समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि ढोंग करना तो कोर्इ बसपा सुप्रीमों मायावती से सीखें। एक ओर मुजफफरनगर के नाम पर 15 जनवरी,2014 को सादगी से जन्मदिन मनाने का एलान, लेकिन करोड़ो खर्च कर लखनऊ में इस दिन भीड़ लाने की व्यवस्था, फिर 25 जनवरी,2014 को दिल्ली में परिवारवालों के साथ जन्मदिन मनाने की स्वयं घोषणा। दो-दो बार जन्मदिन मनाने का सुश्री मायावती का यह दोहरा आचरण सिर्फ जनता की आंखो में धूल झोंकने की कोशिश है। वैसे भी मुजफफरनगर से उनका कोर्इ संबंध नहीं रहा है। उनकी वहां राहत कार्यो में न कोर्इ भूमिका रही है और नहीं संवेदना। वे पीडि़तों का दर्द जानने भी वहां नही गर्इ है। पीडि़तो के नाम पर राजनीति कर वे उनके दर्द का मजाक बना रही है।
बसपा अध्यक्ष के जन्मदिन के लिए जबरन चंदा वसूली तो होती ही है इसके नाम पर कालाधन को सफेद करने का भी इंतजाम होता है। बसपा के सासद, विधायकों और पदाधिकारियों से चौथ वसूली होती है। इससे बसपा की पूर्व मुख्यमंत्री की तिजोरियां भरती हैं और वर्ष प्रतिवर्ष उनकी आय में हवार्इ छलांग लग जाती है। दलित के नाम पर उन्होने अपनी वैभवशाली जिन्दगी का बचाव करने और अपने परिवारवालों की संपदा वृद्धि को ही सही ठहराने का काम किया है। कभी उन्होने किसी दलित के आंसू पोछे हों और उनके दु:खदर्द में शिरकत की हो, इसका उदाहरण ढूंढने से भी नहींं मिलनेवाला है।
सच तो यह है कि सुश्री मायावती ने मान्यवर का कैडर समाप्त करने के साथ ही दलित आंदोलन को भी पीछे ढकेला है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर को अपने आंदोलन के साथ ऐसे ही छल की आशंका थी, जिसे सुश्री मायावती ने साकार कर दिया है। दलित आंदोलन को मनुवादियों, बाहुबलियों और धनबलियों के हाथ नीलाम करनेवाली बसपा ने राजनीति को भ्रष्टाचार व सम्पतित बटोरने का माध्यम बनाकर सार्वजनिक जीवन को प्रदूषित किया है। लोकराज जैसी किसी व्यवस्था से उनका कोर्इ वास्ता नहीं रह गया है। बसपा की कोर्इ वैचारिक प्रतिबद्धता भी नहीं है।
उत्तर प्रदेश की जनता ने बसपा को पहले ही सत्ता से बेदखल कर और समाजवादी पार्टी की बहुमत की सरकार बनाकर अपना सही विकल्प चुन लिया है। श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में भ्रष्टाचार पर रोक लगी है और लोकतंत्र बहाल हुआ है। समाजवादी पार्टी की आजमगढ़, बरेली, मैनपुरी, बदायू, झासी की विशाल रैलियों में गरीब, किसान, मुसलमान, नौजवान सब बड़ी संख्या में शामिल हुए है। बसपा और भाजपा की रैलियों में दिखावे की भीड़ होती हैं। अब उत्तर प्रदेश में किसी और दल तथा नेता की दाल गलनेवाली नहीं है। यहां प्रदेश की जनता का समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में पूरा भरोसा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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