प्रदेश के किसान आलू फसल में पिछेता झुलसा बीमारी का विशेष सावधानी के साथ समय से नियंत्रण करें, जिससे आलू का गुणवत्तायुक्त उत्पादन एवं उत्पादकता प्रभावित न हो। क्योंकि केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान परिसर, मोदीपुरम, मेरठ ने वर्ष 2013-14 में आलू की फसल पर पिछेता झुलसा बीमारी के होने की आशंका व्यक्त की है।
निदेशक, उधान एवं खाध प्रसंस्करण विभाग श्री एस0पी0जोशी ने आज यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जिन किसान भाइयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंद नाशक दवा का पर्णीय छिड़काव नहीं किया है और जिनकी आलू की फसल में अभी भी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुर्इ है वे मैन्कोजेब युक्त फफूंद नाशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 0.2 प्रतिशत की दर से अर्थात 2.0 किलोग्राम दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रभावित फसल में शीघ्र छिड़काव करें।
श्री जोशी ने किसानों को यह भी सलाह दी है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी है उनमें किसी भी मेटालैकिसल युक्त फफंूद नाशक का 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से अथवा सार्इमोक्सेनिल युक्त फफूंद नाशक का 3.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से समयानुसार छिड़काव अवश्य करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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