इलाहाबाद में महा-कुम्भ मेला, अनेक चुनौतियों के बावजूद कड़े सुरक्षा के इंतजामों के कारण निर्विघ्न रुप से शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ।

Posted on 02 January 2014 by admin

•    इलाहाबाद में महा-कुम्भ मेला, अनेक चुनौतियों के बावजूद कड़े सुरक्षा के इंतजामों के कारण निर्विघ्न रुप से शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ। कुम्भ मेला क्षेत्र में लगे पुलिसकर्मियो के विनम्र व्यवहार की सराहना आम जनमानस से लेकर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया ने भी की, इससे प्रदेश पुलिस का मानवीय चेहरा निखर कर सामने आया।
•    कुम्भ मेला मे करोड़ो की संख्या में स्नानार्थियों व श्रद्धालुओ का आगमन हुआ। प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या के दिन लगभग 3.50 करोड़ श्रद्धालुओ ने पवित्र संगम त्रिवेणी में स्नान किया। कुम्भ मेला पुलिस ने भूले-भटके शिविरो तथा कन्ट्रोल रूम के माध्यम से लगभग डेढ़ लाख बिछुडे़ लोगाें को उनके परिजनो से मिलवाया। जल पुलिस एवं पीएसी (फ्लड कम्पनी) के जवानों ने साहस का परिचय देते हुए 115 लोगो को डूबने से बचाया। मेले में आवागमन की सुगमता हेतु एकीकृत कंट्रोल रुम (कम्पोजिट कन्ट्रोल रुम) बनाकर मेला क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी गर्इ। टेण्ट नगरी के रूप में अस्थार्इ रूप से बसे सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में पहली बार पर फायरफाइटिंग उपकरण युक्त मोटर साइकिलों के सचल दस्ते बना कर अगिन दुर्घटनाओं पर तत्काल पहुंचकर प्रभावी कार्यवाही की गयी। आग से 35 लोगो की प्राणों की रक्षा तथा लगभग 2.81 करोड रूपये की सम्पतित की क्षति रोकी गयी।
•    अपराध नियंत्रण के लिए कानपुर नगर में अत्याधुनिक कन्ट्रोल रुम की शुरुआत की गयी है, जिसमें सी.सी.टी.वी. कैमरा, जीपीएस, जीआर्इएस, सीएडी व ब्हेकिल ट्रैकिंग सिस्टम तथा अन्य आधुनिक तकनीकों से सुसजिजत उपकरणों की व्यवस्था की गयी है। शीघ्र ही इलाहाबाद, लखनऊ एवं गाजियाबाद में भी इसी प्रकार के अत्याधुनिक कण्ट्रोल रूम की शुरुआत होगी।
•    कानपुर का यह अत्याधुनिक कन्ट्रोल रुम ब्।क् ;ब्व्डच्न्ज्म्त् ।प्क्म्क् क्प्ैच्।ज्ब्भ्द्ध प्रणाली पर कार्यरत हैं। जब कोर्इ व्यकित कण्ट्रोल रूम में काल करता है तो उसके काल करने का समय, आवश्यकतानुसार की गयी सहायता तथा पुलिस की कृत कार्यवाही का समस्त समयवार विवरण कम्प्यूटर में रिकार्ड हो जाता है। कण्ट्रोल रूम से पुलिस सहायता प्रदान करने हेतु संचालित प्रत्येक चारपहिया व दोपहिया वाहन एम0डी0टी0 युक्त है जिससे पुलिस की इन गाडि़या की लोकेशन, स्पीड व अन्य विवरण कण्ट्रोल रूम में देखे जा सकते हैं। घनी आबादी वाली तंग गलियों में पैट्रोलिंग हेतु उपयुक्त संख्या में डक्ज् ;डव्ठप्स्म् क्।ज्। ज्म्त्डप्छ।स्द्धके साथ नर्इ तकनीक वाली गियरयुक्त हार्इ स्पीड साइकिलों पर आरक्षीगण भी नियुक्त हैं। कण्ट्रोल रूम के सर्वर में सीसीटीवी को भी समाविष्ट किया गया है जो शहर के प्रमुख चौराहों व संवेदनशील स्थानों पर लगाये गये कैमरों से सम्बद्ध हैं। प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक की सिथति अथवा विभिन्न संवेदनशील स्थानों पर घटित होने वाली अपराधिक गतिविधियों अथवा संदिग्ध व्यकितयों के आवागमनसंचरण को कण्ट्रोल रूम में सीधे देख कर प्रभावी निरोधात्मक कार्यवाही करार्इ जा सकती है। सभी फील्ड सुपरवाइजर्स को कण्ट्रोल रूम में उपयोग होने वाले साफ्टवेयर युक्त स्मार्ट फोन प्रदान किये गये हैं जिसका प्रयोग करके किसी भी दूरस्थ स्थान से, जनसामान्य द्वारा कण्ट्रोल रूम में की गयी किसी भी काल को सुना जा सकता है व उस पर पुलिस द्वारा उपलब्ध करार्इ गयी सहायता व कृत कार्यवाही का समयवार विवरण देखा जा सकता है व कार्यवाही सही थी या गलत, यह निर्णय भी किया जा सकता है।
•    प्रदेश में पुलिस बल की कमी दूर करने के लिए 41 हजार से अधिक पुलिस कांस्टेबिल की भर्ती करने का निर्णय लिया गया, जिसमें पीएसी व अगिनशमन सेवाकर्मी भी शामिल हैं। इसके लिए पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा भर्ती की प्रकि्रया शुरु कर दी गयी है। साथ ही 2800 से अधिक कम्प्यूटर आपरेटर की भर्ती भी की जा रही है।
•    पुलिस बल में उपनिरीक्षकों को निरीक्षक पद पर पदोन्नति प्रदान करने हेतु ऐतिहासिक निर्णय लिया गया तथा नियमों में जरूरी बदलाव किये गये। नये निर्णयानुसार इसके लिए विभागीय परीक्षा के बजाय वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति की प्रकि्रया प्रारम्भ की गयी। नर्इ व्यवस्था से लगभग 2 हजार उपनिरीक्षकों को निरीक्षक के पद पर पदोन्नति प्रदान की गयीं। इसकी विशेषता रही कि सारा कार्य पूर्ण पारदर्शी तरीके से सम्पन्न हुआ तथा बड़े पैमाने पर हुर्इ यह पदोन्नतियां बिना किसी शिकवे-शिकायत के सम्पन्न हुर्इ। इससे जहा एक ओर पुलिस कर्मियों में नयी आशा का संचार हुआ है, वहीं दूसरी ओर एक भी प्रकरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नही हुआ।
•    इसके अलावा 3171 मुख्य आरक्षियों का उपनिरीक्षक के पद पर चयन कर उन्हें उपनिरीक्षक का प्रशिक्षण देकर जनपदों में नियुक्त किया गया है। 380 मृतक आश्रितो को उपनिरीक्षक के पद पर, 368 मृतक अश्रितों को आरक्षी के पद पर व 204 मृतक आश्रितों को चतुर्थ श्रेणी के पद पर सेवायोजन प्रदान किया गया। 17 आरक्षी, 02 मुख्य आरक्षी तथा 08 उपनिरीक्षकों को आउट आफ टर्न प्रोन्नति प्रदान की गयी। गणतंत्र दिवसस्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 200 अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को सराहनीय सेवा सम्मान चिन्ह तथा 50 को उत्कृष्ट सेवा सम्मान चिन्ह प्रदान किये गये।
•    पुलिस विभाग में उपनिरीक्षक के पदों पर सीधी भर्ती एवं पदोन्नति की प्रकि्रया हेतु शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए पूर्व में निर्धारित दौड़ की दूरी में परिवर्तन कर उसे और अधिक व्यवहारिक बनाया गया है।
•    छात्राओं, कामकाजी लड़कियों और महिलाओं को आये दिन आने वाले अश्लील एसएमएस, एमएमएस और फेक काल्स से हो रहे एक नये तरह से मानसिक उत्पीड़न से राहत दिलाने हेतु प्रदेश में पहली बार ”वूमेन पावर लाइन 1090 की ऐतिहासिक शुरुआत की गयी। इसमें विशेष रूप से प्रशिक्षित महिला पुलिस बल को तैनात किया गया है। इसके पंचतत्व विशेष रुप से उल्लेखनीय है जिसके तहत शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जायेगी, महिला को किसी थाने अथवा पुलिस स्टेशन पर नही बुलाया जायेगा, शिकायत महिला पुलिस अधिकारी द्वारा सुनी जायेगी, महिला की समस्या के समाधान पावर लाइन सम्पर्क में रहेगी तथा एक राज्य एक नम्बर। इसमें महिला द्वारा ही शिकायत की जायेगी, जिसे महिला पुलिसकर्मी द्वारा अटेण्ड किया जायेगा। पावर लाइन की पुलिसकर्मी स्वयं अपने स्तर से शिकायत करने वाली महिला या उसके परिवार के संतुष्ट होने तक उसके सम्पर्क में रहेगी।
•    वीमेन पावर लाइन 1090 सेवा में 1 जनवरी से 15 दिसम्बर 2013 तक की अवधि में तक 1 लाख, 35 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज हुर्इ, जिनमें से 1 लाख 25 हजार से अधिक शिकायतों का पूर्णतया: निस्तारण किया जा चुका है। विभिन्न जनपदों में पावर लाइन के माध्यम से कुल 239 अभियोग पंजीकृत किये गये।
•    महिलाओं के विरूद्ध घटित हिंसा की घटनाओं रोकथाम के परिप्रेक्ष्य में दण्ड विधि (संषोधन) अधिनियम-2013 विषेष रूप से लागू किया गया है। प्रत्येक पुलिस थाने में एक महिला पुलिस अधिकारीपुलिस कर्मी यथासंभव हमेशा उपलब्ध रहेगी। महिला पुलिस कर्मी की जिम्मेदारी होगी कि वह पीडि़त महिला व उसके परिवार को सान्त्वना व ढ़ांढ़स देकर आश्वस्त करें। महिला सम्बन्धी अपराधों में न्यायालय में प्रभावी पैरवी करके अपराधियों को दणिडत कराने के निर्देश दिये गये है।
•    प्रदेश के सभी जनपदों में क्राइम ब्रान्च का गठन किया गया है, क्योंकि जिलो मे ऐसी टीम की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जो फील्ड में खतरनाक आपरेशन्स को अंजाम देने में सक्षम हो और विकट परिसिथतियों में अपराधियों का मुकाबला विशेषज्ञतापूर्ण तरीके से कर सके। इन्ही आवश्यकताओं को दृषिटगत रखते हुए प्रत्येक जनपद में क्राइम ब्रान्च के अन्तर्गत स्वाट टीम गठित किये जाने के निर्देश दिये गये। यह टीम अपहृतों की मुकित, सकि्रय शूटरों को निषिक्रय करने दुर्दान्त अपराधियों को पकड़ने, आतंकवादी घटनाओं से निपटने आदि कार्यो को अंजाम देगी।
•    क्राइम एण्ड कि्रमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सी.सी.टी.एन.एस.) योजना के तहत प्रदेश के सभी थानों, पुलिस कन्ट्रोल रुम तथा पुलिस अधिकारियों के विभिन्न कार्यालय यथा क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, परिक्षेत्रीय कार्यालय, डीजीपी कार्यालय आदि से नेटवर्किंग के माध्यम से आपस में जोड़ने की योजना है। इसके अन्तर्गत विभिन्न विवेचना इकार्इयों यथा सीबीसीआर्इडी, र्इओडब्ल्यू को भी कम्प्यूराइज्ड कर नेटवर्किंग के माध्यम से जोड़ा जायेगा। इस सम्पूर्ण प्रकि्रया के पूर्ण होने पर डाटा संकलन, विश्लेषण एवं डाटा ट्रांसफर व विभिन्न डाटा आदान-प्रदान कर सूचनायें भेजने में सुगमता होगी।
•    इस योजना को प्रदेश के सभी जिलों को 4 चरणों में पूर्ण करने की योजना बनायी गयी है। प्रथम चरण में लखनऊ, मुरादाबाद व गाजीपुर को पायलेट प्रोजेक्ट के रुप में रखा गया है।
•    प्रदेश के बड़े-बडे महानगरों में प्रमुख चौराहों पर यातायात व्यवस्था के सुगम संचालन हेतु सीसीटीवी लगाये जाने की योजना है। पायलट पे्राजेक्ट के तहत प्रथम चरण में लखनऊ महानगर की यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु शहर के चिनिहत 70 प्रमुख चौराहों पर सीसीटीवी कैमरा लगाये जायेंगे। प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में इसी प्रकार की व्यवस्था चरणबद्ध से किये जाने का लक्ष्य है ताकि यातायात व्यवस्था को और सुगम व सुदृढ़ किया जा सके।
•    प्रदेश में साइबर अपराधों की रोकथाम एवं इन अपराधों के अनावरण हेतु प्रदेष के समस्त जनपदों में साइबर क्राइम यूनिट का गठन किया गया है। साइबर क्राइम के सम्बन्ध में 138 पुलिस उपाधीक्षकों, निरीक्षकों, उपनिरीक्षकों को तथा 136 आरक्षियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। 75 निरीक्षकोंउपनिरीक्षकों का रिफ्रेसर कोर्स भी कराया गया है।
•    आधुनिकीकरण योजना के अन्तर्गत जनपद लखनऊ में स्थापित डीएनए लैब का उच्चीकरण किया गया। परीक्षण में गुणवत्ता लाने के लिए वाहय विशेषज्ञों द्वारा जनपद के कर्मियों को प्रशिक्षित एवं जागरुक किया गया है।
•    राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरों, लखनऊ द्वारा वर्ष 2012 से ßक्राइम इन यू0पी0ß का डाटा पुलिस की वेबसाइट पर आन लाइन कर दिया गया है।
•    उत्तर प्रदेष पुलिस की नवीन वेबसाइट ीजजचरूध्ध्नचचवसपबमण्हवअण्पद लांच की गर्इ है, जिससे पुलिस एवं जनता को सूचना आदान प्रदान करने में सहायता मिलेगी।
•    उत्तराखण्ड की प्राकृतिक आपदा में उत्तर प्रदेश के लापता व्यकितयों के सम्बन्ध में सूचना संकलित करने एवं आवश्यक सहायता कार्य में राज्य स्तर पर समन्वय गृह विभाग के साम्प्रदायिकता नियंत्रण प्रकोष्ठ द्वारा किया गया।
•    जनपदीय पुलिस द्वारा की जा रही विवेचनाओं की गुणवत्ता में सुधार हेतु समस्त जोनल महानिरीक्षक व परिक्षेत्रीय पुलिस उपमहानिरीक्षक को विवेचना की गुणवत्ता सुनिशिचत करने के लिए अभियोजन विभाग से विधिक अभिमत प्राप्त करने के निर्देश दिये गये है। पुलिस महानिरीक्षक, (जोन) के लिए अपर निदेशक अभियोजन, पुलिस उपमहानिरीक्षक, (परिक्षेत्र) के लिए संयुक्त निदेशक अभियोजन एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकपुलिस अधीक्षक के लिए ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारियों की विधिक सलाहकार के रूप में तैनाती का निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा जिलों में मा0 न्यायालयोंराजस्व न्यायालयों में अभियोजन कार्य भी सम्पादित किया जायेगा।
•    अपराधियों को सजा दिलानें के कार्य में तेजी लाये जाने हेतु अभियोजन विभाग द्वारा चिनिहत मुकदमों की पैरवी में तेजी लायी गयी है। इस कड़ी में 24 जिलों की मानीटरिंग दिन-प्रतिदिन निदेशालय के अभियोजन संवर्ग के अधिकारियों द्वारा की जा रही है तथा 49 जिलों की मानीटरिंग वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से परिक्षेत्रीय अपर निदेशक अभियोजन द्वारा साप्ताहिक रुप से की जा रही है। साथ ही साथ अभियोजन निदेशालय द्वारा सभी 71 जिलों की मानीटरिंग माह के प्रथम मंगलवार को की जा रही है।
•    इस प्रकार प्रदेश के सभी जनपदों के चिनिहत 12,226 अभियुक्तों के 14,757 मुकदमों की मानीटरिंग की जा रही है। निस्तारित 3518 अभियोगों में 2823 में प्रभावी पैरवी के फलस्वरुप अपराधियों को सजा हुर्इ है।
•    शासन द्वारा पुलिस बल के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को मिलने वाले वर्दी अनुरक्षण (धुलार्इ) भत्ते को 12 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 125 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।
•    पुलिस व पीएसी के जिन कर्मियों को न तो सरकारी आवास मिला है और न ही सरकारी आवासीय सुविधा मिली है तथा उनके परिवार के सदस्य उसी शहर में किराये के मकान में रह रहे है, ऐसे कर्मियों को फैमिली एकोमोडेशन एलाउंस दिये जाने के निर्देश दिये गये है।
•    पुलिस कर्मियों की समस्याओं के निराकरण एवं कल्याणकारी दिशा में ठोस प्रयास किये गये हैं। अनुग्रह राशिपुलिस कल्याण निधिसुख सुविधा निधि आदि में 17 करोड़ 22 लाख 77 हजार रूपये से अधिक धनराशि व्यय की गयी हैं।
•    प्रान्तीय पुलिस सेवा के 09 अधिकारियों को भारतीय पुलिस सेवा में, 72 अपर पुलिस अधीक्षकों को अपर पुलिस अधीक्षक के उच्च वेतनमानों मे, 91 पुलिस उपाधीक्षकों को अपर पुलिस अधीक्षक पद पर, 82 पुलिस उपाधीक्षकों को अपर पुलिस अधीक्षक ज्येष्ठ वेतनमान में तथा 73 निरीक्षकों को पुलिस उपाधीक्षक पर प्रोन्नति प्रदान की गयी है।
•    उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी तथा मुख्य आरक्षी सेवा नियमावली में संशोधन कर निर्णय लिया गया है कि मुख्य आरक्षी के शत-प्रतिशत पदों पर पात्र आरक्षियों में अनुपयुक्तों को अस्वीकार करते हुए ज्येष्ठता के आधार पर पदोन्नति से भरा जायेगा। इसके अलावा ऐसे आरक्षी, जो आउट आफ टर्न प्रोन्नति पाकर मुख्य आरक्षी ना0पु0 नि:संवर्गीय पदों पर कार्यरत हैं, को भी मौलिक पद की ज्येष्ठता के अनुसार मुख्य आरक्षी नागरिक पुलिस के पद पर पदोन्नति प्राप्त होगी।
•    प्रदेश पुलिस बल में कार्यरत 996 ए0एस0आर्इ0 (एम) कार्मिकों की वेतन विसंगतियों को दूर करते हुए कान्स0 (एम) के पद धारण की अवधि से नियमित मानते हुये ए0सी0पी0 का लाभ दिये जाने का निर्णय मृतक आश्रित नियमावली के प्रदत्त प्राविधानों के अन्तर्गत लिया गया है। मृतक आश्रित के रूप में समायोजित कान्स0 (एम) सम्प्रति नवीन पदनाम ए0एस0आर्इ0 (एम) को उनकी नियुकित की तिथि से उनकी सेवा आंगणित करने का निर्णय लिया गया है। इस प्रकार विगत लगभग 20 वर्ष से चल रही विसंगति को समाप्त कर दिया गया है।
•    मुजफ्फरनगर जिले में 27 अगस्त को घटित घटना के बाद 7 सितम्बर को अचानक भड़की साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार द्वारा तत्परता से प्रयास किये गये। मुजफ्फरनगर के 3 थाना क्षेत्रों में कफ्यर्ू लगाया गया तथा शासन द्वारा तत्काल सेना की सहायता ली गयी और भारी संख्या में केन्द्रीय अद्र्धसैनिक बलों की तैनाती कर अगले दिन 8 सितम्बर तक सिथति पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया।
•    मुजफ्फरनगर एवं उसके आस-पास के जनपदों में हुर्इ इस घटना से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने में राज्य सरकार ने गम्भीरता से कार्य किया। मृत व्यकितयों के परिजनों को सरकारी नौकरी के साथ अन्य प्रकार की आर्थिक मदद उपलब्ध करायी गयी। गम्भीर रुप से घायलों को राज्य सरकार द्वारा 50-50 हजार रुपये तथा साधारण रुप से घायल व्यकितयों को 20-20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गयी। 74 घायलों को रानी लक्ष्मी बार्इ पेंशन योजना के तहत 400 प्रतिमाह की दर से पेंशन स्वीकृत की गयी। जिन व्यकितयों को चल-अचल सम्पतित का नुकसान हुआ, ऐसे 1054 व्यकितयों को 6 करोड़ 84 लाख रुपये से अधिक धनराशि शासन द्वारा दी गयी। मुजफ्फरनगर के कृषकों को टे्रक्टर ट्रालियों तथा गन्ने की फसल को हुये नुकसान के लिए 56 लाख 30 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गयी।
•    साम्प्रदायिक घटनाओं से भयाक्रांत हो अपने घरों से पलायन कर गये लगभग 51 हजार व्यकितयों को 58 राहत शिविरों के माध्यम से ठहरने, चिकित्सा, खाधय सामग्री व अन्य दैनिक उपयोग की सामग्री उपलब्ध करायी गयी। इन व्यकितयों को यथावश्यक चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करायी गयी। नौ गांवों के 1534 परिवारों के 8500 से अधिक सदस्यों को अपनी इच्छा से चयनित स्थानाें पर बसने हेतु राज्य सरकार द्वारा 5-5 लाख रुपये प्रत्येक परिवार की दर से कुल 76.70 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी गयी।
अपराध नियंत्रण के प्रयास
•    प्रदेश की आम जनता को एक सुरक्षित परिवेश प्रदान करना, सुदृढ़ साम्प्रदायिक एवं जातिगत सौहार्द्र कायम रखना, संगठित एवं पेशेवर अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवार्इ सुनिशिचत किया जाना तथा अपराधों पर पूर्ण नियंत्रण रखना जिससे प्रदेश में विकास का बेहतर माहौल तैयार हो, वर्तमान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताए है। प्रदेश में जनसामान्य को सुरक्षा प्रदान करने हेतु पुलिस द्वारा सार्थक प्रयास किये जा रहे है जिसके फलस्वरूप कानून व्यवस्था की सिथति सुदृढ़ है।
•    सरकार का प्रयास है कि गुण्डे जिले के बाहर हो तथा अपराधी जेल के भीतर। पुलिसबल का मनोबल ऊचा रखने के लिए जहा हर सम्भव प्रयास हो रहे है, वहीं जनता से बदसलूकी एवं गैर कानूनी कामों में लिप्त पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही भी की गयी है।
•    आलोच्य अवधि में गुण्डा अधिनियम में 16705, गैंगेस्टर अधि0 में 1920, एनएसए में 200, शस्त्र अधि0 में 20777, जुआ अधि0 में 6198, एनडीपीएस अधि0 में 5475, आबकारी अधि0 में 29939, गोबध अधि0 में 4629, आर्इटीएक्ट में 611, आब0 अधि0 में 975, पोस्को अधि0 में 1570 एवं अन्य अधिनियमों के अन्तर्गत 1727447 के विरूद्ध कार्यवाही की गयी।
•    फैक्ट्री निर्मित बन्दूक 162, पिस्टल 101, रिवाल्वर 68, राइफल 79, स्टेनगनकार्बाइन 3, कारतूस 25585 एवं देशी निर्मित बन्दूक 175, पिस्टल 11386, रिवाल्वर 436, राइफल 162, स्टेनगनकार्बाइन 3, कारतूस 289, हैण्ड गि्रनेड 1, बम 589, टीएमसी 9, शस्त्र फैक्ट्री 144 बरामद करने में सफलता प्राप्त हुर्इ।
•    विगत 1 जनवरी से 15 दिसम्बर, 2013 तक की अवधि में पुलिस द्वारा की गयी उपलबिधयोें में प्रमुख हैं : 51 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 27 लाख 89 हजार रूपये से अधिक की भारतीय जाली मुद्रा की बरामदगी, मादक पदार्थ की तस्करी में लिप्त 276 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर 11.242 किलोग्राम हेरोइन, 277.3 किलोग्राम चरस, 6.675 किलोग्राम अफीम, 8619 किलोग्राम डोडा पोस्ता, 4974.66 किलोग्राम गांजा, 4.58 किलोग्राम स्मैक, 15.5 किलोग्राम नशीला पाउडर, 01 किलोग्राम कोकीन की बरामदगी।
•    पुलिस द्वारा चोरीलूट के 1496 दो पहिया एवं 298 चार पहिया वाहनों को बरामद कर कुल 913 अभियुक्तों को गिरफतार किया गया। 37 मूर्ति चोरों को गिरफ्तार कर 34 अष्टधातु एवं अन्य धातुओं की मूर्तियां बरामद की गयी। पुलिस द्वारा 153 अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार कर 63 अपहृतों को बरामदमुक्त कराने में सफलता प्राप्त की गयी है।
•    प्रदेश पुलिस द्वारा आत्मरक्षार्थ की गयी कार्यवाही में 10 हजार रुपये या उससे ऊपर के तीन अपराधी मारे गये जिनमें 50 हजार का पुरस्कार घोषित अपराधी शेर बहादुर उर्फ शेरू उर्फ सत्यम सिंह शामिल है।
•    पुलिस द्वारा 10 हजार रुपये से ऊपर के र्इनामी कुल 151 अपराधी गिरफ्तार किये गये है। इनमें एक लाख रूपये के 3, पचास हजार रूपये के 13, पच्चीस हजार रूपये का 1, बीस हजार रूपये के 2, बारह हजार रूपये के 65, दस हजार रूपये के 27 शामिल हैं।
•    गिरफ्तारी अपराधियों में प्रमुख नाम हैं : एक लाख रूपये का इनामी अपराधी प्रदुम्न शर्मा उर्फ मन्टू शर्मा, विनोद बावला एवं कपिल कटारिया उर्फ सोनू तथा 50 हजार रुपये के पुरस्कार घोषित अपराधी करन उर्फ कुन्नू उर्फ अशोक बहेलिया, जस्सो उर्फ दसरथ, योगेश भदौड़ा, भोलू उर्फ अरविन्द, विजय उर्फ अजय, सन्दीप उर्फ भरतू, दशरथ यादव, समर बहादुर उर्फ अमर बहादुर उर्फ चचुवा, विपुल सिंह उर्फ बृजेश सिंह, सादाब, अमरजीत यादव, योगेश सागवान उर्फ सीटू एवं विपिन दीक्षित उर्फ अजय हक्कल प्रमुख हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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