदनशीलता और करुणा से भरकर जीना ही अध्यात्म है। जीवन और मृत्यु के रहस्यों में उतरना तभी संभव होता है जब हम ध्यान की गहराइयों में उतरते हैं। उन्होने कहा कि जीवन और मृत्यु एक ही यात्रा के भिन्न पडाव हैं। ठीक से वही जी पाता है जिसे मृत्यु का कोर्इ भय नहीं है। जो मृत्यु को जीवन के सहज तथ्य की तरह जानता है.प्रत्येक क्षण में जीवन और मृत्यु की धाराएँ बहती हैं.एक सांस बाहर जाती है तो यही मृत्यु की प्रक्रिया है और साँस का भीतर जाना ही जीवन है.दोनों में संतुलन जरुरी है।
श्रोताओं से सीधा संवाद करते हुए अनंत श्री ने जीवन में प्रसन्नता आने को घटना बताया। उन्होने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रसन्नता प्रत्येक व्यकित की खोज है। ऐसा कोर्इ भी व्यकित नही जो प्रसन्नता नही चाहता। प्रसन्नता धर्म का आधार है। एक धार्मिक व्यकित की कसौटी प्रसन्नता ही है। प्रसन्न व्यकित ही धार्मिक व्यकित है।
कार्यक्रम का संचालन लखनऊ जर्नलिस्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष पत्रकार अरविन्द षुक्ला ने अनंत श्री का परिचय देते हुए कहा कि अनंत श्री एक सम्बुद्ध रहस्यदर्षी हैं जो कृष्ण,बुद्ध,ओषो और जे0कृष्णमूर्ति जैसे सदगुरूओं की अनन्त धारा में एक खूबसूरत मोड की तरह प्रकट हुए हैं। वह धार्मिकता की सुगन्ध से भरे हुए हैं जो किसी भी धर्म से सम्बंधित नही हैं। उनका जीवन दर्षन व संदेष कोर्इ सिद्धांत,मत या वाद नही है। वह तो आत्मरूपान्तरण  का विज्ञान हैं। उन्होने महापौर के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम की सहयोगी उत्तर प्रदेष जर्नलिस्टस एसोसिऐषन (उपजा) थी। एसोसिएषन के प्रदेष महामंत्री रमेष चन्दजैन ने तथा प्रदेश अध्यक्ष रतन कुमार दीक्षित ने आये हुए अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी, सुरेन्द्र दुबे, डा0 आशीष वशिष्ठ, पी0 वी0 वर्मा, सहित लखनऊ जर्नलिस्टस एसोसिएशन के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने तथा रवीन्द्र षुक्ला के परिजनों, गणमान्य अतिथियों एवं बडी संख्या में पत्रकारों ने भाग लिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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