समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि पांच विधान सभा के चुनावों के नतीजों से कांग्रेस ने लगता है कोर्इ सबक नहीं सीखा है। आम जनता ने बढ़ती मंहगार्इ और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया। जनता की इस भावना को समझकर केन्द्र सरकार को जनता की भलार्इ के कुछ कदम उठाने चाहिए थे लेकिन उसका रवैया तो बदला लेने जैसा है। रसोर्इ गैस के दाम 3Û46 रूपए प्रति सिलेंडर बढ़ा दिए गए हैं जिससे घरेलू बजट बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सबिसडी और नान सबिसडी के फेर में पहले से ही उपभोक्ता परेशानी झेल रहा है। अब यह भी आशंका है कि अगले कुछ दिनों में पेट्रोल के दाम भी बढ़ा दिए जाएगें। डीजल के दाम पहले ही बढ़ाए जा चुके हैं और इससे खेती मंहगी होती गर्इ है। यह सब तेल कम्पनियों को खुश करने के लिए है।
मंहगार्इ की मार से आम आदमी बुरी तरह बेहाल है। इसको नियंत्रित करने की कहीं कोर्इ इच्छाशकित केन्द्र सरकार में नहीं दिखार्इ पड़ रही है। उल्टे इसको बेलगाम छोड़ दिए जाने के संकेत है। नवम्बर में खुदरा मंहगार्इ नौ माह के ऊचे स्तर पर 11Û24 फीसद हो गर्इ है। एक साल पहले की तुलना में सबिजयों के दाम गत माह 61Û6 प्रतिशत मंहगे हो गए है। खाध वस्तुओं की मंहगार्इ 12Û56 फीसद से बढ़कर 14Û71 फीसद हो गर्इ है। प्याज, टमाटर, सब्जी, फल इन सबके भाव बाजार में आसमान छूने लगे हैं।
अर्थव्यवस्था की पतली हालत चिन्ता का विषय बन रही है। औधोगिक उत्पादन में 0Û3 फीसद की कमी हो गर्इ है। शेयर बाजार में गिरावट आ रही है। एक ओर जनता कराह रही है वहीं एक खबर यह भी है कि वर्ष 2002-11 के बीच 343 अरब डालर विदेशों में बतौर कालाधन जमा कराए गए। देश में गरीबों की संख्या 80 प्रतिशत है जबकि चार दर्जन के लगभग लोग अमीरी का आसमान छू रहे हैं। विषमता की यह खार्इं पाटने के बजाय उसको और बढ़ाने की योजनाएं चल रही है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने मंहगार्इ पर रोक के लिए डा0 राम मनोहर लोहिया के दाम बांधो सिद्धांत को अपनाने का सुझाव संसद में दिया पर इसे अनसुना कर दिया गया। पूंजीघरानों के हित सुरक्षित रखने में लगी सरकारें कांग्रेस की हो या भाजपा की, मूल्य नियंत्रण से परहेज करती रही हैं। घरेलू बजट के बिगड़ने से होनेवाली परेशानियों से उन्हें क्या लेना देना ?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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