उ0प्र0 जल निगम में सहायक अभियन्ता (सिविल) के 93 पदों, सहायक अभियन्ता के 16 पदों, जूनियर इंजीनियर (सिविल) के 470 पदों, जूनियर इंजीनियर के 65 पदों, सहायक जियोफिजिस्ट के 02 पदों, सहायक हाइड्रोजियोलाजिस्ट के 03 पदों तथा सहायक शोध अधिकारी के 06 पदों पर कुल 655 रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की चयन प्रक्रिया जारी है। जिसमें 144 से अधिक पदों पर पिछड़ी, एस0सी0 एवं एस0टी0 जातियों के योग्य अभ्यर्थियों के स्थान सवर्ण अभ्यर्थियों की अवैध नियुकितयाँ करके सवर्णों को 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया है।
उ0प्र0 राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री राम आसरे विश्वकर्मा ने आज यहां इनिदरा भवन सिथत आयोग के सभाकक्ष में उ0प्र0 जल निगम के रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की चयन प्रक्रिया में हुये आरक्षण अधिनियम के उल्लंघन विषय पर प्राप्त शिकायत में जल निगम के प्रबन्ध निदेशक को आयोग में तलब कर सुनवार्इ की। उन्होंने बताया कि उ0प्र0 लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम-1994 के प्रावधानों के अनुसार यदि इन वर्गों के अभ्यर्थी योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिता में सामान्य अभ्यर्थियों के साथ चयनित होते हैं तो उन्हें इनके लिए आरक्षित श्रेणी के पदों की रिकितयों में समायोजित नहीं किया जायेगा, बलिक उन्हें सामान्य अभ्यर्थियों की श्रेणी में 50 प्रतिशत अनारक्षित रिकितयों के अन्तर्गत समायोजित किया जायेगा, लेकिन आयोग को प्राप्त शिकायत में उ0प्र0 जल निगम के विभिन्न रिक्त पदों पर की गयी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सीधी भर्ती की चयन प्रक्रिया में आरक्षण अधिनियम का उल्लंघन कर इन वर्गों के योग्य अभ्यर्थियों को भी चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
श्री विश्वकर्मा ने आयोग को प्राप्त शिकायत के आधार पर बताया कि ओ0बी0सी0 के जो योग्य अभ्यर्थी सामान्य अभ्यर्थियों की मेरिट सूची में होने चाहिए उनकी भी नियुकित इनके लिए लागू 27 प्रतिशत आरक्षण पर ही की गयी है। जिससे इस वर्ग के योग्य अभ्यर्थियों को सही न्याय नहीं मिला और वे नियुकित पाने में असफल रहे। उन्होंने बताया कि उ0प्र0 जल निगम के प्रबन्ध निदेशक ने आयोग के समक्ष भर्ती प्रक्रिया में हुर्इ गलती को स्वीकार भी किया है। आयोग के अध्यक्ष ने जल निगम के अधिकारियों को तीन दिन के भीतर आयोग में नियुकित प्रक्रिया के संबंध में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये, जिससे सच्चार्इ की जांच कर पीडि़त को न्याय दिलाया जा सके। सुनवार्इ के दौरान आयोग के उपाध्यक्ष श्री दीप सिंह पाल व श्री राज नारायण बिन्द, सदस्य श्रीमती निर्मला यादव के साथ-साथ आयेाग के अधिकारी तथा संबंधित विभाग के अधिकारी उपसिथत थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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