उत्तर प्रदेश से हज पर जाने वाले यात्रियों के सामने आने वाली दिक्क़तों खासकर सऊदी अरब में उन्हें पेश आने वाली दिक्क़तों और उन्हें हल किये जाने के सुझावों को सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश श्री बिलाल नज़ाकी की अध्यक्षता में आज यहां आर्इ उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने ध्यान से सुना। विधान भवन में आयोजित इस बैठक में दिक्क़तों और सुझावों को सुनने के बाद समिति के अध्यक्ष श्री बिलाल नज़ाकी ने बैठक में आये प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि इन दिक्क़तों को दूर करने के लिये उनके द्वारा दी गयी राय और सुझावों को समाहित करते हुये समिति अपनी सिफ़ारिश भारत सरकार को प्रस्तुत करेगी। उन्होंने कहा कि सेंट्रल हज कमेटी, भारत सरकार तथा राज्य हज समितियों द्वारा प्रदत्त सुविधाओं को और बेहतर बनाने के प्रयास किये जायेंगे लेकिन सऊदी हुकूमत द्वारा हज को लेकर जो सुविधायें दी जाती हैं या जो नियम बनाये जाते हैं उनमें दख़ल देने की गुंजाइश न के बराबर होती है। फिर भी समिति हज यात्रियों से जुड़े हर पहलू पर अपनी सिफ़ारिश भारत सरकार को देगी और पूरी कोशिश होगी कि हज के सफ़र को अधिक सुविधाप्रद और बेहतर बनाया जाये।
श्री नज़ाकी की अध्यक्षता वाली इस चार सदस्यीय समिति का मुख्य उददेश्य राज्य हज समितियों के साथ विचार-विमर्श कर हज समितियाें की कारकर्दगी तथा हज यात्रियों को दी जाने सुविधाओं को और बेहतर बनाने पर अपनी सिफ़ारिशें भारत सरकार को देना है। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा गठित यह समिति दस महीनों में अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को प्रस्तुत करेगी।
बैठक की अध्यक्षता करते हुये प्रदेश के नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री श्री चितरंजन स्वरूप ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की सरबराही में प्रदेश की मौजूदा सरकार तथा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आज़म खाँ की क़यादत में अल्पसंख्यको ंकी बहबूदी के लिये प्रभावी कदम उठाये
जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि श्री आज़म खाँ द्वारा हज यात्रियों की सुविधाओं के लिये जो कदम उठाये गये हैं उनकी सभी ने प्रशंसा की है और हज यात्रियों को इन सुविधाओं को लेकर कोर्इ शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में हज यात्रियों को और बेहतर सुविधायें प्रदान करायी जायेंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश से जाने वाले हज यात्रियों का दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कराया जाता है और उसके प्रीमियम का भुगतान राज्य सरकार स्वयं अपने संसाधनों से करती है।
श्री चितरंजन स्वरूप ने सऊदी अरब में हज यात्रियों के रहने के लिये दिये जाने वाले भवनों की खराब दशा की शिकायत पर सुझाव दिया कि सऊदी अरब में प्रदेश के हज यात्रियों के लिये कुछ अच्छे भवन चार-पांच वर्ष के लिये कान्ट्रैक्ट पर लेकर उन्हें प्रदेश के यात्रियों की आवश्यकता के अनुरूप बना लिया जाये जैसा कि इण्डोनेशिया व मलेशिया आदि अपने हज यात्रियों के लिये करते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सऊदी अरब में भवन का चयन करने वाली समिति में उत्तर प्रदेश का भी एक प्रतिनिधि शामिल किया जाना चाहिये। इस बात पर भी बल दिया कि जिन हज यात्रियों का पैसा किन्हीं कारणों से सेंट्रल हज कमेटी के पास रूका हुआ है उसके रिफंड में तेज़ी लार्इ जाये। उन्होंने कहा कि सेंट्रल हज कमेटी के मुख्यालय को मुम्बर्इ से हटा कर दिल्ली या गा़जि़याबाद शिफ्ट किया जाय जिससे उत्तर भारत के हज यात्रियों को सुविधा हो सके। यदि शिफिंटग करना आसान न हो तो तात्कालिक व्यवस्था के तहत दिल्ली या गाजियाबाद में सेंट्रल हज कमेटी का एक सब आफिस स्थापित किया जाये जिससे सम्पूर्ण उत्तर भारत कवर हा सकेे। उन्होंने कहा कि खादिमुल हुज्जाज के तौर पर भेजे जाने वाले लोगों के रूप में मदरसों के टीचर्स, पेश इमाम और मज़हब के अन्य जानकारों को भेजा जाये, जिसकी मांग प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आज़म खाँ बराबर करते आ रहे हैं। मजहबी कायदे कानून से वाकिफ होने की वजह से हज यात्रियों के लिये अधिक मददगार साबित होंगे। एक ही परिवार खासकर पति-पत्नी को सऊदी अरब में अलग-अलग कमरों में ठहराने की शिकायतों का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि इन शिकायतों की जांच की जाये और इस समस्या का स्थायी हल खोजा जाये। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हज के आवेदन पत्रों को हिन्दी व उदर्ू में छपवाया जाये क्योंकि अंग्रेजी भाषा में होने के
कारण हज यात्रियों को इसे भरने में दुश्वारियां आती हैं। उन्होंने कहा कि हज असिस्टेंट के चयन में राज्य हज समिति को भी शामिल किया जाये।
बैठक श्री सम्बोधित करते हुये सेंट्रल हज कमेटी व उ0प्र0 राज्य हज समिति के सदस्य, सांसद श्री मुनव्वर सलीम ने सेंट्रल व राज्य हज समितियाें को पूरी स्वायत्तता दिये जाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से ही हज यात्रियों को बेहतर सुविधायें मिल सकेंगी। उन्होंने भी हज यात्रियों के फंसे हुये पैसे की वापसी का बेहतर सिस्टम विकसित किये जाने की आवश्यकयता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सेंट्रल हज कमेटी के मुख्यालय को मुम्बर्इ से हटाकर गा़जियाबाद में कायम किया जाये जैसा कि श्री मोहम्मद आज़म खाँ मांग करने आ रहे हैं। इसकी स्थापना के लिये गा़जि़याबाद में मुफ्त जमीन उपलब्ध करायी जा सकती है। उन्होंने पासपोर्ट बनवाने मेे आने वाली दिक्कतों को दूर करने की जरूरत पर भी बल दिया।
इससे पूर्व उ0प्र0 राज्य हज समिति के सदस्यों, हज यात्रियों की सुविधा के लिये काम करने वाले स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों, वर्ष 2013 में हज यात्रा पर गये लखनऊ के दो हाजियों व अन्य संबंधित लोगों ने हज यात्रियों को विशेष सऊदी अरब में आने वाली मुशिकलों का विस्तार से जि़क्र किया। जिन दिक्कतों का उन लोगों ने जि़क्र किया उनमें ठहरने के भवन, ट्रांसपोर्टेशन, शौचालयों व स्नानगारों की कमी, सऊदी एअर लाइंस से जुड़ी समस्यायें आदि शामिल थीं।
बैठक में उच्चाधिकार प्राप्त समिति के सदस्य श्री महमूद-उर-रहमान, भारत सरकार संयुक्त सचिव, हज, श्री मृदुल कुमार, रीजनल पासपोर्ट अधिकारी, प्रमुख सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण श्री देवेश चतुर्वेदी, निदेशक हज, भारत सरकार, श्री ए0के0 कौशिक तथा अन्य संबंधित विभागों व संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।़
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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