भारत की सनातन हिन्दू संस्कृति और मानवीय मूल्यों की के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए केरल के तुलसी कृष्ण पूरे देश में पैदल ही भ्रमण कर रहे हैं। वह शनिवार को राजधानी लखनऊ पहुँचे। 24 अक्टूबर 2012 को उन्होंने कन्याकुमारी से पदयात्रा शुरू की। अब तक वे केरल, कर्नाटक,महाराष्ट, मध्यप्रदेश,गुजरात,राजस्थान, पंजाब,हरियाणा और जम्मूकश्मीर की यात्रा कर चुके हैं। यूपी में वे अयोध्या, प्रयाग और वाराणसी में दर्शन करने के बाद बिहार में प्रवेश करेंगे। इसके बाद झारखण्ड, बंगाल, उड़ीसा, आन्ध्रप्रदेश और तमिलनाडु होते हुए कन्याकुमारी में अपनी यात्रा समाप्त करेंगे।
तुलसी कृष्ण ने धर्म संस्कृति व राष्ट्र के कर्इ महत्वपूर्ण मुददों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। यात्रा के उददेश्य के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि पूरे देश में भ्रमण कर युवाओं को जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि भारत में निरंतर बढ़ रहे पशिचमी सभ्यता के प्रभाव को कम करना एवं युवाओं की जीवनशैली में बदलाव को रोकने के लिए उनकी यात्रा है। इस दौरान वे विधालयों, और शिक्षण संस्थानों के बच्चों से भी मिलते हैं। रविवार को तुलसी कृष्ण विश्व संवाद केन्द्र जियामऊ में मेडिकल छात्रों से रूबरू हुए। यात्रा के दौरान वे स्वच्छता, पर्यावरण प्रदूषण और मानवीय मूल्यों का क्षरण पर विशेष रूप से जोर देते हैं। तुलसी कृष्ण ने बताया कि आदि गुरू शंकराचार्य ने केरल से चलकर ही पूरे देश में भ्रमण कर हर कोने में मठ की स्थापना कर हिन्दू संस्कृति का प्रचार किया था और चैतन्य महाप्रभु ने भी कलकत्ता से जगन्नाथपुरी तक पैदल यात्रा की थी। इन्हीं की प्रेरणा से हमने भी यात्रा की शुरूआत की है।
यात्रा शुरू करने की प्रेरणा कहां से मिली इस बावत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि बचपन में ही अध्यात्म की ओर झुकाव बढ़ा। इसके बाद देश की परिसिथतियों को देखकर उन्हें लगा कि उन्हें भी कुछ करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश की सनातन हिन्दू संस्कृति जो धार्मिक सहिष्णुता और भार्इचारा सिखाती है उसका संदेश लेकर देश में निकलना चाहिए इसी को हम पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व की सारी समस्याओं का समाधान सनातन संस्कृति में ही है। सनातन संस्कृति बचेगी तभी देश बचेगा। धर्मान्तरण के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को किसी के प्रलोभन में आकर अपना धर्म नहीं बदलना चाहिए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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