पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्पित गैर सरकारी संस्था आईरीड भारत पॉलीथीन से होने वाले घातक जल प्रदूशण के प्रति आम लोगों में जागरूकता लाने का कार्य विगत चौदह वशोZ से कर रही है। आईरीड के स्वयंसेवी सदस्य त्योहारों व अन्य खास अवसरों पर लोगों को पालीथीन से होने वाले नुकसान और परम्परागत गृहस्थी में प्रयोग होने वाली वस्तुओं के फायदे बताते है। आईरीड की निदेशक डा0 अर्चना ने बताया कि संस्था द्वारा पवित्र त्योहार िशवरात्रि के दिन पॉलीथीन प्रदूशण के प्रति लोगों में जागरूक करने के लिए कार्यक्रम रखे गये है। उन्होंने बताया कि िशवरात्रि के दिन मन्दिरों तथा पवित्र नदियों के किनारे पालीथीन का अत्यधिक प्रयोग होता है। पूंजा आदि की समस्त वस्तुए अब पॉलीथीन के पैक में मिलती है। इस तरह प्रदूशण के इस खतरनाक कारक ही घुसपैठ मन्दिरों, व्रतों और त्योहारों तक पहुंच चुकी है। डा0 अर्चना ने िशवरात्रि के पावन पवूZ पर सभी नागरिकों से पॉलीथीन का प्रयोग न करने और उसके स्थान पर परम्परागत घरेलू वस्तुएं इस्तेमाल करने का संकल्प लेने की अपील की है। उन्होंने अपील में कहा कि पॉलीथीन के स्थान पर उपयोग की जाने वाली वस्तुए कपड़े तथा जूट के बैग या झोले, हाथ से बुने बैग या झोले, बांस की टोकरियां आदि, कांस व मूंज आदि के विविध घरेलू सामान, रद्दी कागज के खोखे, मिट्टी के बर्तन, चीनी मिट्टी के बर्तन आदि का प्रयोग बिगड़ते पर्यावरण को बचाने की मुहिम के लिए मद्दगार साबित होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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