अखिल भारतीय बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद के तत्वावधान में मध्यप्रदेष और उत्तर प्रदेष में विभाजित सम्पूर्ण बुंदेलखण्ड के सैकड़ों साहित्यकारों ने आठ सत्रों में बुंदेली भाषा के उन्नयन के बारे में’मंथनसम्पन्न किया अधिवेषन का उदघाटन, ऐतिहासिक तीर्थ ओरछा के बुंदेलखण्ड रिवर साइड सभा भवन में भारत के ग्र्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन आदित्य नर्इ दिल्ली ने किया और अध्यक्षता ओरछेष मधुकरषाह जू देव ने की,संचालन वर्षा चतुुर्वेदी द्वारा किया गया। इस अवसर पर 1935 में स्थापित श्री वीरसिंदेव पुरस्कार को ओरछा में ही पुर्नजीवित करते हुये ‘प्रथम वीरसिंहदेव पुरस्कार-2014, विगत पांच दषकों के साहितियक अवदान का आकलन करते हुये वरिष्ठ साहित्यकारा श्री कैलाष मड़बैया भोपाल को ओरछेष महाराजा मधुकरषाह जू देव एवं भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रदीप जैन आदित्य द्वारा अंगवस्त्र,प्रषसित पत्र,निर्धारित मान देय राषि और श्रीफल सहित पुरस्कार ,भव्य साहित्य समारोह में प्रदत्त किया गया। उल्लेखनीय यह है कि अखिल भारतीय बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद द्वारा बुंदेली काव्य, इतिहास, भूगोल,गदय और मानकीकरण के उपरान्त इस वर्ष बुंदेलखण्ड की विलुप्त होती हुर्इ पारम्परिक लोक कथाओं के ग्रंथ ‘बुंदेलखण्ड की लोक कथायें, बुंदेली में ‘सृजन और सम्पादन श्री कैलाष मड़बैयाएवं ‘बुंदेली वार्षिक कनेंण्डरका लोकार्पन अतिथि द्वय द्वारा किया गया।समारोह का प्रारंभ बुंदेलखण्ड के राज्य गीत ‘हमारी माटी बुंदेलीसे उमाषंकर खरे उमेष द्वारा कन्याओं की सांगीतिक प्रस्तुतियों से कराया गया। पत्रकार षिरोमणि पं बनारसीदास चतुर्वेदी को श्री दुर्गेष दीक्षित द्वारा आलेख पाठ से स्मरण किया गया।परिषद के प्रतिवेदन श्री रुपराजषर्मा और वीरसिंह देव पुरस्कार के लिये डा.कामिनी दतिया द्वारा प्रषसितवाचन के.उपरान्त मुख्य.अतिथि बतौर बोलते हुये,केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री आदित्य ने कहा कि बुंदेली को आठवी अनुसूची में स्थान मिलना ही चाहिये वे इसके लिये श्री मड़बैया जी और मधुकरषाह जी के साथ साथ तन मन धन से जुड़े हुये हैं।बुंदेलखण्ड के छै करोड़ लोगों को उनका स्वाभिमान दिलाकर ही चैन लेंगे। श्री प्रदीप जैन ’आदित्य ने घोषण़ा की कि वे प्रतिवर्ष अपनी माता जी के नाम पर’श्रीमतीषांति देवी बुंदेली पुरस्कारपचास हजार रुपयों का, अखिल भारतीय बुंदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद भोपाल को ,सांसद रहें या नहीं,प्रतिवर्ष उपलब्ध करते रहेंगे। श्री मधुकरषाह द्वारा वीरसिंहदेव पुरस्कार की अनसुंषा और इतिहास के अनछुये प्रसंगों पर प्रकाष डालते हुये आभार ज्ञापित किया गया।दूसरे दिन की अध्यक्षता पूर्व जनसम्पर्क मंत्री म.प्र.और वर्तमान पिधायक मानवेन्द्रसिंह अली राजपुर द्वारा की गर्इ। 0 प्रमुख साहित्यकार जिन्होंने षोध आलेख पढ़े,काव्य पाठ किया ,सम्मानित हुये 0 साहितियक सत्र- बुंदेली लोक कथाओं का प्रस्तुतीकरण, बुंदेली के सामने आने बाली चुनौतियां , बुंदेली के मानक ललित ‘िनंबंध और बुंदेलखण्ड परिषद की इकाइयों द्वारा किये गये कार्यो पर संगोष्ठी में डा.नेमिचंन्द्र जैन अमेरिका,डां.लखन लाल प्राचार्य जीवाजी विष्ववि0करेरा, आषा पाण्डेय ग्वालियर,डा.देवदत्त द्विवेदी छतरपुर ,राहुल होषंगाबाद, डा.वीरेन्द्र निर्झर महोबा,मेधराज सिंह कुषवाहा झांसी,डा..जगदीष रावत ओरछा, प्रभुदयाल श्रीवास्तव दमोह, षिवराम उजाला छिंदवाडा,षकूरमोहम्मद एवं रामस्वरुप षर्मा टीकमगढ ,दुर्गेष दीक्षित कुण्डेष्वर, सुदेष सोनी ललितपुर, हरिषंकर षिवपुरी,संतोष पटेरिया खुजुराहो, उमाषंकर खरे पृथ्वीपुर, हरगोविन्द तिवारी सागर, हरगोविंद कुषवाहा पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेष,डा.षिरोमणि सिंह पथ भिण्ड ,डा.जवाहरलाल द्विवेदी गुना,रामस्वरुप स्वरुप सेंवढ़ा,हर्षवर्धन चतुर्वेदी निवाडी ,बाबूलाल द्विवेदी बानपुर, रधुवीरसिंह भदौरिया आलमपुर, डा लगदीष खरे झांसी, गोकुल सरोज ललितपुर, ग्यासीराम अटल दबोह,ष्यामश्रीवास्तव सनम डबरा,स्वतंत्र कुमार सक्सेना ग्वालियर ,डा.मातादीन मिश्रा आनन्द पृथ्वीपुर,रामेष्वर दयाल ओरछा ,लालजी सहाय लाल एवं कललितपुर,आर के पुरोहित टीकमगढ, राजकुमार पुजारी पृथ्वीपुर,रामनारायण हिन्डोलिया आलमपुर,डा.षिवेन्द्रसिंह रोन, डा.कामिनी सेंवढा, रुपराज पन्ना,मालती जैन भोपाल,वर्षा चौबे भोपाल ,राजेन्द्र विदुआ एवं गनेष प्रसाद षुक्ला टीकमगढ, भागीरथ प्रजापति बडागांव ओम पंकाष श्रीवास्तव ओज दतिया ,लोकेन्द्र सिह सूरीकला,राकेष कुमार तिवारी,संजीव कडा,उत्तम कुमार चढार ओरछा आदि आदि लगभग एक सौ से अधिक साहित्यकारों ने सकिय भागीदारी की और बुंदेली के अखिल भाारतीय कविसम्मेलन में अपनी उत्कृष्ठ काव्य रचनायें प्रस्तुत कर सम्मानित हुये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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