बसन्त कालीन गन्ने की बुआर्इ का उपयुक्त समय पूर्वी उ0प्र0 में मध्य जनवरी से फरवरी, मध्य क्षेत्र के मध्य फरवरी से मध्य मार्च तथा पशिचमी क्षेत्र में मध्य फरवरी से मार्च है। अत: पूर्वी उ0प्र0 के किसान तोरिया आदि के खाली खेत में कार्बनिक खादों का प्रयोग करते हुये खेत की तैयारी करें। शरद कालीन गन्ने की बुआर्इ हेतु गन्ना बीज की व्यवस्था करें। कुल बाग क्षेत्रफल का 13 भाग शीघ्र पकने वाली प्रजातियों के अन्तर्गत रखें। स्वीकृत प्रजातियों का चुनाव करें। बीज गन्ना में पानी की मात्रा पर्याप्त बनाये रखने हेतु काटने से पूर्व उसमें पानी लगाये। तीन-तीन आंखों का टुकड़ा काटकर पारायुक्त रसायन से उपचारित करें।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किसान मण्डी भवन में आयोजित बैठक में फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी गयी सलाह के अनुसार शरदकालीन गन्ने के साथ विभिन्न फसलों में आवश्यकतानुसार गुड़ार्इ एवं संस्तुति अनुसार उर्वरक प्रयोग करें। बसन्त कालीन बुआर्इ से पूर्व मृदा परीक्षण करायें तथा खादी संस्तुति के अनुसार संतुलित उर्वरक की व्यवस्था करें एवं उनका बुआर्इ के समय उपयोग सुनिशिचत करें। यदि मृदा परीक्षण न कराया गया हो तो 50 किग्रा0 नत्रजन, 60 किग्रा फास्फोरस, 20 किग्रा पोटाश व 25 किग्रा जिंक सल्फेट का प्रयोग करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि बुआर्इ के समय दीमक व अंकुरबेधक नियंत्रण हेतु फोरेट 10 जी0-25 किग्रा या सेबिडाल 4.4 जी-25 किग्रा या क्लोरपाइरीफास 20 र्इ0सी0 5 ली प्रति हे0 1875 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर प्रयोग करें। फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की अगली बैठक 22 जनवरी 2013 को आयोजित की जा रही है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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