उ0प्र0 सहकारी चीनी मिल संघ के प्रबन्ध निदेशक डा0 बी0के0 यादव ने बताया कि प्रदेश की चीनी मिलों में गत वर्षो में प्राप्त चीनी परता का औसत से कम रहने का प्रमुख कारण अधिक सुक्रोज प्रतिशत वाली एवं शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की अधिकाधिक बुवार्इ प्रदेश में न होना तथा परिपक्वता आधारित गन्ना कटार्इ का प्रचलन न होना है। इसकों ध्यान में रखते हुए चीनी परता में सुधार हेतु प्रदेश में प्रथमबार किसान सहकारी चीनी मिल्स सम्पूर्णानगर (लखीमपुरखीरी) में परिपक्वता आधारित गन्ना कटार्इ योजना प्रयोग के तौर पर लागू की गयी तथा पेरार्इ सत्र 2013-14 के दौरान इसके अत्यन्त सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। सम्पूर्णानगर मिल में क्षे़त्र की अन्य निजी क्षेत्र की मिल की तुलना में चीनी परता अधिक प्राप्त हो रहा है। चीनी परता में सुधार हेतु अन्य 07 सहकारी चीनी मिलों में भी वर्तमान सत्र के दौरान ही परिपक्वता आधारित गन्ना कटार्इ किये जाने की योजना बनार्इ गयी है। मिल क्षेत्र में हैण्ड रिफैक्ट्रोमीटर से बि्रक्स सर्वे कराया जा रहा है, जिससे परिपक्व होने वाले गन्ने की प्राथमिकता के आधार पर कटार्इ करायी जाये।
श्री यादव ने बताया कि सहकारी चीनी मिलों द्वारा उन्नतिशील शीघ्र पकने वाली गन्ना प्रजातियों के बीज आरक्षित कराने हेतु रू0 10-कुन्तल का प्रीमियम दिया जा रहा है। इस प्रकार के बीज की उपलब्धता कराने हेतु मिल क्षेत्र के अन्तर्गत बीज यातायात पर रू0 25-कुन्तल का अनुदान तथा शोध केन्द्रो से बीज उपलब्ध होने पर बीज यातायात कटार्इ लदार्इ पर वास्तविक व्यय अथवा अधिकतम रू0 100-कुन्तल का अनुदान दिया जा रहा है। कीट नियऩ्त्रण हेतु कैरोजेन केमिकल क्रय करने पर 40 प्रतिशत का अनुदान अथवा रू0 1700-हेक्टेयर का अनुदान कृषकोें को उपलब्ध कराया जायेगा। गन्ना बंधार्इ पर भी कृषकों को अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
शीघ्र पकने वाली उन्नतिशील गन्ना प्रजातियों सी0ओ0 238 एवं सी0ओ0 239 के बीज अच्छादन हेतु गत वर्ष 1255 हेक्टेयर क्षेत्रफल का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसके सापेक्ष 1655 हेक्टेयर की पूर्ति की गयी। इस वर्ष सहकारी चीनी मिलों में उन्नतिशील शीघ्र पकने वाली एवं अधिक चीनी परता वाली गन्ना प्रजातियों का बुवार्इ लक्ष्य 16550 हेक्टेयर निर्धारित किया गया है जिससे आगामी सत्र में चीनी परता में उल्लेखनीय सुधार होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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