उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रति यूनिट 50 दुधारू पशुओं (गाय व भैस) की मिनी कामधेनु डेयरी इकाइयों की स्थापना हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत ब्याज मुक्त ऋण योजना संचालित की है। जिसके तहत प्रदेश भर में डेयरी की 150 यूनिट स्थापित की जानी हैं। इससे प्रदेश में प्रति वर्ष 225 लाख लीटर अतिरिक्त दूध का उत्पादन होगा और उच्च उत्पादकता क्षमता के गोवंशीय एवं महिष वंशीय नर-मादा पशुओं का उत्पादन और इनकी उपलब्धता सुनिशिचत होगी। इसके साथ-साथ पशुओं के दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोत्तरी होगी तथा लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
पशुधन, लघु सिंचार्इ एवं भू-गर्भ जल मंत्री श्री राज किशोर सिंह ने आज यह जानकारी देते हुये बताया कि प्रदेश के 68 प्रतिशत ग्रामीणों के जीवकोपार्जन का मुख्य स्रोत कृषि एवं पशुपालन है। पशुपालन का कृषि के विकास में 33 प्रतिशत योगदान है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का 9 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश का पशुधन विकास के क्षेत्र में अग्रणी स्थान है। जिसमें देश का 10.5 प्रतिशत गोवंश तथा 27 प्रतिशत महिषवंश है।
श्री सिंह ने बताया कि अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश में प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता कम है। क्योंकि यहां उच्च गुणवत्तायुक्त पशुओं का अभाव है। इसी को ध्यान में रखकर प्रदेश में पशुपालन के क्षेत्र में उधमिता के विकास हेतु उच्च गुणवत्ता के पशुओं की डेयरी इकाइयों की स्थापना की जा रही है। उन्होंने बताया कि योजना के लिए पशुपालन में रूचि रखने वाले या पशुपालन का कार्य कर रहे व्यकित ही पात्र होंगे। लाभार्थी के पास शेड बनाने की भूमि के अलावा कम से कम एक एकड़ भूमि होनी चाहिए। स्थापित डेयरी के दूध की बिक्री आसानी से की जा सके इसके लिए इकार्इ की स्थापना पी0सी0डी0एफ0 के मिल्क रूट पर की जानी है।
उन्होंने बताया कि योजनान्तर्गत लाभार्थीं का चयन जनपद स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जायेगा। इस चार सदस्यीय समिति के संयोजक सचिव मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, सदस्य लीड़ बैंक आफीसर और दुग्ध विकास अधिकारी होंगे। पशुधन मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि योजना को समयबद्ध सुचारू रूप से क्रियानिवत करने के लिए तत्काल अपेक्षित कार्यवाही सुनिशिचत करें। जिससे लाभार्थिंयों को समय से योजना का लाभ दिलाया जा सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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