उत्तर प्रदेश के कृषक गीष्म कालीन सबिजयों की फसल को लने के लिए टमाटर, मिर्च तथा बैंगन के बीजों की बुवार्इ पौधाशालाओं में तुरन्त पूरी करें। प्याज की पूसा लाल गोल, कल्याणपुर गोल, एग्रीफाउण्ड लार्इट रेड एवं अन्य उपयुक्त किस्मों को पौध की रोपार्इ करें।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों से प्राप्त जाकनारी के अनुसार लौकी, तरोर्इ, करेला एवं खीरा की अगेती फसल लेने के लिए इनकी पालीथीन बैग में पौध तैयार करने के लिए बुवार्इ करें। लौकी की बुवार्इ का समय फरवरी से प्रारम्भ है इसके लिए लौकी के स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण श्वेता, स्वर्ण अगेती तथा प्वाइनसेट के बीजों की व्यवस्था करें।
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि भिण्डी की ग्रीष्म ऋतु की फसल की बुवार्इ फरवरी में करें, इसके लिए खेती की तैयारी की जाये, भिण्डी की वी0आर0ओ0-6, वी0आर0ओ0-5, परमनीक्रांति के बीजों की व्यवस्था करें। खरबूजा की बुवार्इ का समय फरवरी से आरम्भ है कृषक खरबूजा की सूगर बेबी, दुर्गापुर केसर, अर्कामानिक, दुर्गापुर मीठा, संकर केस्मों में आर्का ज्येाति के बीजों की व्यवस्था करें। लहसुन में आवश्यकतानुसार सिंचार्इ एवं निकार्इ-गुड़ार्इ की जानी चाहिये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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